स्पेशल स्टोरी

आखिकर एक ऐलिवेटेड रोड़ क्‍यों बन गया किसान संगठन और प्राधिकरण के बीच रस्‍साकसी का कारण ?

After all, why did an elevated road become the reason for the tug of war between the farmers' organization and the authority?

डॉ देवेन्‍द्र कुमार शर्मा

Panchayat 24 (नोएडा) : नोएडा का बहुप्रतीक्षित डीएससी रोड़ पर अगहापुर से भंगेल तक लगभग 4.5 किमी लंबा नवनिर्मित एलिवेटिड रोड़ मंगलवार सुबह ट्रायल रन के लिए खोला गया। शाम को नोएडा से लौटते समय मैं अपने दो साथी पत्रकारों के साथ इस एलिवेटिड रोड से होकर गुजरा। घंटों का सफर बिना किसी जाम के चंद मिनटों में संपन्‍न हो गया। हालांकि भंगेल के पास एलिवेटिड रोड से नीचे उतरते समय जाम और अव्‍यवस्‍था का भी सामना करना पड़ा।

ऐलिवेटिड रोड़ से गुजरने के बाद दो विचार मन में आए। ऐलिवेटिड रोड़ के नीचे के सड़क पर चलने वाले स्‍थानीय लोगों का क्‍या होगा ? वहीं, देर से ही सही इस ऐलिवेटिड रोड को बनाने के लिए नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण को धन्‍यवाद। नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण को धन्‍यवाद देने का अर्थ हुआ कि इसका श्रेय प्राधिकरण को दिया जाता है। लेकिन ऐलिवेटिड रोड़ को खुलवाने का श्रेय लेने वालों की लाइन में नोएडा का एक किसान संगठन-भारतीय किसान संगठन (लोक शक्ति) भी खड़ा है। किसान संगठन का दावा है कि उनके प्रयासों से ऐलिवेटिड रोड को लोगों के लिए खोला गया है।

दरअसल, लगभग दो महीने पूर्व बनकर तैयार हो चुके डीएससी रोड़ पर बने ऐलिवेटिड रोड को खोलने के लिए भारतीय किसान यूनियन (लोक शक्ति) के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार सुबह 11 खोलने की घोषणा की थी। वहीं, प्राधिकरण की टीम ने एक घंटे पूर्व सड़क का ट्रेफिक ट्रायल रन शुरू कर दिया। ऐसे में भारतीय किसान यूनियन को सड़क को खोलने का मौका ही नहीं मिलया। जब तक किसान यूनियन के कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे, सड़क पर वाहनों का संचालन शुरू हो चुका था।

कृषिवहीन हो चुके नोएडा में लगातार किसान संगठनों की संख्‍या में वृद्धि हो रही है। तथाकथित संगठनों के राष्‍ट्रीय से लेकर प्रदेश और नगर स्‍तरीय पदाधिकारी हर बार पीडित किसानों को यह विश्‍वास दिलाते हैं कि वह उनकी समस्‍याओं का समाधान अवश्‍य करा देंगे। परिणाम ढाक के तीन पात ही है। ऐसे में सवाल उठता है कि ऐलिवेटिड रोड़ को खुलवाने की जिद पर अड़े किसान संगठन के कार्यकर्ता कौन से किसानों की फसल को बर्बाद होने से बचाना चाहते थे ? किसान संगठन अपने लक्ष्‍य से भटक रहे हैं ?

कोई सड़क कब खुलेगी, इसका किसान संगठनों से क्‍या संबंध है ? इन्‍हें ऐलिवेटिड रोड़ निर्माण का कितना तकनीकी ज्ञान है ? किसी भी सड़क को जनता को समर्पित करने से पूर्व एक तय प्रक्रिया से गुजरना होता है। सुरक्षा एवं गुणवत्‍ता आदि मानकों पर पास होने के बाद ही सड़क को आम जनता के लिए खोला जाता है। ऐलिवेटिड रोड़ को खोलने की किसान संगठन के कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों की हठधर्मिता के कारण यदि कोई अनहोनी भी हो सकती थी। इसके लिए कौन जिम्‍मेवार होगा ?

नोएडा में डीएससी रोड को खोलने के लिए किसान संगठन की जिद में केवल शक्ति प्रदर्शन और श्रेय की लूट अधिक दिखाई देती है। प्राधिकरण ने ऐलिवेटिड रोड को ट्रायल रन के लिए खोलकर किसान संगठन के हाथों में अनाधिकृत श्रेय लेने का मौका छीन लिया। प्राधिकरण के अधिकारियों के अनुसार ट्रेफिक ट्रायल रन के दौरान वाहन संचालन, सुरक्षा मानकों और यातायात प्रवाह की निगरानी की जाएगी। यदि इस दौरान काई खामी मिलती है तो उसको दुरूस्‍त कर नियमित तौर पर जनता के लिए खोला जाएगा। अर्थात पूरे प्रकरण में किसान डाल-डाल, प्राधिकरण पात-पात अर्थात किसानों से प्राधिकरण एक कदम आगे रहा। वैसे यहां यह कहावत  चरितार्थ होती है – जिसका काम उसी को साजे, ……।

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