दादरी विधानसभा

दादरी नगरपालिका में महाभारत : सभासदों के त्‍याग पत्र दिए जाने के बाद किस करवट बैठेगा ऊंट ?

Mahabharata in Dadri Municipality: On which side will the camel sit after the resignation letters of the councilors?

डॉ देवेन्‍द्र कुमार शर्मा

Panchayat 24 : जिले की एक मात्र नगरपालिका परिषद दादरी में एक साथ 14 सभासदों के त्‍याग पत्र के बाद स्‍थानीय राजनीति में सरगरमी तेज हो गई है। हालांकि अभी तक सभासदों का त्‍याग पत्र स्‍वीकार नहीं हुआ है। त्‍याग पत्र देने वाले सभासद आज (मंगलवार) इस विषय पर जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा से मुलाकात करेंगे। बता दें कि सभासदों ने नगरपालिका में बड़े पैमाने पर भ्रष्‍टाचार व्‍याप्‍त होने की बात कहते हुए मुख्‍यमंत्री, मुख्‍य सचिव और जिलाधिकारी के नाम से अपना त्‍याग पत्र मुख्‍यमंत्री पोर्टल पर डाले हैं। जिलाधिकारी कार्यालय में भी त्‍याग पत्र की कॉपी दी गई है।

कैसे शुरू विवाद हुआ ?

दरअसल, पिछले साल सम्‍पन्‍न हुए नगर निकाय चुनाव में नगरपालिका परिषद के अध्‍यक्ष पद पर गीता पंडित ने जीत दर्ज की थी। इन चुनावों में नगरपालिका परिषद के 25 वार्डों से सभासद भी चुनकर आए थे। नगर निकाय चुनाव के बाद से ही नगरपालिका अध्‍यक्ष गीता पंडित और सभासदों के बीच मतभेद उभरने शुरू हो गए थे। लगभग छ: महीना पूर्व दोनों पक्षों के बीच इतना तनाव बढ़ गया था कि सभासदों ने एक साझा प्रेसवार्ता कर दादरी नगरपालिका अध्‍यक्ष पर मनमानी का आरोप लगाते हुए नगरपालिका कार्यालय में भ्रष्‍टाचार की बात कही थी। इस समय भी सभासदों द्वारा त्‍याग पत्र की बात कही थी। हालांकि प्रशासनिक अधिकारियों के दखल के बाद मामला शांत हो गया था। सभासदों और नगरपालिका अध्‍यक्ष और अधिशासी अभियंता के बीच का यह विवाद एक बार फिर उभर कर सामने आया है।

नगरपालिका अध्‍यक्ष पर दबाव बनाने की रणनीति !

जानकारों की माने तो दादरी नगर का एक धड़ा नगरपालिका अध्‍यक्ष गीता पंडित का धुर विरोधी रहा है। इस धड़े ने गीता पंडित को भाजपा द्वारा फिर से नगरपालिका परिषद के अध्‍यक्ष पद का उम्‍मीदवार बनाने का पुरजोर विरोध किया था। हालांकि गीता पंडित भाजपा की उम्‍मीदवारी प्राप्‍त करने और जीत दर्ज करने में कामयाब रही। जानकारों की माने तो गीता पंडित का विरोधी धड़ी भाजपा से जुड़ा है। इसके बावजूद इस धड़े ने गीता पंडित का चुनाव में विरोध किया था। इस धड़े का नगरपालिका परिषद में जीतकर आए सभासदों पर प्रभाव बताया जाता है। ऐसे में दादरी नगर की राजनीति के जानकारों का मानना है कि नगर निकाय चुनावों से पूर्व चला आ रही भाजपा के दो धड़ों के बीच की यह अदावत दादरी नगरपालिका में अध्‍यक्ष गीता और सभासदों के बीच दिखाई दे रही है। बता दें कि त्‍याग पत्र देने वाले सभासदों में भाजपा के लोग भी शामिल हैं।

नगरपालिका अध्‍यक्ष के वर्चस्‍व और सभासदों की महत्‍वाकांक्षा के बीच टकराव का परिणाम है त्‍याग पत्र प्रकरण

दादरी नगरपालिका के 14 सभासदों के द्वारा इस्‍तीफा दिए जाने के मामले में जानकारों का मानना है कि यह पूरा प्रकरण नगरपालिका परिषद अध्‍यक्ष गीता पंडित के वर्चस्‍व और चुनाव जीतकर आए सभासदों की महत्‍वाकांक्षाओं के बीच टकराव का परिणाम है। दरअसल, गीता पंडित लगातार तीसरी बार दादरी नगरपालिका परिषद की अध्‍यक्ष बनी हैं। वह नगरपालिका परिषद में पूर्व से चली आ रही परंपराओं के अनुसार ही पूरी व्‍यवस्‍था को चलाना चाहती है। यह उनके लिए सुविधा पूर्ण है।

वहीं, दादरी नगरपालिका परिषद के वार्डों का चुनाव जीतकर आए सभासद नगरपालिका में अपनी भूमिका को बड़ा आकार देना चाहते हैं। सभासद नगरपालिका परिषद में होने वाले हर काम पर अपनी निगरानी चाहते हैं। एक तरह से कहे तो सभासद दादरी नगरपालिका परिषद की वीटो पावर हासिल करना चाहते हैं। उनके द्वारा सभासदों की एक निगरानी समिति के गठन की मांग इस तरफ ही इशारा करती है। इस समिति का अध्‍यक्ष भी एक सभासद ही होगा। सभासद नगरपालिका एक्‍ट का हवाला देते हुए इस समिति की मांग कर रहे हैं। वहीं, नगरपालिका परिषद की अध्‍यक्ष गीता पंडित का कहना है कि उनकी याद में कभी भी नगरपालिका परिषद में इस तरह की निगरानी समिति नहीं बनी है। उनका कहना है कि सभासद इस समिति के लिए बोर्ड में प्रस्‍ताव पास कराएं। प्रस्‍ताव को शासन के पास भेजा जाएगा। शासन से जो भी निर्णय होगा वह मान्‍य होगा।

सभासद नगरपालिका की वीटो पावर क्‍यों हासिल करना चाहते हैं ?

दादरी नगरपालिका परिषद के सभासदों द्वारा नगरपालिका में व्‍याप्‍त भ्रष्‍टाचार की बात कहते हुए त्‍याग पत्र दिया गया है। सभासदों का कहना है कि नगरपालिका में होने वाली बैठकों में उनकी बात को नहीं सुना जाता है। नगरपालिका में क्‍या चल रहा है ?  इसकी जानकारी तक सभासदों को नहीं दी जाती है। ऐसे में निगरानी समिति के गठन के बाद नगरपालिका की गतिविधियों पर नजर रखी जा सकेगी। सभासदों ने नगरपालिका परिषद की अध्‍यक्ष गीता पंडित और अधिशासी अधिकारी दीपिका शुक्‍ला पर भी भ्रष्‍टाचार के आरोप लगाए हैं।

वहीं, नगरपालिका अध्‍यक्ष गीता पंडित का कहना है कि सभासदों के आरोपों की सच्‍चाई सामने आनी चाहिए। सभासदों के आरोपों पर उन्‍होंने कहा कि नगरपालिका में होने वाले हर विकास कार्य की संबंधित विभाग द्वारा नियमित जांच होती है। शासन एवं प्रशासन द्वारा विकास कार्यों पर होने वाले खर्च पर नजर रखी जाती है। इसके बावजूद यदि किसी को लगता है कि नगरपालिका में भ्रष्‍टाचार है तो सभासदों द्वारा लगाए गए सभी आरोपों की जांच शासन अथवा प्रशासन द्वारा करा ली जाए। हम हर तरह की जांच के लिए तैयार हैं।

ऐसे में सभासदों द्वारा दिए गए त्‍याग पत्र पर एक सवाल यह भी उठता है कि यदि उन्‍हें लगता है कि नगरपालिका परिषद में भ्रष्‍टाचार मचा हुआ है तो वह एसडीएम, एडीएम और जिलाधिकारी सहित अन्‍य आला अधिकारियों और शासन स्‍तर पर मामले की शिकायत कर जांच की मांग कर सकते हैं। फिर उन्‍होंने त्‍याग पत्र देने का विकल्‍प ही क्‍यों चुना ? जानकारों का मानना है कि यह सभासदों की नगरपालिका अध्‍यक्ष और अधिशासी अधिकारी पर प्रेशर पॉलिटिक्‍स हो सकती है।

नगरपालिका अध्‍यक्ष को सभासदों की चिंताओं पर ध्‍यान क्‍यों नहीं दे रही है ?

दादरी नगरपालिका परिषद के सभासद लगातार नगरपालिका में भ्रष्‍टाचार की बात कह रहे हैं। उनके द्वारा नगरपालिका परिषद के कर्मचारियों, अधिशासी अधिकारी और नगरपालिका परिषद अध्‍यक्ष पर भ्रष्‍टाचार के आरोप लगाए जा रहे हैं। सभासदों का आरोप है कि उनकी बातों को सुना नहीं जाता है। बैठकों में उनकी अनुपस्थिति में ही एजेंडा पास कर लिया जाता है। नगरपालिका में क्‍या चल रहा है ? इसकी भनक तक सभासदों को नहीं लगती है। ऐसे में सवाल उठता है कि नगरपालिका अध्‍यक्ष सभासदों की चिंताओं की अनदेखी क्‍यों कर रही है ? नगरपालिका अध्‍यक्ष क्‍यों बढ़कर सभासदों से बातचीत कर मामले का समाधान क्‍यों नहीं तलाश रही है ?

सभासदों की शिकायत पर क्‍यों नहीं हुई जांच ?

त्‍याग पत्र देने वाले सभासदों की माने तो नगरपालिका में चल रहे भ्रष्‍टचार की शिकायत आला अधिकारियों से की गई है। लेकिन शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। ऐसे में सवाल उठता है कि सभासदों द्वारा व्‍यवस्‍था के विरोध में उठाया गया कदम सही है ? क्‍या सभासदों के पास त्‍याग पत्र ही एक मात्र विकल्‍प बचा था ?

आर्थिक हितों से जुड़ा है मामला ?

जानकारों की माने तो दादरी नगरपालिका में हुए त्‍याग पत्र प्रकरण में नगर में होने वाले विकास कार्यों में कमिशनबाजी भी एक पहलू हैं। दरअसल, दादरी नगरपालिका परिषद जिले की एक मात्र नगरपालिका है। यहां विकास कार्यों एवं जन कल्‍याणकारी योजनाओं पर हर साल लगभग 25 करोड़ोंं रूपये खर्च किए जाते हैं। यह रकम अलग अलग स्रोत्रों से प्राप्‍त होती है।

जानकार बताते हैं कि पूर्व में नगरपालिका द्वारा कराए जाने वाले विकास कार्यों में सभासदों की भूमिका रही है। सूत्रों की माने तो इन विकास कार्यों में सभासदों के लिए कमिशन भी तय होता है। पिछले साल हुए नगर निकाय चुनावों के बाद से ही दादरी नगरपालिका परिषद सभासदों और नगरपालिका अध्‍यक्ष तथा अधिशासी अधिकारी के बीच टकराव का अखाड़ा बनी हुई है। समय समय पर सभासदों द्वारा, नगरपालिका के कर्मचारियों द्वारा रिश्‍वत लेने, नगरपालिका में पैठ का स्‍थान निर्धारित करने तथा विकास कार्यों की निगरानी को लेकर मतभेद सामने आए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि दादरी नगरपालिका में मचे इस घमासान की जड़ में भी आर्थिक हित हैं ? नगरपालिका से जुड़े रहे कुछ लोग दबी जबान में इस बात को भी कहते हैं कि मामला विकास कार्यों पर होने वाले खर्च में कमिशन तय करने से जुड़ा है। चर्चा यह भी है कि सभासदों और नगरपालिक के बीच कमिशन की ऊंची दर और हर महीना नकद धनराशि की मांग के चलते सेटलमेंट नहीं हो पा रहा है। जिसके चलते मामला बिगड़ रहा है। हालांकि यह जांच का विषय है। Panchayat 24 इस बात की पुष्टि कतई नहीं करता है।

सुलह के प्रयास होंगे सफल ?

जानकारों की माने तो पूर्व की तरह इस बार भी प्रशासन एवं क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों द्वारा मामले में सुलह के प्रयास किए जाऐंगे। यह प्रकरण सत्‍ताधारी पार्टी भाजपा से भी जुड़ा है। नगरपालिका परिषद पर पिछले तीन सालों से भाजपा का कब्‍जा है। त्‍याग पत्र देने वाले सभासदों में भाजपा के भी सदस्‍य हैं। ऐसे में देखना यह है कि मान मनुव्‍वल और सुलह के प्रयास इस बार कितने सफल होंगे। जानकारी मिली है कि भाजपा जिलाध्‍यक्ष गजेन्‍द्र मावी से भी त्‍याग पत्र देने वाले सभासदों ने संपर्क किया है। जिलाध्‍यक्ष ने जल्‍द ही मामले में समाधान का आश्‍वासन सभासदों को दिया है।

दादरी के 14 वार्डों में दोबारा होंगे चुनाव ?

एक स्थिति ऐसी भी सामने आ सकती है जब त्‍याग पत्र देने वाले सभासदों को मनाने के प्रयास असफल हो जाए। ऐसे में सवाल उठता है कि तब क्‍या होगा ? जानकारों की माने तो ऐसी स्थिति में त्‍याग पत्र देने वाले सभासदों के वार्डों में दोबारा चुनाव कराए जा सकते हैं। लेकिन वर्तमान परिस्थितियो में इस विकल्‍प पर जल्‍द विचार संभव नहीं है। लोकसभा चुनाव के बाद दादरी नगरपालिका के वार्डों में चुनाव कराए जा सकते हैं। ऐसी स्थिति में बोर्ड का कोरम पूरा नहीं होने के कारण जिलाधिकारी के हाथों में चली जाएगी। सभी विकास जिलाधिकारी की देख रेख में होंगे।

कुछ और सभासद भी दे सकते हैं इस्‍तीफा

सूत्रों की माने तो दादरी नगरपालिका परिषद में इस्‍तीफा देने वाले सभासदों की संख्‍या बढ़ सकती है। बता दें कि अभी तक दादरी नगरपालिका परिषद में 14 सभासदों ने इस्‍तीफा दिया है। तीन से चार सभासद इस्‍तीफा देने पर विचार कर रहे हैं। संभवत: एक दो दिनों में वह भी अपना इस्‍तीफा जिलाधिकारी को सौंप सकते हैं।

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