ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण की कब्जा मुक्त जमीन पर हो रहा है कब्जा, तेजी से हो रहा है निर्माण
The encroachment-free land of Greater Noida Industrial Development Authority is being encroached upon, construction is going on at a rapid pace

Panchayat 24 : ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने हाल ही में दादरी बाइपास के निकट चिटेहरा गांव में अधिसूचित जमीन पर हो रहे अतिक्रमण पर बुलडोजर कार्रवाई की थी। प्राधिकरण का दावा था कि बुलडोजर कार्रवाई कर 100 करोड़ कीमत की जमीन को कब्जा मुक्त कराया गया है। इस कार्रवाई द्वारा प्राधिकरण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हो रहे अवैध निर्माणकर्ताओं के बीच संदेश छोड़ने में कामयाब रहा था। हालांकि प्राधिकरण की इस बड़ी कार्रवाई का भय अवैध निर्माणकर्ताओं के मन में अधिक दिनों तक बना नहीं रह सकता है। इसके पीछो एक बार फिर से इस जमीन पर तेजी से निर्माण कार्य शुरू होना है। प्राधिकरण की ध्वस्तीकरण कार्रवाई के बाद यहां शुरू हुए निर्माण कार्य के बाद क्षेत्र में तरह-तरह की चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं। प्राधिकरण अधिसूचित जमीन पर फिर से शुरू हुआ यह निर्माण कार्य ग्रेटर नोएडा औद्यागिक विकास प्राधिकरण के लिए लोग खुली चुनौती माना जा रहा है। वहीं, यह निर्माण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विकास के दृष्टिकोण पर सीधा प्रहार भी है।
क्या है पूरा मामला ?
दरअसल, दादरी बाईपास के पास चिटेहरा गांव के उसके आसपास का क्षेत्र ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण की महत्वपूर्ण परियोजनाएं प्रस्तावित हैं। वहीं, आसपास के क्षेत्र की जमीन ग्रेटर नोएडा फेज-2 का हिस्सा है। यह पूरा क्षेत्र प्राधिकरण का अधिसूचित क्षेत्र है। पिछले एक साल से दादरी बाइपास के पास चिटेहरा गांव की जमीन को निजी लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर दिल्ली एनसीआर इंडस्ट्रीयल पार्क के निर्माण किया जा रहा है। निर्माणकर्ता यहां पर निजी तौर पर फैक्ट्रियों और वेयर हाऊसों के लिए प्लाटिंग की जा रही है। यह निर्माण आसपास के क्षेत्र में कई कारणों से चर्चाओं का केन्द्र बना हुआ था। चिटेहरा गांव प्रधान पति मनीष भाटी ने निर्माणकर्ताओं पर गांव की एलएमसी और सिंचाई विभाग की जमीन पर भी अवैध कब्जा करने का आरोप लगाया था। चर्चा थी कि इस निर्माण के बीच में ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण की किसानों से क्रय की गई जमीन भी शामिल है। इस निर्माण का का मामला मुख्यमंत्री दरबार तक भी पहुंचा था। मामले की आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायत भी की गई थी। वहीं, स्थानीय लोगों ने ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारियों से भी मामले की शिकायत की थी।
ग्रेटर नोएडा के अतिक्रमण विरोधी दस्ते ने की बड़ी ध्वस्तीकरण कार्रवाई
ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि कुमार ने मामला संज्ञान में आने पर प्राधिकरण की अधिसूचित जमीन पर हो रहे अतिक्रमण पर कठोर कार्रवाई के आदेश दिए। बीती 20 जून को एसीईओ सुमित यादव के नेतृत्व में महाप्रबंधक परियोजना एके सिंह, विशेष कार्याधिकारी जितेंद्र गौतम, ओएसडी राम नयन सिंह, वर्क सर्किल तीन के प्रभारी राजेश कुमार निम और वर्क सर्किल एक के प्रभरी प्रभात शंकर सहित वर्क सर्किल 1, 2, 3 व 4 का समस्त स्टाफ ने मिलकर चिअेहरा गांव में हो रहे अवैध निर्माण के खिलाफ ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की। प्राधिकरण के अनुसार तीन घंटों चली कार्रवाई के बाद लगभग 50 हजार वर्गमीटर जमीन को कब्जा कराया था जिसकी बाजार में कीमत लगभग 100 करोड़ आंकी गई है।
ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने बताया कार्रवाई का आधार
ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के अनुसार कॉलोनाइजर चिअेहरा गांव की अधिसूचित जमीन के खसरा संख्या-169, 170, 171 व 172 की करीब 50 हजार वर्ग मीटर जमीन पर बिना प्राधिकरण की अनुमति निर्माण कर अवैध रूप से वेयर हाउस बनाने की कोशिश कर रहे थे। बिना नक्शा पास कराए अवैध निर्माण पर रोक लगाने के लिए प्राधिकरण की तरफ से नोटिस भी जारी की गई, कॉलोनाइजरों द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया। इसके बावजूद काॅलोनाइजर चोरी-छिपे अवैध निर्माण करने की कोशिश कर रहे थे। इस संबंध में प्राधिकरण के एसीईओ सुमित यादव ने कहा था कि सीईओ के निर्देशानुसार अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई निरंतर जारी रहेगी। उन्होंने अतिक्रमण करने वाले को चेतावनी दी है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में बिना अनुमति या बिना नक्शा पास कराए अवैध निर्माण कर ने वालों के खिलाफ भविष्य में भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने जनमानस से भी अपील करते हुए कहा कि ग्रेटर नोएडा में कहीं भी जमीन खरीदने से पहले प्राधिकरण से संपर्क कर पूरी जानकारी जरूर प्राप्त कर लें। अवैध कॉलोनी में अपनी गाढ़ी कमाई न फंसाएं।
प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में हो रहे निर्माण पर खड़े हो रहे हैं सवाल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दरबार में जिस अवैध निर्माण की शिकायत दस्तक दे चुकी हैं। ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वार जिस अवैध निर्माण को अवैध बताते हुए ध्वस्तीकरण की बड़ी कार्रवाई की चुकी है, आखिर व२हां एक बार फिर से निर्माण कार्य शुरू कैसे हो गया ? क्या ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने इसका नक्शा पास कर दिया है ? क्या ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण से इस अवैध निर्माण को एनओसी प्राप्त हो गई है ? अभी तक क्षेत्र में अवैध रूप से अधिसूचित क्षेत्र में आवासीय कॉलोनियां बसाई जा रही थी, लेकिन यहां वेयर हाऊस और फैक्ट्रियों के लिए प्लाटिंग की जा रही है।
यदि फैक्ट्रियों और वेयर हाऊसों के लिए भी अवैध रूप से कॉलोनाइजर प्लाटिंग करेंगे तो प्राधिकरण क्या करेगा ? क्या क्षेत्र में प्राधिकरण के समानान्तर कॉलोनाइजर भी औद्योगिकरण की प्रक्रिया को आगे चलाएंगे ? क्या पूरे प्रकरण में सत्ता के केन्द्र दिल्ली अथवा लखनऊ से जुड़े प्रभावशाली लोगों का कोई दबाव हैं जिसके कारण प्राधिकरण द्वारा ध्वस्त किए गए अवैध निर्माण को एक बार फिर से तेजी से शुरू करने की ताकत अवैध निर्माणकर्ताओं में आ गई है ? क्या प्राधिकरण इस अवैध निर्माण को आंखें बंद करके स्वीकार करेगा अथवा एक बार फिर अधिक वेग से ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को अंजाम देगा ? प्राधिकरण दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने से क्यों बच रहा है ? सबसे बड़ा सवाल क्षेत्र में यह भी उठ रहा है यदि किसानों से जमीन खरीदकर प्राधिकरण के समानान्तर औद्योगिक पार्क बसाया जा सकता है तो क्या मूल काश्तकार किसान द्वारा अपनी पुश्तैनी जमीन पर घर मकान अथवा अपने जीवन निर्वहन के लिए कोई दुकान या कमर्शियल निर्माण किया जा सकता है ? क्या प्राधिकरण किसानों के निर्माण को स्वीकृति देगा ? क्या यहां भी कोई कोई भ्रष्टाचार जन्म ले रहा है ? क्या यह अवैध निर्माणकर्ताओं द्वारा प्राधिकरण के सामने खुली चुनौती है ?