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इन्‍द्रलोकपुरम : प्राधिकरण और प्रशासन पर भारी अवैध कॉलोनाइजर की दबंगई, किसान का चकरोड और ऐतिहासिक धरोहर पर अवैध कब्‍जा

Indralokapuram: Illegal colonizers dominate authorities and administration, farmers' harassment and illegal occupation of historical heritage sites.

Panchayat 24 (ग्रेटर नोएडा) : गौतम बुद्ध नगर जिले की सदर तहसील के गुलिस्‍तानपुर गांव में अवैध कॉलोनाइजर की दबंगई ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण और जिला प्रशासन पर भारी पड़ रही है। कॉलोनाइजर की दबंगई के चलते सरकारी चकरोड और ऐतिहासिक धरोहर के अस्तित्‍व पर संकट मंडरा रहा है। कॉलोनाइजर का विरोध करने वाले पीडित किसान का आरोप है कि उसको लगातार धमकी दी जा रही है। पीडित किसान ने ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण में इस अवैध कॉलोनी इंद्रलोपुरम की शिकायत की है। पीडित किसान ने प्राधिकरण के अधिकारियों एवं लेखपाल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पुलिस, प्राधिकरण और जिला प्रशासन से नाउम्‍मीद हो चुके पीडि़त किसान ने अब न्‍याय के लिए मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के दरबार में गुहार लगाई है।

क्‍या है पूरा मामला ?

दरअसल, सदर तहसील का गुलिस्‍तानपुर गांव की स्थिति जिले के अन्‍य गांवों से अलग है। इस गांव की जमीन ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा औद्योगिक विकास के लिए अधिसूचित है। वहीं, कुछ जमीन को यूपीसीडा द्वारा अधिसूचित किया गया है। दो प्राधिकरणों के बीच ऐसी जमीन भी स्थित हैं जिसको अधिग्रहण से बाहर कर दिया गया था। ऐसी ही लगभग 63 बीघा जमीन पर कुछ लोगों द्वारा अवैध रूप से इंद्रलोकपुरम नाम से एक कॉलोनी बसाई जा रही है। कॉलोनाइजरों द्वारा इंन्‍द्रलोकपुरम कॉलोनी को प्राधिकरण और जिला प्रशासन से एनओसी प्राप्‍त होने का झूठा प्रचार एवं प्रसार किया जा रहा है।

गुलिस्‍तानपुर गांव में बसायी जा रही अवैध कॉलोनी इद्रलोकपुरम में विभिन्‍न हिस्‍सों पर किया जा रहा निर्माण कार्य।

Panchayat 24  की पड़ताल में पता चला है कि जिस जमीन पर इंद्रलोकपुरम कॉलोनी बसाई जा रही है वह अधिग्रहण मुक्‍त जरूर हुई है। इसके बावजूद अभी भी यह प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र का हिस्‍सा है। ऐसे में बिना प्राधिकरण की अनुमति एवं नक्‍शा पास कराए यहां किसी भी प्रकार का निर्माण गैरकानूनी है। पड़ताल में पता चला है कि ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा किसी भी निजी कॉलोनी के लिए कोई अनुमति अथवा नक्‍शा स्‍वीकृत नहीं किया है।

ऐतिहासिक गरगज का संकट खतरे में

कॉलोनाइजरों ने लगभग पांच बीघा जमीन पर एक ऐतिहासिक गरगज (लाइट हाऊस) भी स्थित है। पुराने समय में गरगज (लाइट हाऊस) का प्रयोग यात्री एवं व्‍यापारी दिशा जांच के लिए किया जाता था। दोपहर एवं रात के समय यहां यात्री रूककर विश्राम भी करते थे।

कॉलोनाइजर के कब्‍जे में ऐतिहासिक धरोहर गरगज  (लाइट हाऊस)।

समय बीतने के समय गरगज की उपयोगिता समाप्‍त हो गई। रखरखाव के अभाव में कई ऐतिहासिक धरोहरों की तरह गुलिस्‍तानुपर गांव में स्थित गरगज भी सरकारी उपेक्षा का शिकार हो रहा है। आरोप है कि इन्‍द्रलोकपुरम कॉलोनी के कॉलोनाइजरों द्वारा गरगज की लगभग पांच बीघा जमीन पर भी अवैध कब्‍जा कर लिया है।

सरकारी चकरोड़ पर कब्‍जा, विरोध करने पर जान से मारने की धमकी

गुलिस्‍तानपुर गांव निवासी चरनसिंह शर्मा नामक किसान का आरोप है कि इन्‍द्रलोकपुरम कॉलोनी से होकर उसके खेत के लिए लगभग 17 फीट चौड़ी सरकारी चकरोड़ जाती है। कॉलोनाइजरों द्वारा चकरोड को भी कॉलोनी में मिला लिया है। पीडित किसान का आरोप है कि विरोध करने पर उसको परिवार सहित जान से मारने की धमकी दी रही है। कॉलोनाइर ने यहां बाउंसर तैनात कर दिए है। इसके बाद उन्‍हें यहां से प्रवेश भी नहीं करने दिया जा रहा है। पीडित किसान का आरोप है कि कॉलोनाइजरों द्वारा लगभग 50 हरे पेड़ काट डाले हैं। साथ ही उसके खेत के कुछ हिस्‍से पर भी कब्‍जा करने का प्रयास किया जा रहा है।

ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण की कार्रवाई पर उठे सवाल, लेखपाल एवं अधिकारी पर लगे गंभीर आरोप

गुलिस्‍तानपुर गांव में इंद्रलोकपुरम नामक अवैध कॉलोनी बसाए जाने पर ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण की अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं। जहां प्राधिकरण अतिक्रमण पर सेटेलाइट से नजर रखने के लिए इसरों से करार कर रहा है। वहीं, प्राधिकरण के मुख्‍यालय से कुछ किमी की दूरी पर यह अवैध कॉलोनी बसाई जा रही है। शायद ही ऐसा संभव हो कि प्राधिकरण के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की नजर में यह मामला न रहा हो। पीडित किसान का आरोप है कि मामले की प्राधिकरण में शिकायत करने पर एक टीम जांच के लिए यहां पहुंची थी। लेकिन कोई कार्रवाई करने के बजाय कॉलोनाइजरों की मेहमाननवाजी में व्‍यस्‍त हो गए। पीडित ने प्राधिकरण के कुछ लेखपालों और एक सीनियर मैनेजर स्‍तर के अधिकारी पर आरोपियों से सांठगांठ कर मामले को दबाने का प्रयास किए जाने का भी आरोप लगाया है।

जिला प्रशासन की चुप्‍पी भी सवालों के घेरे में 

पूरे प्रकरण में जिला प्रशासन की चुप्‍पी भी सवालों के घेरे में हैं। दरअसल, पीडित किसान ने सदर तहसील के उपजिलाधिकारी को लिखित में मामले की सूचना देते हुए बताया था कि कॉलोनाइजरों द्वारा सरकारी चकरोड़ पर कब्‍जा किया जा रहा है। इसके बावजूद सदर तहसील की ओर से मामले में उचित कार्रवाई नहीं की गई। वहीं, मामला ऐतिहासिक गरगज की जमीन पर अवैध कब्‍जा किए जाने से भी जुड़ा है। प्रशासन को इस ऐति‍हासिक गरगज का संरक्षण करना चाहिए। जिस तरह से प्रशासन के संज्ञान में मामला होने के बावजूद कॉलोनाइजर सरकारी चकरोड और गरगज को कब्‍जा रहे हैं, जिला प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।

Panchayat 24 की पड़ताल  में पता चला कि ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी को पीडित ने मामले की लिखित शिकायत की थी। प्राधिकरण की ओर से मामले की जांच के लिए एक टीम भेजी थी। प्राधिकरण की टीम द्वारा राजस्‍व विभाग से मामला जुड़ा होने के कारण सदर तहसील को मामले की जानकारी दी थी। प्राधिकरण की टीम की जांच में पता की पीडित किसान द्वारा चकरोड़ कब्‍जा किए जाने का आरोप सही है। सदर तहसील को मामले की जांच रिपोर्ट दी गई है। राजस्‍व विभाग को असली नक्‍शे से रिपोर्ट का मिलान करना है। अभी तक सदर तहसील द्वारा इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है।

अवैध कॉलोनी बसाए जाने पर पैदा होंगी कई मूलभूत समस्‍याएं

इंद्रलोकपुरम कॉलोनी को बसाए जाने के बाद भविष्‍य में यहां कई तरह की मूलभूत समस्‍याएं पैदा होंगी। दरअसल, कॉलोनाइजर प्‍लॉट बेचकर यहां से फरार हो जाएंगे। भविष्‍य में यहां सैकड़ों परिवारों में हजारों लोग आकर बसेंगे। इनके लिए सीवर, जल निकासी, जल आपूर्ति  सड़क, बिजली आदि समस्‍याएं पैदा हो जाएंगी। चूंकि यह कॉलोनी प्राधिकरण से एनओसी प्राप्‍त नहीं है और न ही प्राधिकरण से इसका नक्‍शा पास है। ऐसे में इस कॉलोनी को किसी भी प्रकार की मूलभूत सुविधा मुहैया कराना ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण का दायित्‍व नहीं है। ऐसे में बिजली विभाग यहां विद्युत आपूर्ति नहीं करेगा। रास्‍तों पर गज-गज जलभराव और सड़कों पर जाम की स्थिति बनेगी। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में यह कॉलोनी तेजी से एक एक स्‍लम बनकर रह जाएगी। नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा में ऐसे बहुत सारे उदाहरण हैं। खोड़ा कॉलीनी दिल्‍ली एनसीआर का सबसे बड़ा उदाहरण है।

प्राधिकरण समय-समय पर अपील जारी करता है 

प्राधिकरणों में प्रतिदिन ऐसे सैकड़ों मामले आते हैं जिनमें कॉलोनाइजरों द्वारा झूठ बोलकर उन्‍हें ठगा गया होता है।  कॉलोनाइजर ने प्राधिकरण से अनुमति, अधिग्रहण मुक्‍त और नक्‍शा पास होने का झूठ बोलकर उन्‍हें प्‍लॉट बेचा है। लेकिन यहां किसी भी प्रकार की मूलभूत सुविधा नहीं है। यह लोग प्राधिकरण से ही मूलभूत सुविधाओं की मांग करते हैं। लेकिन प्राधिकरण ऐसे मामलों में किसी भी प्रकार की सहायता नहीं करने की बात कहकर वापस लौटा देता है। कॉलोनाइजरों के झांसे में न आने के लिए समय-समय पर प्राधिकरण द्वारा अपील जारी की जाती है। लोगों से कहा जाता है कि ग्रेटर नोएडा अधिसूचित क्षेत्र में कोई भी प्‍लॉट खरीदने से पूर्व प्राधिकरण से जानकारी अवश्‍य कर ले। झूठे आश्‍वासनों में फंसकर अपनी गाढ़ी कमाई न लुटााएं।

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