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गौतम बुद्ध नगर में भाजपा की पिच पर बैटिंग करने उतरी सपा, 2022 में मिली थी हार, 2027 में बदलेगा परिणाम ?

SP came out to bat on BJP's pitch in Gautam Buddha Nagar, it was defeated in 2022, will the result change in 2027?

डॉ देवेन्‍द्र कुमार शर्मा 

Panchayat 24 : गौतम बुद्ध नगर में भाजपा नेतृत्‍व ने ब्राह्मण चेहरा अभिषेक शर्मा पर विश्‍वास व्‍यक्‍त करते हुए जिलाध्‍यक्ष बनाया है। वहीं, महेश चौहान को पार्टी ने नोएडा महानगर अध्‍यक्ष चुना है। हालांकियह भाजपा का आंतरिक मामला है। इसके बावजूद समाजवादी पार्टी इसको निशाने पर ले रही है। बड़ी संख्‍या में पार्टी के कार्यकर्ता और वरिष्‍ठ नेता तक भाजपा पर जिले की बड़ी जातीय आबादी के रूप में गुर्जर समाज की उपेक्षा का आरोप लगा रहे हैं। भाजपा द्वारा जिलाध्‍यक्ष घोषित किए जाने के बाद से ही सोशल मीडिया पर खूब घमासान मचा हुआ है।

गौतम बुद्ध नगर में समाजवादी पार्टी दादरी विधानसभा सीट को अपनी नई सोशल इंजीनियरिंग पीडीए के लिए सबसे मुफीद मानती है। पार्टी गुर्जर समाज को पीडीए का हिस्‍सा मानकर चुनावी रणनीति को गुर्जर समाज के इर्दगिर्द बुनती है। हालांकि दादरी विधानसभा सीट पर भाजपा, बसपा और कांग्रेस और समाजवादी भी यहां अभी तक गुर्जर प्रत्‍याशी को चुनाव मैदान में उतरती रही हैं। इसके बावजूद समाजवादी पार्टी जिले की किसी अन्‍य विधानसभा सीट की अपेक्षा दादरी विधानसभा सीट पर सबसे दमदार तरीके से अपना दावा ठोकती है।

समाजवादी पार्टी पीडीए के घटक दलों (पिछड़ा, दलित और अल्‍पसंख्‍यक), विशेष रूप से गुर्जर समाज को अपने पक्ष में करने के लिए हर बार पुरजोर कोशिश करती है। इस बार भी कोई अवसर नहीं छोड़ रही है। शायद पार्टी नेतृत्‍व मान चुका है कि गुर्जर समाज का एकमुश्‍त वोट गौतम बुद्ध नगर जिले में पार्टी की जीत की राह प्रशस्‍त कर सकता है। यहीं कारण है कि गुर्जर बाहुल्‍य जिले में भाजपा द्वारा ब्राह्मण चेहरे के रूप में अभिषेक शर्मा को जिलाध्‍यक्ष बनाए जाने के निर्णय की आड़ में समाजवादी पार्टी भाजपा को गुर्जर विरोधी साबित करना चाहती है। समाजवादी पार्टी के प्रवक्‍ता राजकुमार भाटी ने भी इस संबंध में सोशल मीडिया पर एक पोस्‍ट की है। हालांकि पोस्‍ट में उन्‍होंने गुर्जर जाति का जिक्र नहीं किया है, लेकिन उनकी पोस्‍ट पर लोगों की प्रतिक्रिया यही बयां करती हैं।

 दरअसल, समाजवादी पार्टी गौतम बुद्ध नगर में इस मुद्दे की आड़ में 2027 के आगामी विधानसभा चुनावों के लिए जमीन तलाश रही है। एक बार फिर समाजवादी पार्टी के लिए  दादरी विधानसभा सीट पर ही उम्‍मीदें टिकी हुई हैं। यही कारण है कि विरोधी दल भाजपा के आंतरिक मुद्दे का भी राजनीतिकरण करने से पार्टी नेताओं ने परहेज नहीं किया है। हालांकि ऐसा नहीं है कि दादरी विधानसभा सीट पर गुर्जर जाति के एकीकरण के सहारे पार्टी की नैया पार लगाने का यह समाजवादी पार्टी का पहला प्रयास है।

साल 2022 के विधानसभा चुनाव से पूर्व भी समाजवादी पार्टी कुछ इस तरह का प्रयोग कर चुकी है। समाजवादी पार्टी ने भाजपा पर गुर्जर अस्मिता से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया था। पार्टी नेताओं को उम्‍मीद थी कि अधिक से अधिक गुर्जर समाज समाजवादी पार्टी के पक्ष में भारी मतदान करेगा। पार्टी का यह दांव दादरी विधानसभा सीट आत्‍मघाती साबित हुआ। इतना ही नहीं, गुर्जर गांवों में भी समाजवादी पार्टी के उम्‍मीदवार राजकुमार भाटी को करारी हार का सामना करना पड़ा। बड़ी संख्‍या में  गुर्जर बाहुल्‍य गांवों में मतदाताओं ने भाजपा प्रत्‍याशी तेजपाल नागर के पक्ष में बंपर मतदान किया। चुनाव परिणाम से स्‍पष्‍ट था कि गुर्जर समाज ने समाजवादी पार्टी की रणनीति को नकार दिया था।

ऐसे में सवाल उठता है कि भाजपा द्वारा अभिषेक शर्मा को जिलाध्‍यक्ष बनाए जाने को समाजवादी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता इतना तूल क्‍यों दे रहे हैं ? क्‍या समाजवादी पार्टी गुर्जर अस्मिता से जोड़कर भाजपा में गुर्जर समाज की अनदेखी का मुद्दा बनाकर जिले में किसी बड़े राजनीतिक बदलाव की उम्‍मीद कर रही है ? ऐसा नहीं है कि राजनीति में चमत्‍कार नहीं होते हैं। इसके बावजूद गौतम बुद्ध नगर में आगामी साल 2027 के विधानसभा चुनाव में साल 2022 के चुनाव परिणाम बदलने का कोई संकेत दिखाई नहीं दे रहा है। फिलहाल भाजपा द्वारा ब्राह्मण चेहरे के रूप में अभिषेक शर्मा को जिलाध्‍यक्ष बराए जाने पर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं द्वारा जिस तरह से राजनीतिकरण किया जा रहा है उससे यही प्रतीत हो रहा है कि समाजवादी पार्टी एक बार फिर उस पिच पर बैटिंग करती हुई दिखी जहां विरोधी दल भाजपा से आज तक पार नहीं पा सकी है।

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