यमुना प्राधिकरण

यीड़ा ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा की गलतियों से ली सीख, अतिक्रमण के खिलाफ की अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई

YEIDA learns from the mistakes of Noida and Greater Noida, takes biggest action against encroachment yet

Panchayat 24 (ग्रेटर नोएडा) : अपने अधिसूचित क्षेत्र में औद्योगिक विकास के साथ क्षेत्रीय विकास की जिम्‍मेवारियों का निर्वहन कर रहे नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्‍सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के सामने अतिक्रमण बड़ी समस्‍या बन चुका है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण लगभग अतिक्रमण के मकड़ जाल में पूरी तरह से फंस चुके हैं। परिणामस्‍वरूप नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के एक्‍सटेंशन न्‍यू नोएडा के अतिरिक्‍त ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के साथ इसके एक्‍सटेंशन ग्रेटर नोएडा फेस-2 के अधिसूचित क्षेत्र में अतिक्रमण पूरी तरह हावी हैं। यमुना एक्‍सप्रेस-वे औद्यो‍गिक विकास प्राधिकरण में भी अतिक्रमण ने तेजी से पैर पसारे हैं।

यीड़ा ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों की गलतियों से सीख लेते हुए अतिक्रमण के खिलाफ तेजी से कार्रवाई शुरू कर दी है। परिणामस्‍वरूप यीड़ा ने बीते मंगलवार को विशेष कार्यकारी अधिकारी शैलेन्‍द्र कुमार सिंह के नेतृत्‍व में बुलन्‍दशहर जिले के ककोड़ एवं झाझर क्षेत्र में प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में हुए अतिक्रमण पर कार्रवाई कर 250 बीघा जमीन को कब्‍जा मुक्‍त कराया है। इस जमीन का बाजार मूल्‍य 2500 करोड़ रूपये हैं। बता दें कि बीते बुधवार को भी प्राधिकरण की टीम ने जेवर क्षेत्र के जेवर बांगर और मेवला गोपालगढ़ गांवों में अवैध रूप से बसाई जा रही कॉलोनियों पर कार्रवाई करते हुए लगभग दो सौ करोड़ कीमत की 13480 वर्गमीटर भूमि को कब्‍जा मुक्‍त कराया था।

यीड़ा की यह कार्रवाई एक तरफ भूमाफियाओं और अवैध कॉलोनाइजरों को स्‍पष्‍ट संकेत है कि भविष्‍य में प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में किसी भी तरह के अतिक्रमण को स्‍वीकार नहीं किया जाएगा। वहीं, अतिक्रमण के प्रति प्राधिकरण के नए सीईओ राकेश कुमार सिंह के बदले हुए रूख को भी दर्शाता है। दरअसल, यीडा सीईओ के पद पर तैनात होने के बाद राकेश कुमार सिंह ने प्राधिकरण द्वारा आवंटित भूखंडों पर अधिक से अधिक उद्योग लगाने एवं किसानों के मामलों को हल करने पर जोर दिया। अतिक्रमण की समस्‍या को उन्‍होंने नकारात्‍मक कार्य बताया। जिस तरह से यीडा अतिक्रमण के प्रति सख्‍त रूख अपना रहा है, अनुभव होता है कि राकेश कुमार अतिक्रमण की समस्‍या की गंभीरता को समझ चुके हैं। ऐसे में अतिक्रमण के प्रति यीडा के बदले रूख को देखकर यही कहा जा सकता है कि सीईओ साहब देर से आए, लेकिन दुरूस्‍त आए है।

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