नोएडा जोन

नोएडा में चल रहा था लोन दिलाने के नाम पर ऑनलाइन ठगी का गोरखधंधा, गिरोह के बारे में जानकर चौंक जाएंगे

Online fraud in the name of getting loan was going on in Noida, you will be shocked to know about the gang.

Panchayat 24 : उत्‍तर प्रदेश एसटीएफ को बड़ी सफलता हाथ लगी है। नोएडा में लोन दिलाने के नाम पर चल रहे गोरखधंधे से जुड़े 8 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। नोएडा में इस गोरखधंधे को चला रहे गिरोह की मास्‍टर माइंड एक महिला है। पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपियों में 6 महिलाएं और दो पुरूष हैं। पुलिस ने मौके से ऑनलाइन ठगी करने के लिए प्रयोग किए जा रहा काफी सामान बरामद किया है। यह गिरोह पिछले 6 महीनों में 20 फर्जी और यूपीआई एकाउंट का प्रयोग करके लगभग तीन सौ लोगों से करोड़ों की ठगी कर चुके हैं। गिरोह के अन्‍य सदस्‍यों की भी पुलिस तलाश कर रही है। सभी आरोपियों के खिलाफ संबंधित कोतवाली में मामला दर्ज कर वैधानिक कार्रवाई की जा रही है। मामला सेक्टर-63 कोतवाली क्षेत्र का है।

क्‍या है पूरा मामला ?

जानकारी के अनुसार एसटीएफ को सूचना मिली थी कि नोएडा के सेक्‍टर-63 में लोन दिलाने के नाम पर ऑनलाइन ठगी का काम चल रहा है। एसटीएफ ने स्‍थानीय पुलिस की साथ मिलकर 22 फरवरी शाम को मुखबिर की सूचना पर एक इमारत पर छापेमारी कर छाया निवासी कानपुर, प्रिया शुक्‍ला निवासी ग्रेटर नोएडा, आंचल चौधरी निवासी सिकनद्राबाद, सुलेखा निवासी छपरौला, अर्चना निवासी प्रयागराज, शिवानी निवासी मोदीनगर, सोनू निवासी कन्‍नौज और अंकित निवासी गाजियाबाद को मौके से गिरफ्तार कर लिया। इस गिरोह की मास्‍टरमाइंड छाया है।

पूछताछ के दौरान आरोपी छाया ने बताया कि साल 2020 में वह एक ऑफिस में बैंकेड का काम देखती थी। यहीं पर उसकी मुलाकात गिरोह के दूसरे सदस्‍यों से हुई। इसके बाद उन्‍होंने जरूरतमंद  लोगों को इंडिया बुल्‍स कंज्‍युमर फाइनेंस धनी एप के माध्‍यम लोन दिलाने के नाम पर ठगी करने का काम शुरू कर दिया था। अगस्‍त 2023 से एक फर्जी आईडी के सहारे रेंट एग्रीमेंट करके सेक्‍टर-63 स्थित सी-4 में अपना काम शुरू करने लगे। इस काम के लिए रजत नामक एक सॉफ्टटवेयर इंजीनियर द्वारा डाटा उपलब्‍ध कराया जाता है। प्री एक्टिवेटिड सिम लव और गणेश उपलब्‍ध कराते थे। गिरोह के दूसरे सदस्‍य रजत द्वारा उपलब्‍ध कराए गए डाटा के आधार पर लोगों को कॉल करके खुद को इंडिया बुल्स कंज्‍युमर फाइनेंस कंपनी में मैनेजर बताकर लोन देने के नाम पर अपने जाल में फंसाते थे।

लोगों को जाल में फंसने के बाद 45 सौ रूपये यूपीआई या बैंक अकाउंट में भेजकर उन्‍हें एप्रुवल लेटर वॉटसअप पर भेज देते थे। इससे लोगों को विश्‍वास हो जाता था कि उनका लोन जल्‍दी ही बैंक से हो जाएगा। इसके बाद इन लोगों के पास बैंक कर्मचारी बनकर तरह जीएसटी तथा अन्‍य तरह की प्रक्रिया के नाम पर रकम लूटते थे। कस्‍टमर को वॉटसअप पर अमाउंट रिसीविंंग लेटर भेज दिया जाता था। बाद में यूपीआई और बैंक खातों में आई रकम को कैश में निकाल लिया जाता था।

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