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कांग्रेस को झटका : गुलाम नबी हुए कांग्रेस से आजाद, छोड़ा हाथ का साथ, राहुल गांधी पर लगाए पार्टी की आंतरिक व्‍यवस्‍था को बर्बाद करने के गंभीर

Shock to Congress: Ghulam Nabi freed from Congress, left hand, serious about destroying party's internal system on Rahul Gandhi

Panchayat24 : कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे गुलाम नबी आजाद ने भी आखिरकार कांग्रस का साथ छोड़ दिया। शुक्रवार को गुलाम नबी आजाद ने  पार्टी की अंतरिम अध्‍यक्ष सोनिया गांधी को पांच पन्‍नों का पत्र लिखकर पार्टी के सभी पदों से तयाग पत्र दे दिया। पांच पन्‍नों के पत्र में गुलाम नबी आजाद ने पार्टी पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उनके निशाने पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी प्रमुख तौर पर रहे। गुलाम नबी आजाद के इन आरोपों से कांग्रेस असहज स्थिति में आ गई है।

 

जम्‍मु कश्‍मीर के पांच नेताओं ने भी छोड़ी कांग्रेस

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार गुलाम नबी आजाद के त्‍यागपत्र देने के बाद जम्‍मु और कश्‍मीर में भी पार्टी के पांच बड़े नेताओं ने भी कांग्रेस का दामन छोड़ दिया है। बता दें कि गुलाम नबी आजाद लगभग 50 सालों से भी अधिक समय से कांग्रेस से जुड़े रहे। कई मौकों पर उन्‍होंने पार्टी के लिए अहम भूमिका निभाई थी। वह पार्टी के कई बड़े पदों पर रह चुके थे। कांग्रेस की सरकारों में वह महत्‍वपूर्ण विभागों के मंत्री भी रहे थे।

कांग्रेस में संगठनात्‍मक स्‍तर पर बड़े बदलाव के लिए सोनिया गांधी को लिखा था पत्र

गुलाम नबी आजाद ने साल 2020 में पार्टी की वरिष्‍ठतम नेता सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में संगठनात्‍मक स्‍तर पर सुधार की बात कही थी। बता दें कि इसी तरह की मांग पार्टी के अन्‍दर अस्तित्‍व में आया जी-23 ग्रुप के सदस्‍यों मनीष तिवारी, आनन्‍द शर्मा जैसे नेताओं ने भी उठाई थी। गुलाम नबी आजाद को भी इसी जी-23 समुह का सदस्‍य माना जाता था। बता दें कि गुलाम नबी के कांग्रेस छोड़ने की अटकलें उसी समय लगाई जाने लगी थी जब उन्‍होंने हाल ही में कांग्रेस के प्रचार समिति के चेयरमैन और जम्‍मु कश्‍मीर कांग्रेस के राजनीतिक मामलों की समिति से त्‍यागपत्र दे दिया था। मीडिया खबरों की माने तो गुलाम नबी आजाद कांग्रेस छोड़ने के बाद अपनी पार्टी बनाकर जम्‍मु और कश्‍मीर की राजनीति पर फोकस करेंगे। बता दें कि गुलाम नबी आजाद संसद में भी जम्‍मु और कश्‍मीर को लेकर काफी जोरशोर से आवाज उठाते रहे हैं। जम्‍मु और कश्‍मीर  से धारा 370 हटाए जाने के बाद वहां चुनावी प्रक्रिया तेजी से चल रही है।

कांग्रेस में अपने पांच दशक के अनुभाव के आधार पर किया जिक्र

मीडिया रिपोर्ट की माने तो गुलाम नबी आजाद ने अपने त्‍यागपत्र में अपने कांग्रेस नेता के तौर पर अनुभवों को लिखा है। उन्‍होंने समय समय पर कांग्रेस की बदलती स्थितियों और उनके लिए जिम्‍मेवार किरदारों के बारे में भी लिखा है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उन्‍होंने अपने पत्र में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, इंदिरा गांधी, संजय गांधी राजीव गांधी, अपने और  पार्टी के बारे में लिखा है। उन्‍होंने जहां सोनिया गांधी को कांग्रेस की अध्‍यक्ष के रूप में यूपीए-1 और यूपीए-2 की सफलता का श्रेय दिया। वहीं इस सफलता के पीछे सोनिया गांधी के विवेकशील सलाहकारों और पार्टी के वरिष्‍ठ नेताओं की भूमिका को भी अहम बताया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार गुलाम नबी आजाद ने आगे लिखा है कि यूपीए सरकार की अखंडता को बर्बाद करने वाला रिमोट कंट्रोल सिस्टम अब कांग्रेस पर लागू हो रहा है। आप बस नाम के लिए इस पद पर विराजमान हैं। पार्टी के सभी महत्‍वपूर्ण निर्णय राहुल गांधी ले रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि राहुल गांधी इन महत्‍वपूर्ण निर्णयों को सुरक्षाकर्मियों और पीए की सहाल पर ले रहे हैं। उन्‍होंने सोनिया गांधी को पार्टी की वर्तमान जमीनी हकीमत से भी वाकीफ कराया है।

राहुल गांधी के उपाध्‍यक्ष बनने के बाद पार्टी बर्बादी के रास्‍ते पर चल पड़ी

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार गुलाम नबी आजाद ने राहुल गांधी पर तीखा हमला किया है। उन्‍होंने कहा है कि साल 2013 में राहुल गांधी के उपाध्‍यक्ष बनने के बाद से ही पार्टी के अन्‍दर सलाह तथा विचार विमर्श की व्‍यवस्‍था ध्‍वस्‍त हो गई। पार्टी के वरिष्‍ठ और अनुभवी नेताओं की अनदेखी की जाने लगी। राहुल गांधी के चारों तरफ एक चापलूस नेताओं का समूह बन गया। इसी समूह का पार्टी के सभी फैसलों पर प्रत्‍यक्ष अप्रत्‍यक्ष रूप से नियंत्रण हो गया। उन्‍होंने कहा कि पूर्व में भी कांग्रेस पार्टी में विवाद तथा मनमुटाव होते रहे हैं, लेकिन आपस में बैठकर इन्‍हें सुलझा लिया जाता था। लेकिन अब पार्टी में वह परम्‍परा समाप्‍त हो गई है।

अध्‍यायदेश को फाड़ना राहुल गांधी की बचकानी हरकत थी

गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जब राहुल गांधी ने मीडिया के सामने कांग्रेस पार्टी के गोर ग्रुप द्वारा तैयार और कैबिनेट तथा राष्‍ट्रपति द्वारा स्‍वीकृत अध्‍यायदेश के टुकड़े टुकड़े कर बचकाना हरकत की थी। उनकी इस हरकत से देश के प्रधानमंत्री और प्रधानमंत्री के अस्तित्‍व पर सवाल खड़े कर दिए थे। उन्‍होंने कहा कि राहुल गांधी की यह हरकत साल 2014 में पार्टी की हार की बहुत बड़ी वजह बनी थी। बिना राजनीतिक अनुभव के राहुल गांधी को पार्टी अध्‍यक्ष उस समय बनाया जब सोनिया गांधी के नेतृत्‍व में पार्टी चुनाव हार चुकी थी। परिणाम साल 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की बड़ी हार के रूप में सामने आया। चुनाव दर चुनाव पार्टी विधानसभा चुनाव हारी। लगातार हार से पीछा छुड़ाने के लिए राहुल गांधी ने अध्‍यक्ष पद से इस्‍तीफा दिया। गुलाम नबी आजाद ने अपने पत्र में लिखा कि पार्टी के लिए अपना जीवन दांव पर लगाने वाले वरिष्‍ठ नेताओं का कांग्रेस की वर्किंग कमेटी में अपमान किया गया।

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