ग्रेटर नोएडा जोन

रोष : ईडब्‍ल्‍यूएस कोटे में प्रवेश नहीं देने वाले स्‍कूलों की मान्‍यता रद्द करने की मांग

Fury: Demand for cancellation of recognition of schools not giving admission in EWS quota

Panchayat24.com : एनसीआर पेरेंट्स एसोसिएशन की ओर से जिले के ऐसे स्‍कूलों की मान्‍यता रद्द करने की मांग की गई है जो सामाजिक आर्थिक रूप से पिछडे वर्ग के छात्रों को ईडब्‍ल्‍यूएस कोटे के अन्‍तर्गत प्रवेश नहीं दे रहे हैं। एसोसिएशन ने जिलाधिकारी सुहास एलवाई को इस संबंध में पत्र लिखा है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को भी इस बारे में पत्र लिखा गया है।

क्‍या है पूरा मामला ?

एनसीआर पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुखपाल सिंह तूर ने बताया कि दो दिन पूर्व मीडिया में एक समाचार प्रकाशित हुआ था जिसमें कहा गया है कि जिले में आरटीआई के तहत EWS कोटे की कुल 18000 सीट उपलब्ध हैं। इनमें से महज 5581 छात्रों को प्रवेश मिल रहा। अर्थात उपलब्ध सीटों में मात्र 31% सीट पर ही प्रवेश दिया जा रहा है। ऐसा करके निजी स्‍कूल मनमानी कर सरकारी आदेशों की धज्जिया उड़ा रहे हैं। कुछ ऐसा ही पिछली साल भी हुआ था। ऐसे स्‍कूलों के खिलाफ अभिभावकों ने शासन प्रशासन स्‍तार पर सभी दरवाजे खटखटाए थे, लेकिन इन निजी स्‍कूलों पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ा।

सुखपाल सिंह ने कहा यदि आरटीई के अन्‍तर्गत जरूरतमंदों को स्‍कूलों में प्रवेश से वंचित रखा जाता है तो यह भारतीय संविधान का खुला उल्‍लंघन है। आरटीई के तहत सभी निजी स्‍कूलों में 25 प्रतिशत सीटें सामाजिक आर्थिक तौर पर पिछड़े परिवारों के छात्रों के लिए आरक्षित की गई हैं। उन्‍होंने बताया कि जिलाधिकारी सुहास एलवाई को पत्र लिखकर मांग की गई है कि ऐसे स्‍कूलों को चुनौती पत्र जारी किए जाएं। यदि स्‍कूल मनमानी करते हैं तो उनकी मान्‍यता रद्द की जाए। इतना ही नहीं कोरोना महामारी शुरू होने से अब तक ईडब्‍ल्‍यूएस कोटे की सीटों को भी भरा जाए।

मनीष कुमार व राहुल गर्ग ने बताया के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को भी इसके बारे में पत्र भेजा गया है। कुछ दिन पहले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के चेयरमैन से मिलने की कोशिश की गई थी लेकिन वो किसी सरकारी काम से बाहर गए हुए थे।

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