उत्तर प्रदेश

अब आम नहीं खास के लिए भी महंंगा होगा मकान बनाना, जानिए क्‍या है कारण ?

Now it will be expensive to build a house not only for the common but also for the special, know what is the reason?

Panchayat24 : अपना एक घर हो ऐसा हर व्‍यक्ति सपना देखता है। इस घर की छत के नीचे ही हर व्‍यकित का परिवार फलता फूलता है। कई तरह के रिश्‍ते भी इसी घर की छत के नीचे जन्‍म लेते हें। लेकिन अब आम हो या खास, हर व्‍यक्ति के लिए अपना घर बनाने का सपना दूर दूर होता दिखाई दे रहा है। दरअसल, उत्‍तर प्रदेश ब्रिक्‍स एसोसिएशन ने अक्‍टूबर 2022 से सितम्‍बर 2023 तक ईंट भट्टे बंद रखने की घोषणा की है। देश भर में एक साल तक ईंट भट्टा संचालक हड़ताल पर रहेंगे। ऐसे में ईंट निर्माण से जुड़े लाखों मजदूरों की रोजी रोटी पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं।

क्‍या है पूरा मामला ?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ईंट भट्टा सरकार की नीतियों को लेकर नाराज हैं। उत्‍तर प्रदेश ब्रिक्‍स एसोसिएशन का आरोप है कि सरकार ईंट भट्टा संचालकों की परेशानियों के प्रति उदासीन रूख अपना रही है। वहीं ईंटों पर जीएसटी में बढोत्‍तरी और कोयले की कीमतों में 3 सौ प्रतिशत से भी अधिक की मूल्‍यवृद्धि ने ईंट भट्टा संचालकों की परेशानियों को बढ़ा दिया है।

दरअसल पिछले कुछ सालों में तेजी से कोयला को लेकर जो समस्‍या राष्‍ट्रीय और अन्‍तर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर उत्‍पन्‍न हुई है, उसका असर ईंट एवं भट्टा उद्योग पर भी दिखाई दे रहा है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चार साल पूर्व उत्‍तर प्रदेश को 12 लाख टन कोयला प्राप्‍त होता था, लेकिन वर्तमान में यह मात्रा घटकर महज 76 हजार  टन रह गई है। कोयला की आपूर्ति के लिए विदेशों से कोयला मंगाया जा रहा है, लेकिन यह बहुत महंगा पड़ रहा है। जानकारों का मानना है कि कोयले की बढ़ती कीमतें में रूस तथा यूक्रेन युद्ध भी एक अहम कारण है।

जीएसटी 5 प्रतिशत से बढाकर 12 प्रतिशत 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उत्‍तर प्रदेश ब्रिक्‍स एसोसिएशन का कहना है कि श्रमिक संविदा पर लगने वाले जीएसटी को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे ईंट उत्‍पादन पर खर्च में बढोत्‍तरी हो गई है। वहीं दूसरी ओर थर्मल पावर से निकलने वाली राख से बनने वाली ईंटों के निर्माण में सरकार नई नई तकनीक अपना रही है जिससे इन ईंटों पर लगने वाला जीएसटी कम किया गया है। साथ ही 20 हजार वर्ग फीट से अधिक के भवन निर्माण में राख से बनी ईंटों का प्रयोग अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे में ईंट भट्टा संचालकों को जहां महंगे कोयले और ईंटों पर जीएसटी की बढोत्‍तरी के कारण महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है, वहीं दूसरी ओर थर्मल पावर से निकले वाली राख से बनने वाली ईंटो की कीमत कम होने से कठिन प्रतिस्‍पर्धा से भी गुजरना पड़ रहा है।

तेजी से बढ़ेंगी ईटों की कीमत

उत्‍तर प्रदेश ब्रिक्‍स एसोसिएशन का कहना है कि जीएसटी, कोयला की कीमतों तथा कई अन्‍य सरकारी नीतियों के कारण जो परिस्थितियां पैदा हुई है, उनके कारण ईंट एवं भट्टा संचालक आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे हैं। ईंटों क उत्‍पादन लागत 4 गुना तक बढ़ गई है। लाभ की तो बात ही छोड़ दीजिए, लागत वसूलना भी मुश्किल हो गया है। ऐसे में उनके सामने ईंट भट्टों को बंद रखने के अतिरिक्‍त कोई विकल्‍प नहं है। पूरे प्रदेश में लगभग 19 हजार ईंट भट्टे आगामी एक साल तक बंद रहेंगे। तय है कि इस दौरान ईंटों की कीमतें तेजी से कई गुना तक बढ सकती हैं।

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