नोएडा प्राधिकरण
हैबिटेट एण्ड कन्वेंशन सेंटर : नोएडा की सांस्कृतिक–व्यावसायिक हब निर्माण योजना फाइलों में हुई कैद
Habitat and Convention Centre: Plans for Noida's cultural-commercial hub building remain stuck in files

डॉ देवेन्द्र कुमार शर्मा
Panchayat 24 (नोएडा) : शायद इंसान ही नहीं ईंट एवं पत्थरों से निर्मित इमारत और सड़क का भी भाग्य उदय और अस्त होता है। ऐसा मैं इस लिए कह रहा हूं कि नोएडा की एक महत्वाकांक्षी परियोजना भंगेल आगहापुर एलिवेटिड रोड़ का भाग्य आखिरकार उदय हो गया जबकि नोएडा शहर की पहचान से जोड़कर देखा जाने वाला हैबिटेट एण्ड कन्वेंशन सेंटर का भाग्य अस्त प्रतीत हो रहा है। यह महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू होने के बावजूद बंद हो गई। नोएडा की सांस्कृतिक एवं व्यवसायिक गतिविधियों का केन्द्र के रूप में देखी जा रही इस इमारत की फाइल प्राधिकरण के किसी अधिकारी की टेबल की शोभा बढ़ा रही है अथवा अलमारी में कैद है।
दरअसल, नोएडा के सेक्टर-94 में हैबिटेट एण्ड कन्वेंशन सेंटर का निर्माण किया जाना था। साल 2017 में पहली बार इस परियोजना पर विचार किा गया। इस इमारत को स्मार्ट बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया था। इसके लिए ग्रीन बिल्डिंग बनाने का प्रस्ताव था, जिसे ग्रीन प्लैटिनम रेटिंग प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किया गया था। इमारत और आसपास के क्षेत्र में होटल, आवासीय और व्यावसायिक टावर बनाने की योजना भी थी। इसका निर्माण उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम लिमिटेड (यूपीआरएनएन) को करना था। लगभग 97 हजार वर्गफुट भूमि पर बनने वाली इस इमारत के निर्माण पर कुल 685 करोड़ खर्च होने थे, इसमें 443 करोड़ केवल सिविल वर्क का काम होना है।
साल 2020 में टेंडर प्रक्रिया शुरू हुई। जल्द ही निर्माण कार्य भी शुरू हुआ था। लेकिन सपना परवान नहीं चढ़ सका और साल 2021 में इसके निर्माण पर रोक लग गई। इसके पीछे निर्मात्री संस्था द्वारा टेंडर की शर्तों का उल्लंघन, धीमी गति से निर्माण कार्य और निर्माण साइट से भारी मात्रा में मिट्टी का खनन करके अवैध रूप से बेचने के आरोप लगे। मामले की जांच के शुरू हुई। दोषी पाए जाने पर प्राधिकरण ने यूपीआरएनएन की लगभग 26 करोड़ की जमानत राशि जब्त कर ली। हालांकि अभी मामला अर्बिटेशन में चल रहा है।
अप्रैल 2025 में संपन्न हुई प्राधिकरण की 217वीं बोर्ड बैठक में एक बार फिर इस परियोजना को लेकर विस्तार से चर्चा की गई। मुख्य सचिव के सामने पुन: प्रस्तुतीकरण किया गया। काफी लंबे मंथन के बाद नए शिरे से इसकी डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए गए। प्राधिकरण द्वारा इस इमारत को पीपीपी मॉडल पर विकसित करने की चर्चा थी। हालांकि आगामी बोर्ड बैठक में इसको प्रस्तुत किया जाना है, लेकिन वर्तमान में इसको लेकर कोई सुगबुगाहट एवं चर्चा नहीं है। नोएडा शहर की पहचान से जुड़ी परियोजना की ऐसी दुगर्ति से प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारियों की नीयत पर सवाल उठाते हैं। वहीं, वर्तमान अधिकारियों के लिए परियोजना को धरातल पर उतारना बड़ी चुनौती है।



