लेखपाल की मनमानी से छात्रा के भविष्य पर छाए संकट के बादल ! फिर कैसे बेटी पढ़ेगी, कैसे बेटी आगे बढ़ेगी ?
Due to the arbitrary behaviour of the Lekhpal ! the future of the girl student is in danger. Then how will the daughter study and progress?

डॉ देवेन्द्र कुमार शर्मा
Panchayat 24 (ग्रेटर नोएडा) : एक लेखपाल रास्ते से गुजर रहा था। तभी एक कुत्ते ने उन्हें काट लिया। लेखपाल ने किसी तरह स्वयं को कुत्ते से छुड़ाया और मुस्कुराते हुए कहा, तेरे दिन अच्छे हैं कि तु आदमी नहीं है। आदमी होता तो तुझे बताता कि मैं क्या चीज हूं ? वैसे यह एक हास्य और व्यंग है लेकिन समाज में लेखपाल के पद के दबदे और रूतबे को बयां करती है। यह सत्य है कि एक दौर था कि गांव में लेखपाल का आना लोगों को डरावने सपने जैसा होता था।
हालांकि समय बीतने के साथ परिस्थितियां बदल गई है, लेकिन लेखपाल आज भी स्वयं को उसी जागीरदारी और जमीदारी प्रथा का अहम किरदार समझते हैं जिसकी चर्चा प्रेमचंद जैसे कहानीकारों ने अपनी कहानियों में की है। इसका प्रमुख कारण है कि राजस्व एवं जमीनी विवादों में उनकी ही रिपोर्ट के आधार पर आला अधिकारियों की कार्रवाई की दिशा एवं दशा टिकी हुई होती है। फिर भी एक लेखपाल इतना निरंकुश कैसे हो सकता है कि उसकी मनमानी के चलते एक छात्रा के भविष्य पर संकट के बादल छा गए हैं ?
दरअसल, दादरी कस्बा निवासी एक छात्रा ने हाल ही में नीट की परीक्षा उत्तीर्ण की है। छात्रा को नीट की काउंसलिंग के लिए ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र की आवश्यकता है। छात्रा ने जुलाई महीने में प्रमाण पत्र बनवाने के लिए दादरी तहसील में आवेदन किया था। अभी तक छात्रा का प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है। यदि समय रहते छात्रा का प्रमाण पत्र जारी नहीं हुआ तो वह नीट काउंसलिंग से बाहर हो सकती है। छात्रा के परिजनों ने ईमेल के माध्यम से जिलाधिकारी मेधा रूपम को संबंधित लेखपाल के खिलाफ एक शिकायत भेजी है। इनका कहना है कि कई बार चक्कर लगाने के बावजूद लेखपाल रिपोर्ट नहीं लगा रहा है।
छात्रा ने लेखपाल से रिपोर्ट नहीं लगाने की वजह जाननी चाही, लेकिन उससे ठीक से बात भी नहीं की। छात्रा के परिजनों का कहना है कि लेखपाल न तो अपनी रिपोर्ट ही लगा रहा है, न ही आवेदन को निरस्त कर रहा है। छात्रा ने जिलाधिकारी मेधा रूपम से प्रमाण पत्र जारी कराने की गुहार लगाई है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या छात्रा और उसके परिजन नियमों के विरूद्ध जाकर लेखपाल पर दबाव बनवाकर गैर कानूनी काम करवाना चाहते हैं ? यदि ऐसा है तो लेखपाल को यह ब्यौरा अपनी रिपोर्ट में दर्शाकर छात्रा के आवेदन को निरस्त कर देना चाहिए ? आला अधिकारियों को इसकी सूचना भी देनी चाहिए ?
पता चला है कि छात्रा के पिता की वार्षिक आय भी लेखपाल ने ही जारी की थी जिसके आधार पर छात्रा ईडब्ल्यूएस वर्ग में आवेदन किया था। ऐसे में छात्रा एवं उसके परिजनों द्वारा लेखपाल पर दबाव बनाकर नियम विरूद्ध काम कराने की संभावनाएं क्षीण हैं। सवाल यह भी उठता है कि लेखपाल विधि विरूद्ध लाभ (रिश्वत) पाने के लिए छात्रा के आवेदन पर अपनी रिपोर्ट नहीं लगा रहा है ? छात्रा और उसका परिवार इस स्थिति में होते तो वह सुविधा शुल्क अदा करके अभी तक प्रमाण पत्र जारी करा चुके होते। तहसील और जिला प्रशासन में अपनी समस्याएं लेकर आने वाले लोगों में अधिकांश समस्याएं लेखपालों से ही जुड़ी होती हैं। ऐसे में तहसील और प्रशासन के निचले स्तर पर फैले भ्रष्टाचार का यह ज्वलंत उदाहरण हो सकता है। यदि ऐसा है तो यह चिंता का विषय है। ऐसे मामलों की जांच होनी चाहिए।
यदि महज लेखपाल की रिपोर्ट के कारण किसी छात्रा का आवश्यक प्रमाण पत्र जारी नहीं होने के कारण उसकी नीट की काउंसलिंग छूट जाती है तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और खेदजनक होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महिला सशक्तिकरण के लिए बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओं तथा बेटी पढ़ेगी तो आगे बढ़ेगी की भावना को पूरा करने का संकल्प लिया है। यदि लेखपाल स्तर के अधिकारी की मनमानी के कारण एक बेटी के भविष्य पर संकट मंडराएगा तो यह संकल्प कैसे पूरा होगा ? वैसे यह एक संयोग ही है कि गौतम बुद्ध नगर जिले की जिस जिलाधिकारी भी छात्रा मदद की गुहार लगा रही हैं, वह एक महिला ही है। संभवत: छात्रा की सहायता अवश्य होगी। लेखपाल के इस तरह के आचरण की जांच कर आवश्य कार्रवाई होनी चाहिए।



