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आचार्य प्रमोद कृष्‍णम का निष्‍कासन : कांग्रेस पार्टी दोराहे पर, गांधी परिवार विचारधारा के आधार पर बंटा

Expulsion of Acharya Pramod Krishnam: Congress party at crossroads, Gandhi family divided on the basis of ideology

Panchayat 24 : कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनाव 2024 से पूर्व एक दोराहे पर खड़ी दिख रही है। कांग्रेस पार्टी के लिए गांधी परिवार एक संकटमोचन की भूमिका निभाता रहा है। वर्तमान में गांधी परिवार के सभी प्रयासों के बावजूद कांग्रेस पार्टी समस्‍याओं के भंवर जाल में फंसती ही जा रही है। गांधी परिवार इस समय राजनीतिक तौर पर अभी तक की कांग्रेस पार्टी की राजनीति में सबसे कमजोर स्थिति में है। इसका असर पार्टी की नीतियों और नेतृत्‍व पर दिख रहा है। पार्टी की नीतियों पर एक वर्ग विशेष का प्रभाव दिख रहा है। परिणामस्‍वरूप गांधी परिवार विचारधारा के आधार पर बंटा हुआ दिख रहा है। आचार्य प्रमोद कृष्‍णम के निष्‍सकासन ने पार्टी के अंदर चल रही हलचल से पर्दा उठा दिया है। कांग्रेस पार्टी से निकाले जाने के बाद आचार्य प्रमोद कृष्‍णम ने कहा है कि पार्टी में प्रियंका गांधी और सचिन पायलट जैसे नेताओं का भी असम्‍मान नहीं है।

दरअसल, आचार्य प्रमोद कृष्‍णम का गांधी परिवार से लंबा और करीब का नाता रहा है। उन्‍होंने साल 1985 में यूथ कांग्रेस से अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की थी। उन्‍हें प्रियंका गांधी का राजनीतिक गुरू माना जाता है। वर्तमान में कांग्रेस में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी शक्ति के दो ध्रुव माने जाते हैं। हालांकि सोनिया गांधी के राजनीति में सक्रिय होने के बाद से ही पार्टी का एक धड़ी राहुल गांधी के राजनीति में सक्रिय होने का पक्षधर रहा। इसके कारण राहुल गांधी को पहले कांग्रेस पार्टी और फिर देश की राजनीति में उतारा गया। कांग्रेस पार्टी मानकर चल रही थी कि राहुल गांधी देश की जनता में गांधी परिवार के आकर्षण को बरकरार रखें। इसका लाभ कांग्रेस पार्टी को निकट भविष्‍य में दिखेगा। लेकिन इसका परिणाम उलट हुआ। राहुल गांधी के नेतृत्‍व में कांग्रेस पार्टी लगातार कई राज्‍यों के विधानसभा और साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव हार गई। पार्टी के अंदर से ही राहुल गांधी के खिलाफ आवाजें उठनी शुरू हो गई। कांग्रेस पार्टी के एक धड़ ने प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में उतारे जाने की मांग की। वर्तमान में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी मिलकर भी काग्रेस के पुराने दिनों को नहीं ला सके हैं।

राहुल गांधी  और प्रियंका प्रियंका गांधी के समर्थकों के बीच खेमेबंदी

जानकारों की माने तो कांग्रेस के अंदर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के समर्थकों के बीच खेमेबंदी हैं। दोनो खेमों में विचारों के आधार पर मतभेद हैं। बता दें कि पार्टी के कई बड़े नेता राहुल गांधी की राजनीति की समझ और निर्णय क्षमता पर सवाल उठा चुके हैं। ऐसे नेताओं की एक लंबी सूची है जो कांग्रेस पार्टी पर अपनी मूल विचाधारा से भटकने का आरोप लगाते रहे हैं। इन नेताओं ने पार्टी के अंदर अपनी अनदेखी के चलते पार्टी तक छोड़ दी है। वहीं, प्रियंका गांधी समर्थक धड़ा पार्टी की नीतयों और निर्णय निर्माण में राहुल गांधी पर प्रियंका गांधी वाड्रा को तवज्‍जो दिए जाने की वकालत करता है।

राहुल गांधी और प्रियंका गांधी गुटों के बीच विचारधारा का टकराव

दरअसल, राहुल गांधी खेमे में सैम पित्रोदा और दिग्विजय सिंह जैसे लोगों को काफी प्रभावशाली माना जाता है। इनके विचारों में वामपंथी का प्रभाव झलकता है। इनकी छवि देश के बहुसंख्‍यक वर्ग के विरोध में मानी जाती है। वर्ततान में राहुल गांधी पर भी वामपंथी विचारधारा का खासा असर दिख रहा है। राहुल गांधी देश के वामपंथी नेताओं के साथ अधिक जुगलबंदी बढ़ा रहे है। राहुल के भाषणों और निर्णयों में वामपंथ की झलक दिखती है। भले ही चुनाव से कुछ समय पूर्व राहुल गांधी मंदिर मंदिर घूमते हो। कपड़ों के ऊपर जनेऊ धारण करते हो। खुद का गौत्र लोगों को बताते हो, लेकिन सनातन को लेकर उनके विचारों में खुलापन नहीं है।

वहीं, प्रियंका गांधी के विचार सार्वजनिक तौर पर सनातन विरोधी नहीं रहे हैं। वह जब भी मंदिर जाती है तो इस बात का ध्‍यान रखती हैं कि सनातन शिष्‍टाचार का ध्‍यान रखा जाए। उनके बयान भी बहुसंख्‍यक वर्ग को आहत करने वाले नहीं होते दिखे हैं। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के बीच इस वैचारिक अंतर के लिए जानकारों का कहना है कि राहुल गांधी की सलाहकार मण्‍डली में कुछ जेएनयू से संबंध रखने वाले लोगों का प्रवेश हुआ है। वहीं, प्रियंका गांधी के राजनीतिक सलाहकार आचार्य प्रमोद कृष्‍णम रहे हैं। बता दें कि आचार्य प्रमोद कृष्‍णम ने कांग्रेस पार्टी को हर उस मौके पर चेताया था जब पार्टी की नीतियों और निर्णयों से देश कााबहुसंख्‍यक वर्ग आहत होने वाला था। धारा 370, तीन तलाक, राममंदिर निर्माण और नए संसद भवन उद्घाटन के समय आचार्य प्रमोद कृष्‍णम ने कांग्रेस द्वारा किए गए विरोध को अनावश्‍यक और पार्टी के लिए घातक बताया था।

वामपंथी पार्टियां अपने एजेंडे को बढ़ाने के लिए राहुल गांधी का इस्‍तेमाल कर रही है ?

राहुल गांधी वर्तमान में केरल के वायनाड से लोकसभा सांसद है। केरल में वामपंथी दलों का प्रभाव है। राहुल गांधी की वायनाड जीत में वामपं‍थी दलों का भी सहयोग रहा है। देश में लगभग हाशिए पर आ चुका वामपंथ देश के विपक्ष में सबसे बड़े दल कांग्रेस से बहुत करीब दिख रहा है। पार्टी के बड़े नेताओं की राहुल गांधी के साथ खूब अच्‍छी खासी दोस्‍ती दिख रही है। वर्तमान में केन्‍द्र की सत्‍ता में विराजमान एनडीए के विरोध में  बनाए जा रहे इंडिया गठबंधन को लेकर वामपंथी नेता राहुल गांधी के सुसर में सुर मिला रहे हैं। गठबंधन के अंदर कई दलों ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए गठबंधन को त्‍याग दिया है। लेकिन वामपंथी दल कांग्रेस के साथ खड़े हैं।

वहीं, इंडिया गठबंधन के अहम घटक दल तृणमूल कांग्रेस के साथ वामपंथी दलों को लेकर कांग्रेस के रिश्‍तों में कड़वाहट आई है। कांग्रेस बंगाल जैसे अहम राज्‍य में तृणमूल कांग्रेस की कीमत पर वामपथी दलों के साथ खड़े दिख रहे हैं। जानकारों का मानना है कि राहुल गांधी वामपंथ की मदद से करेल में अपनी वायनाड लोकसभा सीट पर कब्‍जा बरकरार रखना चाहते हैं। वहीं, वामपंथी दल राहुल गांधी और कांग्रेस के वामपंथी विचारधारा वाले लोगों को साधकर भारतीय राजनीति में अपनी प्रासंगिकता बनाए रखना चाहते हैं।

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