गौतम बुद्ध नगर में तेजी से फैलते अवैध कॉलोनियों के कारोबार पर बेअसर धारा 10 का नोटिस
Section 10 notice has no effect on the rapidly growing illegal colonies in Gautam Buddha Nagar

राजेश बैरागी, वरिष्ठ पत्रकार
Panchayat 24 : औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के लिए अमोघ अस्त्र मानी जाने वाली उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास अधिनियम 1976 की धारा 10 का जनपद गौतमबुद्धनगर स्थित नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यीडा में कितना खौफ है? प्रायः देखने में आता है कि इस धारा के तहत नोटिस जारी होने के बाद इन प्राधिकरण क्षेत्रों में अधिसूचित, अधिग्रहित और सरकारी भूमि पर अवैध निर्माण और तेजी से होने लगता है जबकि पुलिस, प्राधिकरणों और जिला प्रशासन के आपसी समन्वय के अभाव में भूमाफियाओं तथा अवैध कॉलोनाइजर्स के विरुद्ध कोई कार्रवाई भी नहीं हो पाती है।
उत्तर प्रदेश औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम, 1976 की धारा 10 स्थल या भवन के उचित रखरखाव की अपेक्षा करने की शक्ति से संबंधित है। यदि प्राधिकरण को लगता है कि किसी स्थल या भवन की स्थिति या उपयोग औद्योगिक विकास क्षेत्र की योजना या वहां की सुविधाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है, तो वह उस स्थल या भवन के अंतरिती या अधिभोगी को नोटिस दे सकता है। इस नोटिस में उनसे अपेक्षित कदम उठाने और उन्हें बनाए रखने के लिए कहा जाता है।
यदि अंतरिती या अधिभोगी ऐसा करने में विफल रहता है, तो प्राधिकरण स्वयं कदम उठा सकता है और खर्च अंतरिती या अधिभोगी से वसूल सकता है। पिछले डेढ़ दशक में देखें तो नोएडा ग्रेटर नोएडा शहरों के बरअक्स अवैध रूप से एक एक और शहर बस गए हैं। ऐसा करने वाले भूमाफिया और अवैध कॉलोनाइजर्स इस काम को एक संगठित अपराध की भांति कर रहे हैं और उनके विरुद्ध हुई कार्रवाईयों की गिनती उंगलियों पर गिने जाने जितनी भी नहीं हैं। उदाहरण के तौर पर नोएडा के बरौला, सदरपुर,भंगेल, सलारपुर, सरफाबद, बहलोलपुर, इलाहाबास, नया गांव तो ग्रेटर नोएडा में हैबतपुर, शाहबेरी, तुस्याना, सुनपुरा, वैदपुरा, सूरजपुर, कासना और ग्रेटर नोएडा फेज दो के गांव चिटैहरा आदि में फाईटर जेट की गति से अवैध कॉलोनियों का जाल फैलता जा रहा है।
नोएडा में तो खोड़ा कॉलोनी के अवैध विस्तार से बचने के लिए नोएडा प्राधिकरण ने बाकायदा पेरीफेरल बाउंड्री बनाकर अपने अस्तित्व की रक्षा की थी।इन सभी गांवों में संबंधित प्राधिकरणों ने धारा 10 के तहत अनगिनत नोटिस जारी किए। परंतु मर्ज बढ़ता ही गया ज्यों ज्यों दवा की। ताजा मामला ग्रेटर नोएडा के गांव वैदपुरा में धड़ल्ले से बन रही अवैध विलाओं का है। प्राधिकरण ने गत वर्ष नवंबर में इन विलाज को बनाने वाले दर्जन भर लोगों को धारा 10 का नोटिस जारी किया। इस वर्ष जनवरी में प्राधिकरण ने कमिश्नरेट पुलिस के डीसीपी सेंट्रल को पत्र लिखकर उक्त लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने की मांग की।
जिला प्रशासन भी इस अवैध निर्माण से बावाकिफ है। पुलिस ने अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की है। प्राधिकरण तोड़फोड़ करने के लिए पुलिस बल मिलने की प्रतीक्षा कर रहा है। और अवैध निर्माण पूरी गति से जारी है। तुस्याना का जंगल एफआईआर दर्ज होने के बावजूद अमूमन अवैध कॉलोनियों से घिर चुका है। फिर धारा 10 का अस्तित्व क्या है? दरअसल प्राधिकरण द्वारा आवंटित संपत्तियों में नियम विरुद्ध किए गए निर्माण को लेकर जारी होने वाले धारा 10 के नोटिस का तो महत्व रहता है परंतु अवैध कॉलोनियों के निर्माण पर इस नोटिस का कोई असर नहीं पड़ता है। हालांकि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रेरणा सिंह ने आगामी दिनों में पुलिस बल के साथ प्राधिकरण क्षेत्र में उपरोक्त वर्णित सभी अवैध कॉलोनियों पर बुलडोजर कार्रवाई के संकेत दिए हैं।