शराब नीति पर सीबीआई के चंगुल में फंंस गए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया, सीबीआई की एफआईआर में 15 लोगों के नाम शामिल
Delhi Deputy Chief Minister Manish Sisodia caught in the clutches of CBI over liquor policy, names of 15 people included in CBI FIR
Panchayat24 : नई शराब नीति को लेकर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया तक सीबीआई जांच की आंच पहुंच गई है। शुक्रवार को सीबीआई ने मामले को लेकर मनीष सिसौदिया के घर पर छापेमारी की। इसके अलावा सीबीआई ने 21 ठिकानों पर भी सीबीआई की छापेमारी की कार्रवाई हुई है। सीबीआई ने इस मामले में मनीष सिसौदिया का नाम सबसे पहले लिखा गया है। मनीष सिसौदिया सहित 15 लोगों के नाम इस एफआईआर में दर्ज हैं।सीबीआई की एफआईआर में कई ऐसे लोगों के भी नाम बताए जा रहे हैं जिन्होंने इस नई शराब नीति से लाभ उठाया है। इनमें कई अधिकारी तथा कई कम्पनियों से जुड़े बड़े नाम भी बताए जा रहे हैं।
मनीष सिसौदिया के घर चल रही सीबीआई की छापेमारी में कई आपत्तिजनक और अहम दस्तावेज मिलने की भी बातें सामने आ रही हैं। मीडिया रिपोर्ट की माने तो मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश एलजी वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव की जांच रिपोर्ट पर की थी। उन पर नई आबारी नीति में धांधली करने के आरोप हैं। मनीष सिसौदिया पर आरोप है कि उन्होंने मनमाने तीके से तय मानकों का उल्लंघन करते हुए लाइसेंस जारी किए। साथ ही शराब के बड़े ठेकेदारों के 144 करोड़ रूपये भी माफ कर दिए।
क्या है सीबीआई की एफआईआर में ?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस नई शराब नीति को कुछ इस तरह से बनाया गया जिससे सरकार के ही मनपसंद लोगों को इसका लाभ मिल सके। एल-1 लाइसेंस धारक वेंडर्स को गलत तरीके से लाभ पहुंचा रहे थे जिससे इसका फायदा अप्रत्यक्ष तौर पर कुछ नेताओं को इसका लाभ पहुंचाया जा सके। मीडिया रिपोर्ट की माने तो एफआईआर में बस बात का भी जिक्र है कि मनीष सिसौदिया के करीबी माने जाने वाले अमित अरोड़ा, मेसर्स Buddy रिटेल्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे एक्साइज अधिकरियों पर आपने संबंधों के आधार पर अवैधानिक और गैरकानूनी तरीके से दबाव बनाकर अपनी मनपसंद कंपनियों को शराब के लाइसेंस दिलवा रहे थे।
बताया जा रहा है कि इस नई शराब नीति से गलत तरीके से लाभ प्राप्त कर बड़ी रकम इधर से उधर करने और मनीष सिसौदिया तक इस रकम को पहुंचाने में समीर महेन्द्रू और दिनेश अरोड़ा की अहम भूमिका रही है। सीबीआई की एफआईआर में लोकसेवक अरूण रामचन्द्र पिलई पर भी आरोप लगाते हुए कहा गया है कि उन्होंने गलत तरीके से रकम जुटाकर मनीष सिसौदिया तक पहुंचाया था। कुछ ऐसे ही आरोप विजय नायर पर लोगों से गलत तरीके से रूपयों के लेनदेन के लिए मध्यस्थ का काम करता था।
दिल्ली की नई आबकारी नीति से भी जुड़ा पोंटी चड्ढा का नाम
पोंटी चड्ढा का नाम उस समय सामने आया जब उत्तर प्रदेश में मायावती पूर्ण बहुमत से मुख्यमंत्री बनी। बसपा के शासन काल में प्रदेश की आबकारी नीति लगभग पोंटी चड्ढा के इर्द गिर्द घूमने लगी थी। बाद में अखिलेश यादव प्रदेश के मुख्यमंत्री बने लेकिन पोंटी चड्ढा से जुड़ी फर्मों की भूमिका उत्तर प्रदेश में लगभग अपरिवर्तित रही। दिल्ली की नई आबाकरी नीति में भी पोंटी चड्ढा का नाम जुड़ा है। मीडिया रिपोर्ट की माने तो पोंटी चड्ढा से संबंधित कई कम्पनियों में डायरेक्टर के पद पर कार्यरत सनी मारवा महादेव लिंकर्स नामक एक फर्म में ऑथोराइज्ड सिग्नेटरी है। सीबीआई की एफआईआर में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि महादेव लिकर्स को नई आबाकरी नीति के अन्तर्गत एल-1 लाइसेंस जारी किया गया है। मीडिया रिपोर्ट की माने तो सनी मारवा के आबाकारी अधिकारियों से बेहद करीबी संबंध रखता था। उसके द्वारा अधिकारियों को गलत ढंग से अनुचित लाभ पहुंचाया करता था।
क्या है एल-1 लाइसेंस नीति ?
मीडिया रिपोर्ट की माने तो दिल्ली सरकार की नई आबाकरी नीति 2022-23 में एल-1 लाइसेंस से शराब के नमूनों के परीक्षण के लिए थोक विक्रेताओं के गोदामों में प्रयोगशाला (लैब) स्थापित करने के लिए मानदंडों में ढील देने का एक सरकारी तरीका है। जानकारों की माने तो आबाकारी नीति में थोक लाइसेंसधारी (एल-1) को शराब के हर गोदाम के स्थान पर प्रयोगशाला स्थापित करने से छूट मिल जाएगी। नई आबाकारी नीति में थोक विक्रेताओं के पास भले ही कितने ही गोदाम हो, उन्हें कम से कम एक प्रयोगशाला अवश्य बनानी होगी। इससे इसके पीछे तर्क दिया गया था कि हर गोदाम पर शराब की गुणवत्ता जांचने के लिए प्रयोगशाला बनाने से लाइसेंसधारियों पर 30 से 35 लाख का अतिरिक्त बोझ पड़ता है।