ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के अतिक्रमण विरोधी अभियान में आई तेजी, फिर भी अंदर और बाहर से चुनौतियां कम नहीं
Greater Noida Authority's anti-encroachment drive has gained momentum, yet challenges from inside and outside have not reduced

Panchayat 24 : ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने पिछले कुछ दिनों में अतिक्रमण के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया है। प्राधिकरण का दावा है कि इन अभियानों से बड़ी मात्रा में जमीन से अतिक्रमण हटाकर सैकड़ों करोड़ कीमत की जमीन को कब्जा मुक्त कराया गया है। यह कार्रवाई अतिक्रमण और अवैध निर्माण के खिलाफ सख्ती प्राधिकरण की मंशा को जाहिर करती है। प्राधिकरण स्पष्ट कर चुका है कि अतिक्रमण पर कठोर कार्रवाई होगी। इसकी तैयारी पूरी है।
फिर भी प्राधिकरण की त्वरित कार्रवाई के बाद सवाल भी पैदा होता है कि अभी तक प्राधिकरण इतनी सफल कार्रवाईयों को अंजाम क्यों नहीं दे पा रहा था ? क्यों दिन दो गुना रात चार गुना अवैध निर्माण हुआ ? एक कॉलोनाइजर से हुई चर्चा के दौरान इन सवालों का चौंकाने वाला लेकिन वास्तविक जवाब मिल गया।
उन्होंने कहा प्राधिकरण की कार्रवाई से अवैध निर्माणकर्ताओं को पीड़ा जरूर पहुंती है। बाद में टीम का ही कोई सदस्य अथवा उनका कोई परिचित अवैध निर्माणकर्ताओं को एक पर्ची देकर जाता है। संदेश दिया जाता है कि बात कर लीजिएगा, राहत मिल जाएगी। पर्ची पर मोबाइल नंबर लिखा होता है। और राहत मिल भी जाती है।
उन्होंने यहां तक दावा किया कि उन्होंने 40 लाखों रूपये देकर कॉलोनी को गिराने पहुंची टीम को प्राधिकरण की कार्रवाई को रूकवाया है। इस बात में कितनी सच्चाई है, यह रकम लेने वाला जाने या फिर देने वाला। वैसे भी प्राधिकरण की अतिक्रमण विरोधी कार्रवाईयां सवालों के घेरे में रही हैं। ऐसे में इस प्रकार के किसी दावे को दरकिनार करने का कोई ठोस आधार भी नहीं है। हां, रकम कम, ज्यादा हो सकती है।
ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में एक निर्माण पर काफी समय से अवैध निर्माण चल रहा था। यह निर्माण क्षेत्र में चर्चा का विषय रहा था। लोगों का कहना था कि इस निर्माण के पीछे कुछ प्रभावशाली लोगों का हाथ है। प्राधिकरण ने हाल ही में इस निर्माण को गिरा दिया है। प्राधिकरण का दावा है कि बेशकीमती (करोड़ों कीमत की) जमीन को कब्जा मुक्त कराया है।
सूत्रों के अनुसार यहां उत्तर प्रदेश के बड़े आईपीएस अधिकारी की जमीन थी। चर्चा यहां तक है कि एक पीपीएस अधिकारी का भी इस जमीन में हिस्सा था। चर्चाओं में कितना दम है यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा। लेकिन यह तय है कि घर के गद्दारों और सत्ता एवं शासन से पावर पा रहे लोग प्राधिकरण के रास्ते में चुनौतियां पेश कर रहे हैं। चुनौतियों से पार पाए बिना प्राधिकरण का लक्ष्य प्राप्त करना लगभग असंभव ही है।