उत्तर प्रदेश

इतिहास के पन्‍नों से : भाजपा के खिलाफ चरम पर पहुंचा जातीय ऊफान, फिर भी गौतम बुद्ध नगर लोकसभा की पांचों विधानसभाओं पर खिला कमल

From the pages of history: Caste upsurge against BJP reached its peak, yet all five assemblies were held in the name of BJP.

Panchayat 24 : गौतम बद्ध नगर लोकसभा सीट को ऐसे ही भाजपा का अभेद दुर्ग नहीं कहा जाता है। यहां पर विषम परिस्थितियों में भी भाजपा ने विजय पताका फहराई है। यहां भाजपा को किसी एक या दो नहीं बल्कि पूरी पांचों विधानसभा सीटों पर विजयश्री मिली है।  हालांकि चुनावी राजनीति में कब कौन सा मुद्दा चुनाव को प्रभावित कर दे इसके बारे में कहना बहुत कठिन है। ऐसे प्रकरण, जिसने न केवल गौतम बुद्ध नगर बल्कि उत्‍तर भारत के कई राज्‍यों और जिलोंं के समाजों को अपनी जद में ले लिया था, के बावजूद भाजपा गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट की सभी पांचों विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही थी।

इस बार भी लोकसभा चुनाव में क्‍या कोई मुद्दा चुनाव परिणाम को प्रभावित कर पाएगा इसके बारे में चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा ? हालांकि अभी तक के सफर में भारतीय जनता पार्टी के उम्‍मीदवार डॉ महेश शर्मा अपने करीबी प्रत्‍याशियों, समाजवादी पार्टी के महेन्‍द्र सिंह नागर और बहुजन समाज पार्टी के राजेन्‍द्र सिंह सोलंकी पर भारी दिख रहे हैं।

क्‍या है पूरा मामला ? 

विधानसभा चुनाव 2022 करीब बहुत करीब थे। सभी राजनीतिक दल विधानसभाओं की तैयारियों में जुटे थे। गौतम बुद्ध नगर में भी राजनीतिक पारा तेजी से बढ़ रहा था। भारतीय जनता पार्टी दो मोर्चों पर लड़ रही थी। एक विपक्षी दलों से और दूसरा पार्टी की अन्‍दरूनी गुटबाजी से। इस बीच 23 सितंबर 2021 को उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ का गौतम बुद्ध नगर दौरा प्रस्‍तावित था। इस दौरान उन्‍हें ग्रेटर नोएडा स्थित इंडिया एक्‍सपो मार्ट में एक कार्यक्रम को संबोधित करना था। इसके बाद उन्‍हें दादरी स्थित मिहिर भोज डिग्री कॉलेज में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण करना था। कार्यक्रम से दो दिन पूर्व प्रतिमा अनावरण को लेकर विवाद पैदा हो गया। प्रतिमा के शिलापट पर सम्राट मिहिर भोज लिखा हुआ था। गुर्जर सम्राट ने गुर्जर सग्राट मिहिर भोज नहीं लिखे जाने पर एतराज व्‍यक्‍त किया। गुर्जर समाज का कहना था कि सम्राट मिहिर भोज गुर्जर कुल से थे। इस लिए उनके नाम के सामने गुर्जर शब्‍द लिखा जाना चाहिए। वहीं, राजपूत समाज ने गुर्जर समाज के एतराज को गलत बताया। दोनों समाजों के बीच तनाव बढ़ गया। ऐसे में ताजा हालात को देखते हुए मुख्‍यमंत्री के दादरी आगमन को लेकर आशंकाएं पैदा हो गई। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मुख्‍यमंत्री योगी को दादरी कार्यक्रम में नहीं जाने की सलाह दी गई। आदित्‍यनाथ को ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्‍सपोमार्ट से ही वापस लखनऊ लौटने को कहा गया। मुख्‍यमंत्री ने पार्टी नेताओं की सलाह को दरकिनार करते हुए दादरी कार्यक्रम में जाने का फैसला किया। दादरी में मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ का कार्यक्रम तो शांतिपूर्ण तरीके से संपन्‍न हो गया लेकिन विधानसभा चुनाव से पूर्व गुर्जर और राजपूत समाज के बीच तनाव बढ़ गया।

दादरी से पूरे देश में फैल गया विवाद, दोनों समाजों आ गए आमने सामने

राजपूत समाज ने सम्राट मिहिर भोज को राजपूत कुल से बताया। उन्‍होंने गुर्जर समाज पर राजपूत कुल के महापुरूषों को छीनने का आरोप लगाया। मामला इतना तूल पकड़ गया कि देश भर के गुर्जर और राजपूत समाज के बीच तनाव पैदा हो गया। उत्‍तर प्रदेश, मध्‍यप्रदेश, राजस्‍थान और हरियाणा आदि राज्‍यों में दोनों समाजों के बीच कई स्‍थानों पर टकराव की स्थिति पैदा हो गई। इस प्रकरण की तीव्रता को इसी बात से समझा जा सकता है कि भले ही गौतम बुद्ध नगर में यह मामला शांत हो गया हो, लेकिन देश के अलग अलग हिस्‍सों में आज भी इस प्रकरण को लेकर दोनों समाज एक दूसरे के सामने आ जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में इस प्रकरण का प्रभाव अधिक देखा गया। पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, मेरठ, बागपत, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, सहारनपुर, अमरोहा, बुलन्‍दशहर, मथुरा और आगरा विधानसभा सीटों पर इस विवाद का असर दिखने लगा। भाजपा को इसका चुनावी नुकसान होता दिखने लगा।

विधानसभा चुनाव में गुर्जर समाज ने किया भाजपा के बहिष्‍कार का फैसला

इस पूरे प्रकरण का आगामी विधानसभा चुनाव 2022 पर असर पड़ना तय हो चुका था। पूरे प्रकरण में गुर्जर समाज ने खुद को ठगा हुआ महसूस किया। गुर्जर गांवों में पंचायतों का दौर शुरू हो गया। मिहिर भोज डिग्री कॉलेज में लगी मिहिर भोज की प्रतिमा के सामने से गुर्जर शब्‍द हटाने के लिए भाजपा को जिम्‍मेदार ठहराया गया। इसको पूरे गुर्जर समाज का अपमान बताया गया। पंचायतों में आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ मतदान का निर्णय लिया गया।

गांवों के बाहर गुर्जर सम्राट मिहिर भोज लिखे बोर्ड लगाए गए

विधानसभा चुनाव 2022 से ठीक पहले दादरी प्रकरण का यह असर हुआ कि गुर्जर गांवों के बाहर बोर्ड लगाए गए। बोर्ड पर गांव के नाम से पूर्व गुर्जर सम्राट मिहिर भोज लिखा गया। कुछ ऐसी ही प्रतिक्रिया राजपूत गांवों में भी देखी गई। दोनों समाजों के बीच वैमन्‍स्‍यता बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया वाला मंच बन गया। दोनों समाज की ओर से सोशल मीडिया पर एक दूसरे के खिलाफ जमकर जहर उगला। विशेषकर युवाओं ने एक दूसरे के लिए अमर्यादित शब्‍दों का प्रयोग किया। शिष्‍टाचार की सभी मर्यादाएं टूटने लगी। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पैदा हुआ यह विवाद पुलिस और प्रशासन के लिए भी सिरदर्द बन गया।

भाजपा की गुटबाजी से पैदा हुआ विवाद, सपा ने चला चुनावी दांव

जानकारों का मानना है कि सम्राट मिहिर भोज प्रकरण भारतीय जनता पार्टी की अन्‍दरूनी गुटबाजी का परिणाम था। एक गुट चाहता था कि किसी तरह दादरी में मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ का कार्यक्रम रद्द हो जाए, जिससे दूसरा गुट की राजनीतिक प्रतिष्‍ठा धूमिल हो जाए। लेकिन जब यह विवाद अपने चरम पर पहुंचा तो यह केवल गौतम बुद्ध नगर की भाजपा की गुटबाजी का हिस्‍सा नहीं रहा, बल्कि लोगों की उम्‍मीद से कहीं आगे निकलकर लखनऊ और दिल्‍ली दरबार की चिंताओं को बढ़ाने लगा। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पैदा हुए इस प्रकरण को समाजवादी पार्टी ने अपने लिए चुनाव में हथियार बनाने का दांव चल दिया। समाजवादी पार्टी ने सम्राट मिहिर भोज प्रकरण को गुर्जर समाज की प्रतिष्‍ठा से जोड़कर जातीय कार्ड खेल दिया। समाजवादी पार्टी ने इस प्रकरण के सहारे पश्चिम उत्‍तर प्रदेश में गुर्जर समाज को साधकर राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास किया और इस मुद्दे को धार दी। गुर्जर समाज की पंचायतों में समाजवादी पार्टी ने बढ़चढ़कर हिस्‍सा लिया। भाजपा पर गुर्जर समाज से सौतेला व्‍यवहार करने का आरोप भी मंढ दिया।

चुनाव परिणाम ने बदल दिया राजनीतिक माहौल

मिहिर भोज प्रकरण के बाद पैदा हुए तनाव के बीच विधानसभा चुनाव 2022 संपन्‍न हो गए। चुनाव परिणामों ने सभी को चौंका दिया। गौतम बुद्ध नगर लोकसभा लोकसभा सीट के अन्‍तर्गत आने वाली पांचों विधानसभाओं पर भारतीय जनता पार्टी की जीत हुई। इनमें से नोएडा, दादरी, जेवर और सिकन्‍द्रबाद विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी की जीत कई मायनों में अहम थी। इन विधानसभा सीटों पर गुर्जर मतदाता अच्‍छी खासी तादात में हैं। विशेषरूप से दादरी विधानसभा पर सबसे अधिक गुर्जर मतदाता है। माना जा रहा था कि इस प्रकरण का उत्‍तर प्रदेश, विशेष रूप से पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश में भाजपा को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। दादरी विधानसभा पर भाजपा प्रत्‍याशी तेजपाल सिंह नागर की हार को लोग तय मानकर चल रहे थे। लेकिन सबसे अधिक चौकाने वाला परिणाम इसी विधानसभा सीट पर सामने आया। भाजपा प्रत्‍याशी उत्‍तर प्रदेश में तीसरी सबसे बड़ी जीत दर्ज करने में कामयाब रहे।

गुर्जर समाज के गांवों में भी भाजपा विरोधी मुहिम को नहीं मिल सका समर्थन 

विधानसभा चुनाव परिणामों ने सभी को चौंका दिया। गुर्जर समाज गांवों में भाजपा विरोध की मुहिम सबसे अधिक चलाई गई। इसके बावजूद गुर्जर समाज के गांवों में भी भाजपा प्रत्‍याशी को छप्‍पर फाड़ वोट मिले। उदारण के तौर पर दादरी विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के उम्‍मीदवार राजकुमार भाटी मिहिर भोज प्रकरण को लेकर सबसे अधिक मुखर दिखे। उन्‍होंने इस प्रकरण को गुर्जर असमिता से जोड़ने का भरसक प्रयास किया। चुनाव परिणाम से पूर्व यह प्रतीत भी हो रहा था कि राजकुमार भाटी अपने प्रयासों में सफल भी हो गए हैं। लेकिन चुनाव परिणामों से पता चलता है कि अधिकांश गांवों में राजकुमार भाटी भाजपा प्रत्‍याशी तेजपाल सिंह नागर से पिछड़ गए। महज चंद गांवों में उन्‍हें भाजपा प्रत्‍याशी से कुछ वोट अधिक मिली। जबकि जिन गांवों में भाजपा प्रत्‍याशी को अधिक वोट मिली वहां राजकुमार भाटी उनके आसपास भी नहीं दिखे। यहां तक कि राजकुमार भाटी के गांव लुहारली में भी भाजपा प्रत्‍याशी तेजपाल सिंह नागर को अच्‍छी खासी वोट मिले। दोनों के वोटों में मामूली अंतर था।

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