ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण

तकनीक से अतिक्रमण पर प्रहार : ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण अतिक्रमण के खिलाफ तैयार कर रहा है विशेष रणनीति, जानिए क्‍या है पूरा प्‍लान ?

Preparing for a major crackdown on encroachments: Greater Noida Industrial Development Authority is working on a special plan against encroachments, find out what the complete plan is?

Panchayat 24 (ग्रेटर नोएडा) : अधिसूचित क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहा अतिक्रमण औद्योगिक विकास के सामने बड़ी चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। अतिक्रमण के कारण लगातार विकास परियोजनाएं एवं औद्योगिक विकास प्रभावित हो रहा है। ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने समस्‍या के स्‍थायी समाधान के लिए तकनीकी की मदद से अतिक्रमण की समस्‍या पर बड़ा प्रहार करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की भी मदद ली जाएगी। इसकी मदद से भूमाफियाओं के मकड़जाल को आसानी से भेदा जा सकेगा।

क्‍या है पूरा मामला ?

दरअसल, जिले में अतिक्रमण औद्योगिक विकास प्राधिकरण के अधिसूचित एवं अधिग्रहित क्षेत्र में हो रहा अतिक्रमण विकास के स्‍वरूप को प्रभावित कर रहा है। वहीं, हिंडन एवं यमुना नदियों के डूब क्षेत्र में अतिक्रमण ने पर्यावरण संबंधी चुनौतियां बढ़ा दी हैं। इस समस्‍या के स्‍थाई समाधान के लिए ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से हाथ मिला लिया है। इसरो के नेशनल रिमोट सेंसिंग सिस्‍टम मिलकर प्राधिकरण विशेष निगरानी तंत्र को विकसित करने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण एवं इसरों के साथ जल्‍द ही एक एमओयू साइन किया जाएगा। परीक्षण के लिए पहले चरण का डाटा दिसंबर तक और मार्च 2026 तक पूरा सिस्‍टम विकसित कर लिया जाएगा।

प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि कुमार के अनुसार अतिक्रमण की रोकथाम एवं कार्रवाई के लिए तकनीकी का प्रयोग किया जाएगा। इसका उद्देश्य भूमि प्रबंधन में पारदर्शिता, वैज्ञानिकता और अतिक्रमण को रोकने के लिए प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करना है। देश के किसी भी विकास प्राधिकरण में तकनीकी की मदद से अतिक्रमण की समस्‍या का समाधान का प्रयोग पहली बार किया जा रहा है। इसमें तकनीक की मदद से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को हाई रिजोल्‍यूशन उपग्रह चित्रों के साथ जोड़कर अतिक्रमण वाले स्‍थानों की पहचान करने में मदद मिलेगी। उपग्रह से प्राप्‍त पूर्व के चित्रों की नई तकनीक से प्राप्‍त चित्रों से मिलान करने पर आसनी से यह पता लगाया जा सकेगा कि किन-किन स्‍थानों पर कब-कब अतिक्रमण किया गया है। इससे औद्योगिक एवं नगरीय विकास के लिए आवश्‍यक लैंड बैंक की समयबद्ध एवं सटीक जानकारी प्राप्‍त हो सकेी। जीआईएस आधारित इमेज प्राप्त होने से निर्णय लेने में आसानी होगी।

इस परियोजना का नेतृत्‍व कर रहे प्राधिकरण के एसीईओ सुमित यादव कहा कि एमओयू के तहत एनआरएससी एआई आधारित मॉडल, मॉनिटरिंग डैशबोर्ड और अलर्ट सिस्टम विकसित करेगा और प्राधिकरण के स्टाफ को प्रशिक्षित करेगा, ताकि भविष्य में यह सिस्टम प्राधिकरण को हस्‍तांतरित होने के बाद किसी प्रकार की समस्‍या का सामना न करना पड़े एवं व्‍यवस्‍था को सुगमता के साथ संचालित किया जा सके। उन्‍होंने कहा है कि यह पहल तकनीक आधारित गवर्नेंस की दिशा में एक क्रांतिकरी कदम साबित होगा। इसरो के सहयोग से भूमि संरक्षित करने, सार्वजनिक परिसंपत्तियों के प्रबंधन में अधिक पारदर्शिता, सटीकता और जवाबदेही आएगी।

एआई और उपग्रह आधारित मॉनिटरिंग से अतिक्रमण रोकथाम और कार्रवाई की क्षमता कई गुना बढ़ेगी। यह परियोजना स्मार्ट, डेटा-ड्रिवन और प्रो-ऐक्टिव प्रवर्तन व्यवस्था स्थापित करने की दिशा में अहम कदम है। प्राधिकरण की तरफ से तकनीक आधारित शहरी प्रबंधन की दिशा में उठाया गया दूरदर्शी, नया और परिवर्तनकारी कदम है। इसरो के सहयोग से विकसित यह मॉडल न केवल ग्रेटर नोएडा में भूमि संरक्षण को नई दिशा देगा, बल्कि अन्य विकास प्राधिकरणों और शहरी निकायों के लिए भी एक उत्कृष्ट उदाहरण और भविष्य की रूपरेखा प्रस्तुत करेगा। यह पहल आधुनिक शहरी प्रशासन, पारदर्शिता, सुशासन और सार्वजनिक हित के प्रति ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की प्रतिबद्धता को मजबूत करेगा।

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