एक बार फिर इतिहास के पन्नों में दर्ज होगा अयोध्या का राम मंदिर, आकाश में फहराएगी सनातन संस्कृति की अमर गाथा
Once again, the Ram Temple of Ayodhya will be etched in the pages of history, and the immortal saga of Sanatan culture will fly high in the sky.

Panchayat 24 (अयोध्या) : रामनगरी अयोध्या एक बार फिर इतिहास के स्वर्णिम अध्याय में अपना नाम अंकित करने जा रही है। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के भव्य निर्माण की पूर्णता का प्रतीक बनने जा रहा ध्वजारोहण समारोह 25 नवंबर को आयोजित होगा। इस ऐतिहासिक अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं 161 फीट ऊंचे मुख्य शिखर सहित सातों शिखरों पर भगवा धर्म ध्वज फहराएंगे।प्रधानमंत्री क्रॉसिंग 11 ‘आद्यगुरु शंकराचार्य द्वार’ से मंदिर परिसर में प्रवेश करेंगे। हनुमानगढ़ी के दर्शन के पश्चात सप्त मंडप और रामायण की 3डी म्यूरल्स का अवलोकन करेंगे।
इसके साथ ही आकाश में लहराता यह भगवा ध्वज केवल धर्म का प्रतीक नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति की अमर गाथा का उद्घोष बनेगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित हजारों संत-महंत, गणमान्य जन और श्रद्धालु इस पावन क्षण के साक्षी बनेंगे। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्र ने रविवार को मंदिर परिसर का विस्तृत निरीक्षण किया और सभी एजेंसियों को अंतिम तैयारियों को शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिए।
रघुवंश के प्रतीकों से सुसज्जित 22 फीट लंबा भगवा ध्वज
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देवगिरी महाराज के अनुसार, ध्वज का आकार 22 फीट लंबा और 11 फीट चौड़ा होगा। यह वाल्मीकि रामायण में वर्णित रघुवंश के प्रतीकों—सूर्य, ॐ और कोविदार वृक्ष—से अंकित रहेगा। इसे 42 फीट ऊंचे ध्वजदंड पर स्थापित किया जाएगा, जो 360 डिग्री घूमने वाली प्रणाली से युक्त होगा और तेज हवाओं में भी मजबूती से लहराएगा।
देशभर के 108 आचार्य करेंगे वैदिक अनुष्ठान
इस अवसर से पूर्व 21 से 25 नवंबर तक पांच दिवसीय वैदिक अनुष्ठान संपन्न होगा। काशी के विद्वान गणेश्वर शास्त्री के नेतृत्व में अयोध्या, काशी और दक्षिण भारत के 108 आचार्य श्रीरामचरितमानस पाठ, श्रीराम रक्षा स्तोत्र पारायण और हवन जैसे धार्मिक आयोजन करेंगे। पांचों दिन अयोध्या नगरी श्रीराम नाम के गुंजन से गूंज उठेगी। समारोह में प्रमुख संत, महंत, विभिन्न संप्रदायों के धर्माचार्य और सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित लगभग आठ हजार श्रद्धालु शामिल होंगे।
भव्य मंदिर का स्वरूप बनेगा श्रद्धा का केंद्र
मंदिर का निर्माण परंपरागत नागर शैली में किया गया है। मंदिर की लंबाई 380 फीट और चौड़ाई 250 फीट है। तीन मंजिला इस मंदिर की प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट है। इसमें 392 स्तंभ और 44 द्वार हैं। भूतल के गर्भगृह में बालरूप श्रीरामलला विराजमान हैं, जबकि प्रथम तल पर श्रीराम दरबार के दर्शन होते हैं। मंदिर परिसर में भगवान सूर्य, मां भगवती, गणपति, भगवान शिव, अन्नपूर्णा माता, हनुमान जी, तथा निषादराज, माता शबरी, देवी अहिल्या, महर्षि वाल्मीकि, तुलसीदास, वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य, कुबेर टीला पर भगवान शिव के मंदिर का जीर्णोद्धार के साथ आदि की मूर्तियाँ स्थापित हैं। यहां तक कि रामसेतु निर्माण में योगदान देने वाली गिलहरी की प्रतिमा भी श्रद्धालुओं का विशेष आकर्षण बनेगी। मुख्य शिखर के अतिरिक्त शेषवतार मंदिर और परकोट के छ: देवी देवताओं, शिव, गणेश, हनुमान, सूर्य, भगवती और अन्नपूर्णा, के मंदिरों पर भी ध्वजारोहण होगा।
अयोध्या बनेगा वैश्विक आध्यात्मिक पर्यटन का केन्द्र : योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री मोदी को आमंत्रण दिया और इस आयोजन को उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक पहचान का उत्सव बताया। उनकी सरकार ने अयोध्या को केवल एक धार्मिक केंद्र नहीं, बल्कि वैश्विक आध्यात्मिक और पर्यटन नगर बनाने का संकल्प साकार किया है। अयोध्या में इन्फ्रास्ट्रक्चर, होटल, गेस्ट हाउस और पर्यटन सुविधाओं का अभूतपूर्व विस्तार हुआ है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति मिली है।



