कराची से संचालित होने वाले दावत ए इस्लाम से जुड़े उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड़ के तार, 32 ऑनलाइन कोर्स चलाकर कट्टर मुसलमान बनने और इस्लाम के प्रचार प्रसार की देता है शिक्षा
The strings of the Kanhaiyalal murder case of Udaipur associated with Dawat-e-Islam, which is operated from Karachi, teaches 32 online courses to become a fanatic Muslim and to spread Islam.
Panchayat24 : उदयपुर में नुपुर शर्मा के बयान का समर्थन करने पर आईएसआईएस स्टाइल में कन्हैयालाल नामक व्यक्ति की दो व्यक्तियों द्वारा निर्मम हत्या के तार पाकिस्तान से जुड़ रहे हैं। दरअसल, कन्हैयालाल का धारदार हथियार से गला रेतने वाले दोनों हत्यारे रियाज मोहम्मद और गौस मोहम्मद कराची से संचालित होने वाले दावत ए इस्लाम नामक कट्टट सुन्नी संगठन के से जुड़े हुए थे। इस संगठन का नेटवर्क दुनिया भर के अधिकांश देशों में फैला हुआ है। संगठन द्वारा ऑनलाइन 32 कोर्सों का संचालन किया जाता है। इसके द्वारा लोगों को कट्टर मुसलमान बनने और शरिया कानून के अन्तर्गत इस्लामिक शिक्षाओं का दुनिया भर में प्रचार प्रसार किया जाता है। यह स्त्री और पुरूष दोनों के लिए अलग अलग हैं। यह संगठन कट्टर सुन्नीवाद को बढ़ावा देता है। इस संगठन पर भारत में धर्मांतरण के भी आरोप लगे है। मीडिया रिपोर्ट की माने तो इस संगठन द्वारा जगह-जगह दान पेटियां रखकर धन की उगाही की जाती है जिसका इस्तेमाल भारत विरोधी और कट्टता को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।
जिस तरह से उदयपुर के कन्हैया लाल हत्याकांड के तार विदेशी साजिश से जुड़ रहे हैं। ऐसे में देश की सुरक्षा एजेंसिया भी अलर्ट हो गई है। राजस्थान सरकार ने इस हत्याकांड़ की जांच जहां एसआईटी से कराने की घोषण की है, वहीं एनआईए भी इसकी जांच करेगी। एसआईटी ने जांच शुरू कर दी है। एनआईए संभवत: आज राजस्थान पहुंच सकती है। बता दें कि नुपुर शर्मा मामले में आईएसआईएस ने भी भारत को धमकी दी है। बता दें कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी कन्हैयालाल हत्याकांड के लिए अंतर्राष्ट्रीय साजिश की बात कह चुके हैं।
हत्याकांड को अंजाम देने के बाद दोनों आरोपी अजमेर शरीफ जाने वाले थे
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कन्हैयालाल की नृसंस हत्या के बाद दोनों आरोपी रियाज मोहम्मद और गौस मोहम्मद अजमेर शरीफ जाने वाले थे। जांच एजेंसिया इससे भी अपनी जांच में शामिल करेंगी और पता लगाने का प्रयास करेंगी कि हत्यारों का अजमेर शरीफ से क्या कनेक्शन है।
क्या है दावत ए इस्लामी ?
दावत ए इस्लामी एक सुन्नी कट्टटरपंथी सुगठन है। इसकी स्थानपा 1981 में पाकिस्तान के कराची में मौलाना अबू बिलाल मुहम्मद इलियास अत्तारी ने की थी। यह संगठन खुद को गैर राजनीतिक बताता है। यह संगठन भारत में लगभग 40 सालों से सक्रिय है और इसका मकसद दुनिया सहित भारत में शरिया कानून लागू करना है। संगठन की वेबसाइट न्यू मुस्लिम नाम से एक ऑनलाइन कोर्स का संचालन किया जाता है। इस कोर्स का एकमात्र उद्देश्य पूरी तरह से धर्मांतरण और नए नए मुसलमानों को इस्लामी शिक्षा से परिचित कराना है। संगठन कट्टटरता और जिहादी बुनियाद को बढ़ावा देता है। इसके लिए बाकयादा विशेष प्रशिक्षण भी संगठन की ओर से दिया जाता है।
यह संगठन मदनी चेनल भी चलाता है जिस पर संगठन का संदेश प्रचारित और प्रसारित होता है। इसके जरिए संगठन के लोग उर्दू, बांग्ला और अंग्रेजी में अपनी विचारधाराओं का प्रचार-प्रसार करते हैं। संगठन अपने संदेशों को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए सालाना इत्जिमा (जलसा) का आयोजन करते हैं। इसमें भारी संख्या में भीड़ एकत्रित होती है। मीडिया रिपोर्ट की माने तो इस संगठन से जुड़े लोगों ने ही वर्ष 2011 में पाकिस्तान के पंजाब राज्य के गवर्नर सलमान तासीर की भी हत्या कर दी थी। इसके अलावा भी इस संगठन के लोग कुछ चर्चित आतंकी घटनाओं में शामिल थे।
1989 में भारत पहुंचा दावत ए इस्लाम संगठन
दावत ए इस्लाम का प्रतिनिधिमंडल 1989 में पहली बार भातर पहुंचा था। धीरे-धीरे इसने भारत में अपनी जड़े जमानी शुरू कर दी। दिल्ली और मुम्बई में इस संगठन का मुख्यालय है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सैयद आरिफ अली अत्तारी ‘दावत-ए-इस्लामी’ के भारत में विस्तार का काम कर रहे है। चूंकि इस संगठन की स्थापना मौलाना इलियास अत्तारी ने की थी इसलिए संगठन से जुड़ा हर व्यक्ति अत्तारी टाइटल को अपने नाम के साथ जोड़ता है। उदयपुर घटना का गुनहागार मोहम्मद रियाज भी अत्तारी टाइटल को अपने नाम के साथ लगाता है। संगठन के लोग सिर पर हरे रंग की पगड़ी बांधते हैं। कुछ सफेद रंग की पगड़ी बांधते हैं। यह संगठन तब्लीगी जमात की तर्ज पर लोगों को जोड़ने के लिए काफिला लेकर चलता है।
बरेलवी और दावत ए इस्लाम की विचारधारा एक, फिर भी मतभेेद