उत्तर प्रदेश

शिक्षा मित्रों के लिए अच्‍छी खबर : शिक्षा मित्रों का मानदेश बढ़ाने के लिए हाईकोर्ट ने सरकार को दिए निर्देश

Good news for Shiksha Mitras: High Court gave instructions to the government to increase the mandate of Shiksha Mitras.

Panchayat 24 : उत्‍तर प्रदेश में लंबे समय से कम मानदेय को बढ़ाए जाने की मांग कर रहे शिक्षा मित्रों के लिए अच्‍छी खबर आ रही है। उनकी इस मांग को मानते हुए सरकार मानदेय बढ़ा सकती है। दरअसल, इलाहबाद हाई कोर्ट ने शिक्षा मित्रों की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद कहा है कि वर्तमान में शिक्षा मित्रों को मिल रहा मानदेय कम है। सरकार को चार सप्‍ताह में एक कमेटी बनाकर शिक्षा मित्रों के मानदेय को बढ़ाए जाने पर निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं। हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद उत्‍तर प्रदेश में काम कर रहे लाखों शिक्षा मित्रों को लाभ मिलेगा।

क्‍या है पूरा मामला ?

दरअसल, उत्‍तर प्रदेश में पिछले 18 सालों से लाखों शिक्षा मित्र मानदेय पर बतौर सहायक अध्‍यापक काम कर रहे हैं। प्रदेश सरकार इन्‍हें मानदेय प्रदान करती है। पिछले कुछ समय से शिक्षा मित्र मानदेय बढ़ाए जाने की मांग करते हुए कहा कि शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक को मिल रहा न्यूनतम वेतनमान दिया जाए अथवा उनका मानदेय बढ़ाया जाए। इस पर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि शिक्षामित्र संविदा पर काम कर रहे हैं इसलिए वह समान वेतन के हकदार नही हैं। इसके बाद कुछ शिक्षा मित्र मानदेय बढ़ाए जाने की मांग को लेकर हाई कोर्ट गए थे। इलाहबाद हाई कोर्ट में न्‍यायमूर्ति सौरभ श्‍याम शमशेरी ने जितेन्‍द्र कुमार भारती सहित लगभग दर्जन भर याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद सरकार को शिक्षा मित्रों का मानदेय बढ़ाए जाने के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने माना है कि वाकई में शिक्षा मित्रों का मानदेय देश के वित्तीय इंडेक्स की तुलना में जीवन यापन के लिए बहुत कम है। कोर्ट ने आशा व्‍यक्‍त की है कि उच्‍च स्‍तरीय कमेटी आगामी तीन महीनों में सहानुभूतिपूर्वक विचार कर नियमानुसार शिक्षा मित्रों का मानदेय बढ़ाने के विषय पर उचित फैसला लेगी।

वहीं राज्‍य सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि शिक्षा मित्र संविादा पर कार्यरत हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे लोगों को समान कार्य समान वेतन देने से अपने निर्णयों में इन्‍कार किया है। वहीं, हाई कोर्ट ने कहा है कि शिक्षामित्र संविदा पर कार्यरत हैं। हालांकि हाईकोर्ट ने शिक्षा मित्रों की समान वेतन की मांग को अस्‍वीकार कर दिया। इसके बावजूद अपने आदेश में कहा कि शिक्षा मित्रों को इतना मानदेय दिया जाना चाहिए जिससे महंगाई को देखते हुए वह गरिमामय जीवन यापन कर सके। हाई कोर्ट ने कहा कि कोर्ट यह तय नहीं कर सकती कि उन्हें समान कार्य समान वेतन का लाभ दिया जाए। यह तय करना विशेषज्ञ प्राधिकारी का काम है। इसलिए याचिकाकर्ता सरकार से संपर्क करें। इस पर विचार के लिए कोर्ट ने उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है।

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