दादरी विधानसभा

गौतम बुद्ध नगर और गाजियाबाद सहित दिल्‍ली एनसीआर की चार मुख्‍य सीटों बदलाव के मूड में नहीं है भाजपा, जल्‍द हो सकती है उम्‍मीदवारों के नामों की घोषणा

BJP is in no mood to change four main seats of Delhi NCR including Gautam Buddha Nagar and Ghaziabad, names of candidates may be announced soon.

Panchayat 24 : भारतीय जनता पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव 2024 के लिए उत्‍तर प्रदेश सहित, उत्‍तराखंड, दिल्‍ली, हरियाणा सहित कई राज्‍यों की लगभग 300 सीटों के लिए उम्‍मीदवारों के नाम पर मंथन किया है। सूत्रों के अनुसार पार्टी 200 उम्‍मीदवारों के नाम तय भी कर चुकी है। शनिवार अथवा राविवार को पार्टी सौ नामों की घोषणा कर सकती है। इनमें दिल्‍ली एनसीआर की चार अहम सीटें, गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, फरीदाबाद और गुरूग्राम का नाम भी शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार पार्टी इन चारों सीटों पर अपना रूख स्‍पष्‍ट कर चुकी है। भाजपा संसदीय बोर्ड इन सीटों पर एक नाम पर सहमति है।

कौन हो सकते हैं दिल्‍ली एनसीआर की इन सीटों के भाजपा प्रत्‍याशी ?

सूत्रों की माने तो भाजपा की बोर्ड बैठक में दिल्‍ली एनसीआर में हरियाणा की दो सीटों, फरीदाबाद और गुरूग्राम लोकसभा सीट, पर पार्टी ने कृष्‍णपाल गुर्जर और राव इद्रजीत को फिर से मौका देने पर मुहर लगा दी है। वहीं, दिल्‍ली एनसीआर में उत्‍तर प्रदेश की दो अहम लोकसभा सीटों पर भी पार्टी ने नाम तय कर लिए हैं। सूत्रों के अनुसार इनमें गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट पर भाजपा डॉ महेश शर्मा के नाम पर पार्टी ने नेतृत्‍व फिर से भरोसा जताया है। वहीं, गाजियाबाद से जनरल वीके सिंह भी अपनी लोकसभा की दूसरी पारी खेलेंगे। बता दें कि चारों उम्‍मीदवार इन सीटों पर साल 2019 में लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। पार्टी इन्‍हें फिर से चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है। हालांकि इनकी जीत में मोदी लहर की बड़ी भूमिका रही थी। लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि दिल्‍ली एनसीआर की अहम सीटों पर इन चारों प्रत्‍याशियों की छवि भी जीत का आधार बनी है।

पुराने प्रत्‍याशियों पर है भाजपा को विश्‍वास ?

राजनीतिक जानकारों की माने तो दिल्‍ली एनसीआर की गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, फरीदाबाद और गुरूग्राम लोकसभा सीटों पर पुराने प्रत्‍याशियों को यदि भाजपा फिर से 2024 में मौका देने का मन बना रही है तो उसके पीछे रणनीतिक कारण अहम हैं। दरअसल, दिल्‍ली एनसीआर की इन चारों सीटों पर भाजपा को निकट भविष्‍य में भी कोई खतरा नहीं दिख रहा रहा है। चारों सीटों पर भाजपा की मजबूत पकड़ हैं। भाजपा द्वारा कराए गए आतरिक सर्वे में भी यह इनपुट मिला है कि इन सीटों पर एंटी इनकम्‍बेंसी जैसा असर भी नहीं है। विरोधी दलों से अधिक भाजपा के अंदर ही टिकट पाने के लिए गुटबाजी जरूर हो रही है। ऐसी स्थिति में पार्टी इन सीटों पर उम्‍मीदवार बदलकर अनावश्‍यक ऊर्जा का हृास करने से बचने की रणनीति पर काम कर रही है।

दिल्‍ली की सीटों पर दबाव कम करने की रणनीति 

जानकारों का कहना है कि यदि भाजपा गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, फरीदाबाद और गुरूग्राम लोकसभा सीटों पर उम्‍मीदवारों को नहीं  बदलती है तो उसके पीछे बड़ी रणनीति काम कर रही है। पार्टी का सोचना है कि दिल्‍ली एनसीआर की चारों सीटों पर उम्‍मीदवार बदलकर पार्टी की ऊर्जा का ह्रास होगा। चारों सीटें भाजपा के कब्‍जे में हैं। इन सीटों पर पार्टी उम्‍मीदवारों ने बड़ी जीत दर्ज की हैं। वहीं, दिल्‍ली की चार से पांच सीटों पर भाजपा उम्‍मीदवार बदलने का पार्टी निर्णय कर चुकी है। इन सीटों पर नए उम्‍मीदवारों का चयन करना और उनके लिए जीत का मंच तैयार करना पार्टी के लिए एक चनौती है। ऐसे में पार्टी दिल्‍ली एनसीआर की सीटों पर ऊर्जा बचाकर इनसे सटी हुई दिल्‍ली की सीटों पर इसका प्रयोग करना चाहती है। वहीं, दिल्‍ली एनसीआर की मजबूत पकड़ वाली सीटों से भरोसेमंद उम्‍मीदवारों को बदलकर  दिल्‍ली की सीटों पर दबाव बढ़ने का भी खतरा पैदा हो जाएगा। ऐसे में पार्टी दिल्‍ली की सीटों पर अनावश्‍यक दबाव बढ़ाने का खतरा मोल नहीं लेना चाहेगी।

भाजपा में चल रही गुटबाजी के अचानक शांत होने को भी माना जा रहा है संकेत

जानकारों की माने तो दिल्‍ली एनसीआर की चारों लोकसभा सीटों पर भाजपा के अंदर प्रत्‍यक्ष अथवा अप्रत्‍यक्ष गुटबाजी चल रही थी। गौतम बुद्ध नगर और गाजियाबाद लोकसभा सीटों की गुटबाजी खुलकर सतह पर आ चुकी थी। दोनों लोकसभा सीटों पर भाजपा के विरोधी गुट एक दूसरे पर वर्चस्‍व कायम करने के लिए टिकट की दावेदारी ठोक रहे थे। गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट से डॉ महेश शर्मा और गाजियाबद लोकसभा सीट से जनरल वीके सिंह का टिकट कटवाने के लिए जमकर दांव पेंच चले गए। दोनों सीटों पर गुटबाजी के घमासान ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्‍व के सामने भी दस्‍तक दी। जानकारों की माने तो पार्टी नेतृत्‍व ने  गुटबाजी पर नाराजगी जाहिर की है। पिछले कुछ समय से दोनों लोकसभा सीटों पर चल रही गुटबाजी में नाटकीय तरीके से शांति दिख रही है। जानकारों की माने तो यह शांति पार्टी नेतृत्‍व द्वारा लिए गए निणर्यों की तरफ एक संकेत है।

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