सीपी राधाकृष्णन होंगे एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार, कौन से फैक्टर ने उम्मीदवारी पर लगवा दी मुहर ?
CP Radhakrishnan will be the NDA's candidate for the post of Vice President, which factor sealed his candidature?

Panchayat 24 ( नेशनल डेस्क) : अंतत: एनडीए की उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की खोज समाप्त हो गई है। वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होंगे। सीपी राधा कृष्णन के नाम पर एनडीए के घटक दलों ने भी मुहर लगा दी है। सीपी राधाकृष्णन के नाम का चुनाव करके भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर सभी को चौंका दिया है। हालांकि उनके नाम का चयन करके भाजपा ने एक तीर से कई निशाने साधने का प्रयास किया है। 21 अगस्त को सीपी राधा कृष्णन उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन करेंगे। 9 सितंबर को चुनाव संपन्न होगा। वहीं, कांग्रेस नेतृत्व वाला इंडिया गठंधन आज बैठक कर अपने उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नाम की घोषणा करेगा। हालांकि बहुमत पूरी तरह एनडीए के पक्ष में हैं। ऐसे में सीपी राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति बनना तय है। फिर भी एनडीए की ओर से प्रयास होगा कि विपक्ष से संवाद करके चुनाव को निर्विरोध संपन्न कराया जाए।
कौन हैं सीपी राधा कृष्णन ?
एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन का संबंध मूलरूप से तमिलनाडू से है। उनका जन्म 20 अक्टूबर 1957 को हुआ था। वह तमिलनाडू के ओबीसी समुदाय कोंगु वेल्लार (गाउंडर) से आते हैं। उन्होंने बिजनेस प्रबंधन से स्नातक की पढ़ाई की है। वह शुरू से ही आरएसएस पृष्ठभूमि से जुड़े रहे हैं। आरएसएस से ही उनका राजनीतिक सफर शुरू हुआ है। वह साल 1974 में भारतीय जनसंघ की राज्य कार्याकारिणी के सदस्य रहे। उनकी पत्नी का नाम आर. सुमित है।
सीपी राधाकृष्णन की भाजपा में लंबी सक्रियता
आरएसएस में सक्रियता के बाद साल 1996 में सीपी राधाकृष्णन पहली बार भाजपा में सक्रिय हुए। इस साल वह तमिलनाडू भाजपा राज्य इकाई में सचिव बने। साल 1998 में वह पहली बार कोयंबटूर से लोकसभा सांसद चुने गए। साल 1999 में भी इन्होंने इस सीट पर जीत का परचम लहराया। संसद में वह टेक्टसाइल पर स्थाई समिति के अध्यक्ष भी रहे हैं। इसके अतिरिक्त वह पीएसयू समिति, वित्त परामर्श समिति और शेयर बाजार घोटाले की जांच के लिए बनी विशेष समिति के सदस्य भी रहे। साल साल 2004 में इन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा को भारतीय दल के सदस्य के तौर पर संबोधित भी किया है। भारतीय दल का हिस्सा बनकर इन्होंने ताइवान की भी यात्रा की है। साल 2004 से 2007 तक वह तमिलनाडू भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष्ज्ञ भी रह चुके है। उन्होने इस दौरान 93 दिनों तक चली 19 सौ किमी लंबी रथयात्रा भी निकाली। यात्रा में इन्होंने नदियों को जोड़ने, आतंकवादी समाप्त करने, समान नागरिकता संहिता लागू करने, छूआछूत समाप्त करने और नशीले पदार्थों के खिलाफ आवाज उठाई। इसके अतिरिक्त दो पद यात्राएं भी की है। 2016 से 2020 तक वे कोचीन स्थित कोयर बोर्ड के अध्यक्ष रहे। उनके नेतृत्व में कोयर निर्यात 2532 करोड़ रुपये के उच्चतम स्तर पर पहुंचा। साल 2020 से 2022 तक वे भाजपा के अखिल भारतीय प्रभारी भी रहे। वह केरल के प्रभारी भी रहे।
कई राज्यों के राज्यपाल भी रह चुके हैं सीपी राधा कृष्णनन
सीपी राधाकृष्णन को 18 फरवरी 2023 को झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया। इस दौरान इन्होंने चार महीनों तक सभी 24 जिलों का दौरा कर जनता से सीधा संवाद किया। 31 जुलाई 2024 को वह महाराष्ट्र के राज्यपाल बनाए गए। इस दौरान तेलांगना का राज्यपाल भी बनाया गया। वह पुड्डुचेरी के उपराज्यपाल भी रह चुके हैं।
अंतिम समय में शेषाद्रि चारी पर भारी पड़ा सीपी राधा कृष्णन का नाम ?
हालांकि भाजपा के निर्णयों के बारे में पूर्वानुमान लगाना खतरे से खाली नहीं होता है। फिर भी एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए कई नाम चल रहे थे। इनमें शेषाद्रि चारी के नाम को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म था। उनके नाम के साथ वह सारी खुबियां जुड़ी हुई थी जो वर्तमान में एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए चाहिए थी। मानना था कि उनका नाम लगभग तय हो चुका है। लेकिन अंतिम समय पर सीपी राधाकृष्णन उन पर भारी पड़ गए। जानकारों का मानना है कि भारतीय राजनीति में ओबीसी वर्ग की राजनीति का दौर चरम पर है। निकट भविष्य में बिहार और दक्षिण के कुछ राज्यों में चुनाव होने हैं। यहां ओबीसी वोटबैंक राजनीतिक तौर पर प्रभावशाली है। ऐसे में भाजपा ने अंतिम समय पर तमिलनाडू के ब्राह्मण चेहरे शेषाद्रि चारी के स्थान पर तमिलनाडू के ही ओबीसी चेहरे सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए अपनी पसंद बनाया। सीपी राधाकृष्णन के माध्यम से उन्होंने बिहार में विपक्ष की ताकत माने जा रहे ओबीसी वोटबैंक को साधने की कोशिश की है।
पार्टी की मूल विचारधारा को प्राथमिकता, जगदीप धनखड़ और सत्यपाल मलिक प्रकरणों से लिया सबक
भारतीय जनता पार्टी के लिए पिछले कुछ समय में पार्टी के अंदर ही शीर्ष पदों पर आसीन लोगों ने ही समस्याएं पैदा की हैं। इनमें जम्मु एवं कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक और उपराष्ट्रपति जगदीप धखड़ का नाम प्रमुख है। इनके द्वारा कई बार ऐसा काम किया गया है जब पार्टी असहज हो गई। ऐसे में जगदीप धनखड़ द्वारा उपराष्ट्रपति पद से त्यागपत्र दिए जाने के बाद भाजपा ने इस बात का पूरा ध्यान रखा कि पूर्व की गलतियों से सबक सीखा जाए। परिणामस्वरूप पार्टी ने संगठन की मूल विचारधारा को प्राथमिकता देते हुए जनसंघ से आने वाले सीपी राधाकृष्णन को अपना उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुन लिया। जबकि जगदीप धनखड़ ने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत जनता दल से की थी। वह कांग्रेस में भी रह चुके थे। सुप्रीम कोर्ट के वकील रहे जगदीप धनखड़ को भाजपा ने पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया।
दक्षिण को साधने का प्रयास
जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति बनाकर भाजपा ने लोकसभा एवं उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पूर्व जाट समाज को साधने का प्रयास किया था। बता दें कि राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में जाट समाज राजनीति में अच्छा खासा दबदबा रखता है। हालांकि यह प्रयोग उतना सफल नहीं हो सका। इस बार भाजपा ने सीपी राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार चुनकर ओबीसी जाति के साथ दक्षिण भारत, विशेषकर तमिलनाडू को साधने के संकेत दे दिए हैं। तमिलनाडू में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। वहीं, उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए, विशेष तौर पर भाजपा विरोधी पार्टी डीएमके के लिए भी सीपी राधाकृष्णन का नाम उम्मीदवार के तौर पर आने पर मुश्किलें बढ़ सकती हैं। यदि वह एनडीए उम्मीदवार के तौर पर सीपी राधाकृष्णन का विरोध करती है तो भाजपा इसको तमिल विरोध के रूप में प्रचार करेगी। यदि डीएमके उनके नाम का समर्थन करती है तो यह इंडिया गठबंधन के लिए चिंता का विषय होगा।
संघ और भाजपा के बीच की बन सकदते हैं धुरी
पिछले कुछ समय से संघ और भाजपा के संबंध सामान्य नहीं रहे हैं। संघ और भाजपा के बीच संबंधों में पैदा हुए मतभेदों का ही परिणाम माना जा रहा है कि अभी तक भाजपा अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव नहीं कर सकी है। ऐसे में सीपी राधाकृष्णन के नाम पर संघ एवं भाजपा की सहमति के बाद ही उन्हें भाजपा ने एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर चुना है। इससे भाजपा ने यह राजनीतिक संदेश देने का प्रयास किया है कि भाजपा और संघ के बीच संबंध सामान्य हैं। ऐसे में निकट भविष्य में सीपी राधाकृष्णन भाजपा और संघ के बीच धुरी के रूप में काम कर सकते हैं।
भाजपा और संघ कार्यकर्ताओं को संदेश
पिछले कुछ सालों में भाजपा के सत्ता में आने के बाद बाहरी पार्टियों के नेताओं और कार्यकर्ताओं का भाजपा में विलय हुआ है। इतना ही नहीं, संगठन और सरकार में भी इन्हें अच्छा स्थान दिया गया है। इसके बाद संघ एवं भाजपा के मूलकार्यकर्ताओं के मन में अपनी अनदेखी को लेकर गलत संदेश गया है। सीपी राधाकृष्णन के नाम का एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में चयन करके भाजपा ने कार्यकर्ताओं को संदेश देने का प्रया किया है कि पार्टी से जुड़े मूल कार्यकर्ताओं का पार्टी में हर हाल में सम्मान होता है।