गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट : भाजपा गुटबाजी में कहीं पर निगाहें, कहीं पर निशाना, पर्दे के पीछे पक रही है खिचड़ी ?
Gautam Budh Nagar Lok Sabha seat: In BJP factionalism, eyes are somewhere, target is somewhere, Khichdi is being cooked behind the scenes?

Panchayat 24 : लोकसभा चुनाव 2024 जैसे जैसे करीब आ रहे हैं, राजनीतिक सरगरमी तेज हो रही है। गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट पर सत्ताधारी पार्टी और विरोधियों के बीच बड़ा अंतर दिख रहा है। यह भाजपा के लिए सुकून देने वाली खबर हो सकती है। लेकिन पार्टी के अन्दर जिस तरह से अन्दरूनी गुटबाजी आकार ले चुकी है, वह चुनाव से पूर्व जरूर गुल खिलाएगी। ऐसे में गौतम बुद्ध नगर लोकसभा चुनाव 2024 की रोचकता पूरी तरह भाजपा की गुटबाजी पर आकर टिक गई है। चुनाव में कौन कौन से राजनीतिक दलों के बीच टक्कर होगी, इसकी अपेक्षा मतदाताओं की रूचि इस बात में अधिक है कि भाजपा की गुटबाजी में अंतत: किसको बढ़त मिलेगी ? पार्टी का शीर्ष नेतृत्व किसको टिकट सौंपता है ? अर्थात गौतम बुद्ध नगर भाजपा की गुटबाजी के केन्द्र में लोकसभा चुनाव 2024 का टिकट है। टिकट हासिल करने के लिए गुटबाजी में अतरंगी चालें चली जा रही है। जानकारों की माने तो भाजपा की गुटबाजी में जो दिखाई दे रहा है, उससे अधिक पर्दे के पीछे मोर्चाबंदी हो रही है।
एक दशक पुरानी है भाजपा की गुटबाजी
गौतम बुद्ध नगर भाजपा की गुटबाजी एक दशक से भी अधिक पुरानी है। साल 2007-08 में हुए परिसीमन के बाद इस सीट पर दो बड़े बदलाव हुए। पहला, खुर्जा लोकसभा क्षेत्र का नाम बदलकर गौतम बुद्ध नगर लोकसभा क्षेत्र हो गया। दूसरा, आजादी के बाद से लगातार आरक्षित चली आ रही इस सीट को आरक्षण से बाहर कर दिया गया। परिणामस्वरूप इस सीट पर साल 2009 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए ब्राह्मण, ठाकुर, गुर्जर और वैश्य आदि समाज के लोगों ने भाजपा के टिकट के लिए दावेदारी पेश की। डॉ महेश शर्मा पर विश्वास व्यक्त करते हुए भाजपा ने उम्मीदवार बनाया। पार्टी के एक धड़े को पार्टी हाईकमान का यह निर्णय नागवार गुजरा। इस धड़े ने चुनाव में पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ विरोधी उम्मीदवर की जीत में सहयोग किया। यहीं से भाजपा की गुटबाजी शुरू हो गई। एक गुट में डॉ महेश शर्मा और उनके समर्थक रहे जबकि दूसरे गुट में डॉ महेश शर्मा विरोधी खेमा लामबंद हो गया। बाद में यह गुटबाजी आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भी दिखी।
विधानसभा चुनाव 2017 के बाद गुटबाजी का स्वरूप बदल गया
गौतम बुद्ध नगर भाजपा के अंदर चली आ रही गुटबाजी अभी तक भाजपा के मूल कार्यकर्ताओं के अंदर वर्चस्व की लड़ाई थी। साल 2017 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद गुटबाजी का स्वरूप बदल गया। अभी तक भाजपा के मूल कार्यकर्ताओं के बीच दिख रही वर्चस्व की जंग में दूसरी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए लोग भी कूद पड़े। भाजपा के एक गुट में डॉ महेश शर्मा और उनके समर्थक शामिल रहे। वहीं, विरोधी गुट की बागडोर 2017 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले जेवर विधायक ठाकुर धीरेन्द्र सिंह के हाथों में चली गई। साल 2019 लोकसभा चुनावों के दौरान समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद सुरेन्द्र सिंह नागर ने भाजपा का दामन थाम लिया। लोकसभा चुनाव में विरोधी गुट पर पार्टी प्रत्याशी डॉ महेश शर्मा के विरोध में काम करने के आरोप लगे। सुरेन्द्र सिंह नागर के डॉ महेश शर्मा विरोधी गुट में शामिल होने से इस गुट की ताकत बढ़ गई। पहली बार स्थानीय सांसद डॉ महेश शर्मा गुट का अभी तक का मजबूत विरोधी गुट तैयार हो गया।
भाजपा की अंदरूनी गुटबाजी में कौनसा खिलाड़ी किस खेमे में खड़ा हैं ?
गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट पर चल रही भाजपा की अंदरूनी गुटबाजी का असर पार्टी के सामान्य कार्यकर्ताओं पर भी पड़ा है। सामान्य कार्यकर्ता ने इन गुटों से खुद को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से जोड़ लिया है। इसके बावजूद दोनों ही गुटों के कुछ बड़े खिलाड़ी हैं जो गुटबाजी को संतुलित और नियंत्रित करने की क्षमता रखते हैं। इनमें डॉ महेश शर्मा गुट के बड़े खिलाडियों में दादरी विधायक तेजपाल सिंह नागर, सिकन्द्राबाद विधायक लक्ष्मीराज सिंह, खुर्जा विधायक मीनाक्षी सिंह, एमएलसी श्रीचंद शर्मा, एमएलसी नरेन्द्र सिंह भाटी, जेवर के पूर्व विधायक वेदराम भाटी, जिला बुन्दशहर के भाजपा जिलाध्यक्ष विकास चौहान और गौतम बुद्ध नगर के जिला पंचायत अध्यक्ष अमित चौधरी आदि का नाम प्रमुख है।
वहीं, धीरेन्द्र सिंह गुट में राज्यसभा सांसद सुरेन्द्र सिंह नागर, नोएडा विधायक पंकज सिंह और सिकन्द्राबाद की पूर्व विधायक विमला सोलंकी का नाम प्रमुख रूप से शामिल हैं। इसके अतिरिक्त नोएडा भाजपा महानगर अध्यक्ष मनोज गुप्ता, गौतम बद्ध नगर भाजपा जिलाध्यक्ष गजेन्द्र मावी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश अध्यक्ष सतेन्द्र सिंह सिसौदिया पद की जिम्मेवारियों के कारण तटस्थ प्रतीत होते हैं। लेकिन कई मौकों पर इनका आचरण गुट विशेष के पक्ष में झुका हुआ प्रतीत हुआ है। वहीं, पूर्व विधायक नवाब सिंह नागर को डॉ महेश शर्मा विरोधी गुट का बड़ा चेहरा माना जाता है। पिछले कुछ समय से वह तटस्थ दिख रहे हैं। बीती दीपावली से पूर्व डॉ महेश शर्मा और उनकी पत्नी नवाब सिंह नागर के घर शुभकामनाएं देने पहुंचे थे। इस घटना ने राजनीतिक पंडितों को चौंंका दिया था।
भाजपा की गुटबाजी में लखनऊ और दिल्ली दरबार का भी दिखा है दम
गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट पर भाजपा की गुटबाजी में लखनऊ और दिल्ली दरबारों का शक्ति प्रदर्शन भी सामने आया है। जानकारों के अनुसार लखनऊ दरबार का आशीर्वाद डॉ महेश शर्मा विरोधी गुट को प्राप्त है। इसके सहारे यह गुट समय समय पर जिले में प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से शक्ति प्रदर्शन करके अपनी ताकत का एहसास कराता रहा है। वहीं, जानकार मानते हैं कि डॉ महेश शर्मा के सिर पर दिल्ली दरबार का बड़ा आशीर्वाद है। पिछली कुछ समय में इस प्रकार की कुछ घटनाएं सामने आई हैं जिनमें इस बात के प्रमाण मिले हैं।
डॉ महेश शर्मा भाजपा टिकट के सबसे प्रबल दावेदार, विरोधी गुट चाहता है हर हाल में कटना चाहिए सांसद का टिकट
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट से सांसद डॉ महेश शर्मा सबसे अधिक प्रबल दावेदारों में से एक हैं। जानकारों का मानना है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में दावेदारी पेश करना हर पार्टी कार्यकर्ता का अधिकार होता है। यदि बहुत बड़ा उलटफेर नहीं हुआ तो डॉ महेश शर्मा को एक बार फिर से पार्टी का टिकट मिलने की बेहतर संभावनाएं हैं। वहीं, विरोधी गुट की ओर से टिकट के लिए दावेदारी पेश की जा रही है। वहीं, कुछ दावेदारों को समर्थन भी दिया जा रहा है। जेवर विधायक के समर्थक सोशल मीडिया पर खुलेआम उन्हें गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट का आगामी सांसद बताकर प्रचार करते रहे हैं।
धीरेन्द्र सिंह भी कई बार सार्वजनिक मंचों से इस बात के संकेत देते रहे हैं कि वह लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा के टिकट के दावेदार हैं। राज्यसभा सांसद सुरेन्द्र सिंह नागर को भी डॉ महेश शर्मा के खिलाफ टिकट का बड़ा दावेदार माना जा रहा है। हालांकि अभी तक उन्होंने स्वयं की दावेदारी सार्वजनिक तौर पर पेश नहीं की है। डॉ महेश शर्मा के खिलाफ भाजपा के टिकट के लिए एक और दोवदार गौतम बद्ध नगर के पूर्व जिलाधिकारी बीएन सिंह भी है। वह लगातार क्षेत्र में लोगों से जनसंपर्क कर अपनी दावेदारी को मजबूत कर रहे हैं। हाल फिलाहाल सिकन्द्रबाद की पूर्व विधायक बिमला सोलंकी भी गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट से टिकट की दावेदार बताई जा रही हैं। पूर्व विधायक नवाब सिंह नागर भी भाजपा के टिकट के दावेदारों में बड़ा नाम हैं।
भाजपा की गुटबाजी लांघ रही है शिष्टाचार की मर्यादाएं
गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट पर भाजपा की गुटबाजी जिस स्तर पर पहुंच चुकी है, वहां राजनीतिक मर्यादाएं और शिष्टाचार की सीमाएं लांघी जा रही हैं। लोकसभा चुनाव करीब आते ही इसमें तेजी आई है। अभी तक गुटबाजी में विरोध अप्रत्यक्ष रूप से ही दिख रहा था। लोकसभा चुनाव करीब आते ही यह गुटबाजी नए नए रूपों में सामने आने लगी है। भाजपा की विकसित भारत संकल्प यात्रा और सांसद संवाद कार्यक्रम में भी इसके दर्शन हुए हैं। क्षेत्र में घट रही सामान्य घटनाओं को विरोधी गुटों के खिलाफ हथियार के रूप में प्रयोग किया जाने लगा है। गुट विशेष के समर्थकों द्वारा जातीवाद को हवा देकर अपने समर्थक गुट के पक्ष में राजनीतिक माहौल बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। कुछ स्थानों पर डॉ महेश शर्मा का सार्वजनिक तौर पर विरोध की घटनाएं हुई है। बाद में विरोध करने वालों के संबंध दूसरे गुट से निकले हैं, जो विरोध के पीछे साजिश की ओर इशारा करती है। वहीं, कुछ घटनाओं में विरोध करने वालों और आरोप लगाने वालों ने डॉ महेश शर्मा के विरोध की बातों का खंडन किया है। उनके बयानों की वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई हैं। अर्थात भाजपा की गुटबाजी राजीनतिक लाभ के लिए राजनीतिक शिष्टाचार को ताक पर रख रही है।
विरोधी गुट कटवा देगा डॉ महेश शर्मा का टिकट ? परदे के पीछे पक रही है खिचड़ी ?
जानकारों की माने तो गौतम बुुद्ध नगर भाजपा की गुटबाजी लोकसभा चुनाव से पूर्व अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। दोनों गुटों के बीच वर्चस्व की लड़ाई आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा का टिकट हासिल करने और टिकट कटवाने पर आकर ठहर गई है। डॉ महेश शर्मा गुट के समर्थक स्थानीय सांसद को लोकसभा टिकट दिए जाने का पुरजोर समर्थन कर रहा है। वहीं, विरोधी गुट हर हाल में वर्तमान सांसद डॉ महेश शर्मा का टिकट कटवाना चाहता है। डॉ महेश शर्मा के पास केवल एक ही विकल्प है पार्टी का टिकट हासिल करना।
वहीं, विरोधी खेमे के पास दो विकल्प है। पहला, डॉ महेश शर्मा के स्थान पर उनके खेमे के किसी भी दावेदार को टिकट मिल जाए। दूसरा, यदि उनके गुट के किसी दावेदार को टिकट नहीं मिलता है तो डॉ महेश शर्मा को भी टिकट नहीं दिया जाए। ऐसे में पार्टी का शीर्ष नेतृतव किसी तीसरे विकल्प पर विचार करे। डॉ महेश शर्मा विरोधी खेमा इसमें भी अपनी जीत देख रहा है। जानकारों का मानना है कि डॉ महेश शर्मा विरोधी गुट जमीनी हकीकत से परिचित है कि वर्तमान परिस्थितियों में उनके गुट का कोई भी सदस्य डॉ महेश शर्मा का टिकट कटवाकर टिकट प्राप्त करने की स्थिति में नहीं है।
जानकार मानते हैं कि ऐसे में डॉ महेश शर्मा विरोधी गुट पर्दे के पीछे तीसरे विकल्प पर काम कर रहा है। यह गुट चाहता है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व किसी तरह तीसरे विकल्प पर विचार करने के लिए बाध्य हो जाए। डॉ महेश शर्मा और उनके स्थान पर किसी तीसरे व्यक्ति को टिकट देने का निर्णय करे। ऐसी स्थिति के लिए विरोधी गुट क्षेत्र में लोकसभा चुनाव के लिए होने वाले टिकट वितरण से पूर्व डॉ महेश शर्मा के विरोध में एक माहौल तैयार करने में जुटा है। इसके लिए सोशल मीडिया और पार्टी कार्यक्रमों के आयोजनों को इस्तेमाल किया जा रहा है।
यदि यह बात सही है तो बड़ा सवाल यह है कि क्या कोई ऐसा चेहरा है जिसके लिए डॉ महेश शर्मा विरोधी गुट फिल्डिंग सेट कर रहा है ? जिस तीसरे विकल्प के नाम पर डॉ महेश शर्मा विरोधी गुट अपना समर्थन देने को तैयार है, ऐसा चेहरा कौन हो सकता है ? क्या वह लखनऊ दरबार का करीबी है ? क्या वह दिल्ली दरबार में डॉ महेश शर्मा से मजबूत पकड़ रखता है ? क्या कोई ऐसा चेहरा है जिसके ऊपर लखनऊ और दिल्ली दरबार, दोनों की सहमति है ? बहरहाल गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट पर भाजपा की गुटबाजी का ऊंट किस करवट बैठेगा, इस सवाल का उत्तर भविष्य के गर्भ में है। इतना जरूर तय है कि जिस तरह से वर्तमान सांसद डॉ महेश शर्मा की घेराबंदी की जा रही है, विरोधी गुट भी यह मान चुका है कि लोकसभा चुनाव 2024 में पार्टी के टिकट के लिए डॉ महेश शर्मा वाकई में मजबूत और ठोस दावेदार है।