60वें आईएचजीएफ दिल्ली मेले का आयोजन : यूएस टैरिफ की चुनौतियों के बीच संभावनाओं की तलाश
60th IHGF Delhi Fair: Exploring Opportunities Amid US Tariff Challenges

Panchayat 24 (ग्रेटर नोएडा) : संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा रूस-युक्रेन युद्ध में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से रूस का सहयोग करने वाले देशों पर टैरिफ की नीति अपनाई है। भारत पर भी 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया है। यह भारतीय कारोबारियों के लिए चिंता बढ़ाने वाला विषय है। हालांकि भारत सरकार एवं कारोबारियों ने इस समस्या से निपटने के समय रहते प्रयास किए जिसके चलते यूएस टैरिफ का उतना प्रभाव भारत पर नहीं पड़ा है जितनी आशंकाएं व्यक्त की जा रही थी। कारोबार की दृष्टि से दुनिया बहु आयामी है।
भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका से होने वाले व्यापार घाटे की भरपाई के लिए दुनिया के दूसरे देशों में संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दी है। वहीं, अपने घरेलू बाजार पर प्रमुखता से ध्यान केन्द्रित किया है। इसके सुखद संकेत मिल रहे हैं। हालांकि अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में बहुत कुछ उतार चढ़ाव का दौर चल रहा है। इस बीच एक दिन पूर्व अमेरिका द्वारा चीन पर सौ प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ की घोषणा ने भारत के लिए बेहतर संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं। हालांकि टैरिफ के बाद पैदा हुई चुनौतियों का दौर समाप्त हो गया है, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी, लेकिन दुनिया के दूसरे देशों के बाजारों में संभावनाओं की तलाश को अनवरत जारी रखना होगा।
यूएस टैरिफ चुनौतियों के बीच सोमवार से ग्रेटर नोएडा स्थित इंडिया एक्सपो मार्ट में 13 अक्टूबर से 17 अक्टूबर तक चलने वाले 60वें आईएचजीएफ मेला-2025 कई मायनों में विशेष है। जहां मेले की आयोजक ईपीसीएच अपने 60 साल पूरे कर रहा है। वहीं, दुनिया के नए बाजारों में अपने लिए संभावनाओं की तलाश के बीच नई चुनौतियों से भी निपटना होगा। यहां नए प्रतिस्पर्धी एवं नए अवसर होंगे। ईपीसीएच द्वारा किए गए प्रयासों का परिणाम भविष्य में तय होगा। मेले में आने वाले देशी एवं विदेशी निर्यातकों एवं खरीददारों को जोड़ने के लिए पर्यावरण अनुकूल एवं बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पादों को पेश किया जाएगा।
ईपीसीएच के अध्यक्ष डॉ. नीरज खन्ना ने कहा कि पिछले तीन दशकों में आईएचजीएफ दिल्ली मेला वर्तमान चुनौतियों के बीच भविष्य की संभावनाओं को तलाशने का प्रयास कर रहा है। यूएस टेरिफ हमारे लिए आपदा में अवसर जैसा है। हमने यूएस से कारोबार के विकल्प तलाशे हैं। इसका ही परिणाम है कि मेले में 110 से अधिक देशों से ओवरसीज खरीदारों के आने की उम्मीद है, इनमें अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बहरीन, बेल्जियम, ब्राजील, कनाडा, चिली, चेक रिपब्लिक, डेनमार्क, मिस्र, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, हांगकांग, इंडोनेशिया, ईरान, इटली, जापान, कोरिया, मलेशिया, मैक्सिको, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, पनामा, फिलीपींस, पुर्तगाल, कतर, रूस, सऊदी अरब, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, वियतनाम, जिम्बाब्वे और अन्य कई देश शामिल हैं।
ईपीसीएच के महानिदेशक की भूमिका में मुख्य संरक्षक और आईईएमएल के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ने कहा कि 1994 में अपनी शुरुआत के बाद से आईएचजीएफ दिल्ली मेला दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण बाजारों में से एक बन गया है। दुनिया को भारत से बहुत सारी अपेक्षाएं हैं। यह हमारे लिए दुनिया में मौजूद अवसरों के बारे में बताती है। दुनिया के कई देशों से हमारे अलग अलग उत्पादों की कड़ा मुकाबला है। इसके लिए उच्च गुणवत्ता के लिए नई तकनीक एवं अनुभव की आवश्यकता है। भविष्य के इन अवसरों पर चर्चा के लिए मेले में मंथन कार्यक्रम का भी अयोजन किया जाएगा। यह एक ऐसा मंच होगा जहां विशेषज्ञ नए कारोबारियों के सामने अपने विचार प्रस्तुत करेंगे। इससे कारोबारियारियों को अपने उत्पादों को ब्रांड बनाने में मदद मिलेगी।
बता दें कि हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) देश से हस्तशिल्प के निर्यात को बढ़ावा देने और देश के विभिन्न शिल्प समूहों में होम, लाइफस्टाइल, फर्नीचर, इंटीरियर, टेक्सटाइल, फैशन जूलरी एवं एक्सेसरीज, गिफ्ट और अन्य उत्पादों के उत्पादन में लगे लाखों कारीगरों और शिल्पकारों के प्रतिभाशाली हाथों के जादू की ब्रांड छवि बनाने में लगी एक नोडल संस्था है। ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा ने बताया कि वर्ष 2024-25 के दौरान हस्तशिल्पों का कुल निर्यात 33,123 करोड़ रुपये (3,918 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का हुआ ।