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खालिस्‍तानी साजिश का बढ़ता दायरा

The growing scope of Khalistani conspiracy

Panchayat24.com : पिछले कुछ सालों में देश में खालिस्‍तानी साजिश का विस्‍तार हुआ है। अभी पंजाब तक सीमित दिख रहीं खालिस्‍तानी देश विरोधी गतिविधियां अब पंजाब सहित हिमाचल, हरियाणा और दिल्‍ली में भी दिखाई देने लगी है। इसका सबसे ताजा उदाहराण  हिमाचल प्रदेश  के धर्मशाला स्थित विधानसभा के मुख्‍य द्वार पर खालिस्‍तान समर्थन वाले झंडे लगाए गए।

इस घटना को  को चोरी छिपे अंजाम नहीं दिया गया बल्कि प्रदेश के मुख्‍यमंत्री जयराम ठाकुर को खालिस्‍तानी समर्थित संगठन सिख फॉर जस्टिस के प्रमुख गुरूपतवंत सिंह पन्‍नु ने खालिस्‍तानी झण्‍ड़ा फहराने की चुनौती दी थी। पत्र लिखकर धमकी देने के बाद अंजाम दिया गया है। इतना ही नहीं इस संगठन की ओर से हिमाचल और हरिायाणा के कई नेताओं को भी इस तरह की धमकी दी है।

सिख फॉर जस्टिजस पंजाब को खालिस्‍तान नाम से एक स्‍वतंत्र देश की बात कहता है।  हिमाचल और हरियाणा  खालिस्‍तानी सम्‍प्रभु राज्‍य का हिस्‍सा होंगे। गुरूपतवंंत सिंह पन्‍नु ने वीडियो जारी कर यहां तक कहा था कि 6 अप्रैल को हिमालच प्रदेश के मंडी में आम आदमी पार्टी के रोड़ शो के दौरान बड़ी संख्‍या में खालिस्‍तानी झण्‍ड़े  वितरित किए गए थे।

पिछले कुछ समय में कई बार देश के सामने खालिस्‍तानी समर्थकों ने ऐसी हरकतों को अंजाम दिया है जिन्‍हें माफ नहीं किया जा सकता है। लेकिन यह साजिश इतने योजनाबद्ध तरीके से किया गया है कि सरकार सबकुछ समझते हुए भी इनके प्रति बड़ी़ कार्रवाई नहीं कर सकी। इसका सबसे बड़ा उदाहरण तीन कृषि कानूनों के विरोध में शुरू हुआ किसान आन्‍दोलन था।

खालिस्‍तानी समर्थक संगठनों ने जहां किसान का चोला ओढ़कर जहां किसानों की हमदर्दी हासिल करने की कोशिश की हैै। वहीं सत्‍ता के लालच में तीन कृषि कानूनों की आड़ में भाजपा और केन्‍द्र सरकार का विरोध कर रहे राजनीतिक दलों का भी अपने उद्देदेश्‍यों के लिए प्रयोग किया। यह बात भी हजम नहीं होती कि किसान आन्‍दोलन का समर्थन कर रहे राजनीतिक दलों को यह अंदेशा नहीं रहा हो कि किसानों के भेष में देश विरोधी ताकतें सक्रिय हो चुकी है।

किसान आन्‍दोलन की आड़ में लाल किले पर अराजकता मचाई गई। एक युवक की हत्‍या कर शव को बैरिकेटिंग पर लटकाया गया। युवती से बलात्‍कार किया गया। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी को गालियां दी गई। उनकी मौत की कामना करते हुए गीत गाए गए। दुर्भाग्यय की बात है कि इस आन्‍दोलन में बड़ी संख्‍या में किसानों की भी मौत हुई। लेकिन इससे इन खालिस्‍तानी संगठनों को कोई लेना देना नहीं था।

मीडिया रिपोर्ट की माने तो खालिस्‍तानी संगठन एवं समर्थकों द्वारा किसान आन्‍दोलन के बड़ा चेहरा बलबीर राजेवाला की हत्‍या की भी साजिश रची थी। परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया। इससे जहां खालिस्‍तानी समर्थक संगठनों, अलगावादियों की साजिशों को झटका लगा, वहीं इन्‍हें मौन समर्थन दे रहे राजनीति दलों के भी मंसूबों पर पानी फिर गया।

‘पंजाब रेफरेंडम 2020’?
भारत से पंजाब को अलग कर खालिस्तान बनाए जाने के मकसद को लेकर ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ नाम की संस्था ने पंजाब रेफरेंडम 2020 अभियान शुरू किया था। 2018 में इस संस्था के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू ने घोषणा की थी कि जनमत संग्रह के लिए लाहौर में एक स्थायी कार्यालय बनाया जाएगा और ननकाना साहिब के आसपास जरनैल सिंह भिंडारावाले की तस्वीरों के साथ इस अभियान के बैनर लगाए जाएंगे। यही नहीं, यह संस्था ग्रेटर खालिस्तान की मांग भी करती रही है। भले ही यह संस्‍थान कुछ भी कहे, पर्दे के पीछे से इसे भारत विरोधी ताकतों से मदद मिल रही हे। पाकिस्‍तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई इसमें प्रमुख है।

सिख फॉर जस्टिस क्या है ?
खालिस्तान की मांग को लेकर कई संगठन बने हैं। इन्हीं में एक है सिख फॉर जस्टिस। इस संगठन का गठन 2007 में अमेरिका में हुआ था। इसका सारा कामकाज पन्नू ही देखता है। इस संगठन का मकसद पंजाब को देश से अलग कर खालिस्तान नामक का देश बनाने का है। साल 2019 में केंद्र सरकार ने इस संगठन पर प्रतिबंध लगा था।   राष्ट्रीय जांच एजेंसी, पंजाब पुलिस और उत्तराखंड पुलिस के सामने कई आपराधिक मामले दर्ज थे। इस संगठन से जुड़े लगभग चार दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हुए किसान आंदोलन के समय भी सिख फॉर जस्टिस का नाम सामने आया था। किसान आंदोलन से जुड़े नेताओं के इस संगठन से सम्‍पर्क की बातें सामने आई थी।

 

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