विचारों का मंथन : बिना नकारात्मकता का समाधान तलाशे सकारात्मकता की सिद्धि कितनी संभव है ?
Churning of thoughts: How possible is it to achieve positivity without finding a solution to negativity?

डॉ देवेन्द्र कुमार शर्मा
Panchayat 24 : कहा गया है कि सत्य को नकार कर समाधान नहीं मिलता, वह तो और उग्र होकर सामने आता है। यह वाक्य आज के शासकीय एवं प्रशासकीय रवैये पर सटीक बैठता है, विशेषतः तब जब यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) के नवनियुक्त कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) यह कहे कि वह अतिक्रमण जैसी नकारात्मक खबरों पर बात नहीं करेंगे। इस प्रकरण के बाद प्रश्न उठता है कि क्या समस्याओं से आंख चुराकर, उन्हें नकारात्मकता कहकर किनारे रख देना, वास्तव में समाज को समाधान की ओर ले जाता है ?
दरअसल, बतौर एक पत्रकार यीडा के नए सीईओ राकेश कुमार सिंह के बारे में जानकारी प्राप्त करने की मेरे अंदर एक उत्सुकता थी। अपने कई वरिष्ठ अधिकारी मित्रों, उनके साथ कार्य कर चुके अधिकारियों एवं कर्मचारियों और उनके बारे में जानकारी रखने वाले लोगों से उनके बारे में जो कुछ पता चला उसका सार यही रहा कि वह एक बेहद कर्तव्यनिष्ठ, अनुभवी और समस्याओं के समाधान को तवज्जो देने वाले अधिकारी हैं। उनके बारे में मिली जानकारियों से स्पष्ट हो गया कि सरकार ने यीडा के सीईओ जैसे महत्वपूर्ण पद के लिए लाइन में लगे कई नामचीन लोगों को पीछे छोड़कर उनका चयन क्यों किया ? अर्थात बड़े ही सोच विचार के बाद उन्हें यह अहम जिम्मेवारी दी गई है।
यीडा में नए सीईओ राकेश कुमार सिंह की तैनाती एक शानदार अवसर के तौर पर देखी जा रही है। लेकिन पत्रकारों द्वारा अतिक्रमण जैसी गंभीर समस्या के बारे उनका विचार उनके व्यक्त्वि और उनके पद मेल नहीं खाता है। उनके द्वारा अपने ही अधीनस्थ अधिकारियों के सामने जिस तरह से कहा गया कि वह अतिक्रमण जैसी नकारात्मक खबरों पर बात नहीं करेंगे, यह वास्तव में चौंकाने वाला है। उनके बारे में सुनी गई बातें सही है अथवा उनके द्वारा कही गई बात सही है, इसको लेकर मैं अभी तक असमंजस में हूं।
निश्चित ही यीडा के सीईओ के पद पर उनकी तैनाती के बाद राकेश कुमार सिंह का उद्देश्य विकास को प्राथमिकता देना ही होगा। इसके बावजूद यह भी सत्य है अतिक्रमण विकास के रास्ते की बड़ी बाधा है। यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है कि यीडा द्वारा आवंटित कई भूखंडों पर अतिक्रमण है। आवंटी लगातार प्राधिकरण के चक्कर लगा रहे हैं। ऐसे में प्राधिकरण के लिए अतिक्रमण जैसी नकारात्मकता से बहुत देर तक नजरें बचाना संभव नहीं है।