मिशन 2024 : विष्णु, मोहन और भजन का लक्ष्य एक, भाजपा के संदेश अनेक
Mission 2024: Vishnu, Mohan and Bhajan have one goal, many messages from BJP

डॉ देवेन्द्र कुमार शर्मा
Panchayat 24 : हाल ही में सम्पन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा को छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में दमदार जीत मिली थी। चुनाव पूर्व भाजपा ने किसी भी राज्य में मुख्यमंत्री के चेहरे की घोषणा नहीं की थी। चुनाव में परिणाम आने के बाद भाजपा तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री के नामों पर लगातार मंथन कर रही थी। मुख्यमंत्रियों के नामों की घोषणा में काफी समय लग रहा था। ऐसे में विरोधी दलों ने भाजपा पर अंदरूनी गुटबाजी के आरोप लगाए थे। लेकिन जिस प्रकार से पिछले तीन दिनों में भाजपा ने छत्तीसगढ़ से लेकर राजस्थान तक एक के बाद एक चौकाने वाले फैसले लेते हुए मुख्यमंत्रियों के नामों की घोषणा की है। भाजपा पर कटाक्ष करने वाले विरोधी भी समझ रहे हैं कि भाजपा में मुख्यमंत्रियों के नामों की घोषणा में देरी के पीछे कोई आंतरिक कलह या गुटबाजी नहीं बल्कि भाजपा की रणनीति थी। छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय को मुख्यमंत्री और अरूण साव तथा विजय शर्मा को उपमुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश में मोहन यादव को मुख्यमंत्री तथा जगदीश देवड़ा और राजेन्द्र शुक्ल को उपमुख्यमंत्री एवं राजस्थान में भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री जबकि दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा को उपमुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने भविष्य के अपने लक्ष्य और राजनीति के बारे में संकेत दे दिए हैं।
लोक सभा चुनाव 2024 के ईदगिर्द गूूत्थी जा रही है पूरी पटकथा
पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के कुछ समय बाद ही देश लोकसभा चुनाव होने हैं। लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति बना रही भाजपा के लिए छत्तीगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में मिली विजय किसी वरदान से कम नहीं है। यहां से भाजपा लोकसभा चुनावों के लिए अभेद रणनीति बनाने में जुट गई है। जिस तरह से तीनों राज्यों में मुख्यमंत्रियों के नाम सामने आए हैं उससे पार्टी ने हर नजरिए से 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को साधने का पूरा प्रयास किया है। भले ही कुछ लोगों को पार्टी द्वारा तीनों राज्यों में नए चेहरों पर दांव खेलना अटपटा या चौकाने वाला लगे, लेकिन यहां से पार्टी ने साधारण, निर्विवाद और नया चेहरा लाकर लोकसभा चुनाव की पिच अपनी अपेक्षाओं के अनुरूप तैयार कर ली है।
मुख्यमंत्रियों के नामों की घोषणा में छिपे हैं भाजपा के अहम संकेत
राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पार्टी ने भजनलाल शर्मा, मोहन यादव और विष्णु देव साय को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने भविष्य की राजनीति के संकेत भी दे दिए हैं। वहीं विरोधी दलों की राजनीतिक क्षमता को भी आंकने की कोशिश की है। सबसे बड़ा संकेत यही है कि आगामी कुछ सालों तक भाजपा की राजनीति पूरी तरह से दिल्ली और नागपुर केन्द्रित होने जा रही है।
भाजपा में संघ, संगठन और साधारण को तवज्जो
भाजपा ने मुख्यमंत्रियों के चयन से स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि पार्टी में मेहनत करने वाले कार्यकर्ता को उसकी मेहनत का प्रतिफल दिया जाएगा। संघ से निकले कार्यकर्ताओं में अनुशासन, मेहनत और समर्पण का भाव कूटकूटकर भरा होता है। जो कार्यकर्ता संगठन के लिए समर्पित रहे हैं उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी। पार्टी ने साधारण कार्यकर्ताओं को मुख्यमंत्री बनाकर पार्टी के उन नेताओं और कार्यकर्ताओं को स्पष्ट संकेत दे दिया है जो वीआईपी क्लचर को पसंद करते हैं। भाजपा में जो लोग केवल अपने परिवार, साधन सम्पन्नता और रूतबे के आधार पर पद पाने की लालस रखते हैं, उनके लिए पार्टी ने साफ संदेश दे दिया है। संकेतों से स्पष्ट पता चलता है कि भाजपा के लिए पार्टी हित व्यक्ति से ऊपर है।
परिवारवादी पार्टियों की घेराबंदी
भाजपा हमेशा से विरोधी दलों पर परिवारवादी होने का आरोप लगाते रही है। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में सामान्य कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने विरोधी दलों एक चुनौती पेश की है। भाजपा के इस दांव से ऐसे सभी दलों के लिए, जिनका आधार परिवारवाद के इर्दगिर्द घूमता है, मुश्किलें पैदा कर दी हैं। ऐसी पार्टियों के कार्यकर्ताओं के मन में भी भाजपा के इस फैसले से बदलाव का भाव अवश्य आएगा।
भजनलाल शर्मा के सहारे ब्राह्मणों को साधने का प्रयास
देश में पिछले कुछ समय से ओबीसी की राजनीति अंगड़ाई भर रही थी। सभी दल वोटबैंक की राजीनति के चलते इससे अछूते नहीं थे। भाजपा भी इसी दिशा में आगे बढ़ चली थी। ऐसे में भाजपा का कोर वोटबैंक माने जाने वाले ब्राह्मणों की भाजपा की राजनीति में अनदेखी दिख रही थी। आंकड़ों की माने तो देश में ब्राह्मणों की संख्या 5 प्रतिशत और राजस्थान में कुल प्रतिशत ब्राह्मण हैं। भाजपा ने पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा के रूप में ब्राह्मण चेहरे को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने देश के ब्राह्मण समाज को साधने का प्रयास किया है। बता दें कि राजस्था में अभी तक सबसे अधिक 15 में से 6 बार ब्राह्मण चेहरों को मुख्यमंत्री बने हैं। राजस्थान में प्रेम चंद बैरवा को उपमुख्यमंत्री बनाकर दलित समाज को साधने का प्रयास किया गया है। भाजपा कतई नहीं चाहेगी कि दलित वोट बैंक विरोधी दलों के पाले में चला जाए। वहीं सियासी एवं राजनीतिक समीकरणों को साधने और महिला सशक्तिकरण के एजेंडे के तहत दीया कुमारी को भी राजस्थान में उपमुख्यमंत्री बनाया गया है।
मोहन यादव के रूप में मध्य प्रदेश से उत्तर प्रदेश और बिहार के यादव तथा देश भर के ओबीसी समाज को संदेश देने का प्रयास
मध्य प्रदेश में भाजपा ने मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर उत्तर प्रदेश और बिहार के यादव समाज और तमाम देश के ओबीसी समाज को एक संदेश दे दिया है। दरअसल, भाजपा पर यादव विरोधी होने का आरोप विरोधी दल, विशेष तौर पर उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बिहार में राष्ट्रीय जनता दल। हालांकि भजापा ने यादव समाज के कई बड़े नेताओं को सरकार और संगठन में अहम पदों पर स्थान दिया है। आंकड़ों की माने तो उत्तर प्रदेश और बिहार में यादव समाज की संख्या लगभग 10 से 12 प्रतिशत है। दोनों ही राज्यों में यादव समाज की ठेकेदार होने का दावा समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल करते रहे हैं। यह बात भी सही है कि इन राज्यों में भाजपा के पास पहले मुलायम सिंह यादव और लालू यादव और वर्तमान में अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव जैसा बड़ा चेहरा नहीं है जिसके ईर्दगिर्द यादव समाज चक्कर लगाता हो। ऐसे में भाजपा चाह कर भी इन राज्यों में यादव लीडरशिप के तौर पर बड़ी लकीर नहीं खींच सकी है। मध्य प्रदेश में भाजपा को शिवराज सिंह चौहान के स्थान पर ऐसे चेहरे की तलाश में थी जो उनके पैमाने पर फिट बैठता हो और बिहार एवं उत्तर प्रदेश की यादव लीडरशिप का जवाब भी हो। मोहन यादव को मध्य प्रदेश जैसे राज्य का मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने अखिलेश यादव एवं तेजस्वी यादव जैसी यादव लीडरशिप की बराबरी भी कर ली। वहीं, देश भर के ओबीसी समुदाय को स्पष्ट संके दे दिए है कि भले ही उन्होंने शिवराज सिंह चौहान के रूप में एक ओबीसी नेता को मुख्यमंत्री पद से हटाया है लेकिन उसकी भरपाई मोहन यादव के रूप में एक ओबीसी नेता से ही की है। मध्य प्रदेश में भाजपा ने जगदीश देवड़ा को उपमुख्यमंत्री बनाकर दलित समाज को साधने की कोशिश की है। वहीं राजेन्द्र शुक्ल को भी प्रदेश का उपमुख्यमंत्री बनाकर पार्टी के कोर वोटबैंक ब्राह्मण समाज को भी साधने का प्रयास किया गया है। आंकड़ों पर विश्वास करें तो मध्य प्रदेश में 51 फीसदी ओबीसी, 5 फीसदी ब्राह्मण और 17 फीसदी दलित आबादी है।
विष्णु देव साय के सहारे आदिवासी समाज को साधने का प्रयास
छत्तीसगढ़ में भाजपा ने बड़े चेहरों को पीछे छोड़कर अनुसूचित जनजाति से आने वाले साधारण कार्यकर्ता विष्णु देव साय को प्रदेश का मुख्यमंत्री चुना है। विष्णु देव साय के सहारे पार्टी ने देश के आदिवासी समाज को साधने का प्रयास किया है। यदि आंकड़ों पर विश्वास करें तो पूरे देश में आदिवासी समाज अर्थात अनुसूचित जनजाति की कुल आबादी 9 फीसदी और छत्तीसगढ़ में 34 फीसदी आबादी है। आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में बहुत कम समय बचा है। ऐसे में पार्टी ने विष्णु देव साय को आगे करके बड़ा दाव खेला है। ऐसा करके भाजपा आदिवासी क्षेत्रों में एक संदेश देकर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। वहीं, पार्टी ने छत्तीसगढ़ में अरूण साव को उपमुख्यमंत्री बनाकर ओबीसी आबादी को भी साधा है। अरूण साव छत्तीसगढ़ की साहू जाति से आतिे हैं। साहू छत्तीगढ़ के कुल ओबीसी वोटबैंक की 20 फीसदी आबादी है। वहीं, विजय शर्मा को भी उपमुख्यमंत्री बनाकर ब्राह्मण आबादी को साधा है।
नई पीढ़ी को आगे बढ़ाने का प्रयास, गुटबाजी और आंख दिखाने वाले नेताओं का उपचार
भाजपा ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में नए चेहरों पर मुख्यमंत्री पद का दांव खेलकर साफ संकेत दे दिया है कि पार्टी भविष्य के लिए नई पीढ़ी को आगे लाना चाहती है। इसी के चलते मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान और नरेन्द्र तोमर को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया है। वहीं छत्तीसगढ़ में भी रमण सिंह पार्टी की इसी नीति के चलते मुख्यमंत्री पद से दूर हो गए। जबकि राजस्थान में पार्टी पर दबाव बानाने और आंख दिखाने वाली वसुंधरा राजे सिंधिया का भी भाजपा ने उपचार कर दिया है। जानकारों की माने तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी साल 2024 में भारी बहुमत से सरकार बनाएंगे। वहीं सबकुछ ठीक ठाक रहा तो वह साल 2029 में भी भाजपा उनके नेतृतव में चुनाव में जा सकती है। इसके बाद पार्टी को नई लीडर शिव की आवश्यकता पड़ेगी। इसी बात को ध्यान में रखते हुए भाजपा द्वितीय पायेदान पर खड़े नेताओं को पार्टी की अग्रिम पंक्ति के लिए तैयार कर रही है। पार्टी इस काम को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में शुरू कर चुकी है।