युक्रेन-रूस युद्ध में 9 मई को क्या होगा, दुनिया की सांसें अटकी
What will happen on May 9 in the Ukraine-Russia war, the world's breath held
Panchayat24.com (डॉ देवेन्द्र कुमार शर्मा) : युक्रेन-रूस युद्ध को चलते हुए 74 दिन हो चुके हैं। भले ही रूस युद्ध में रूस युक्रेन पर भारी पड रहा हो। युक्रेन को युद्ध की कीमत भारी बर्बादी के रूप में चुकानी पड़ रही हो। लेकिन यह भी सत्य है कि जितना आसान इस लड़ाई को रूस ने समझा था, रूस के नजरिए से यह सब उतना आसान नहीं रहा है। ऐसे भी रूस को भी इसका नुकसान उठाना पड़ रहा है। यह युद्ध जितना लम्बा चलेगा, रूस पर भी इसका दबाव बढ़ता जाएगा। ऐसे में रूस इस लड़ाई को जल्द से जल्द समाप्त करना चाहता है। ऐसे में 9 मई को रूस में होने वाली विक्टरी परेड में इस युद्ध की समाप्ति के लिए कोई बड़ी बात कह सकते है। इसी को लेकर दुनिया भर की निगाहें 9 मई को विक्टरी परेड के मौके पर रूस के संबोधन पर टिकी हुई है। अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के जानकारों का मानना है कि रूस संहारक हथिायरों, के प्रयोग, युक्रेन के साथ चल रही इस जंग को पूर्ण युद्ध घोषित करने और नाटों देशों सहित संयुक्त राज्य अमेरिका को कड़ा संदेश देने के लिए कोई बड़ी बात कह सकते है। यदि कुछ ऐसा होता है तो दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध के मुहाने पर खड़ी हो जाएगी। जिसके परिणाम बहुत भयानक होंगे।
युक्रेन – रूस युद्ध की शुरूआत से ही नाटों और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा रूस पर एक के बाद एक आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए है। इन प्रतिबंधों से रूस पर दबाव अवश्य पड़ा है लेकिन जितना नाटों देश और अमेरिका मान रहा था उतना रूस कमजोर नहीं हुआ है। इस कार्रवाई के बाद रूस ने भी कुछ इसी तरह की कार्रवाई की है। इसके अतिरिक्त इस युद्ध में भले ही युक्रेन रूसी हमलों में पूरी तरह से बर्बाद हो गया हो, लेकिन युक्रेन अभी भी रूस से युद्ध के मैदान में डटकर मुकाबला कर रहा है। स्पष्ट है कि युक्रेन को पीछे से नाटों देशों और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा खुलकर हथियारों के साथ मदद दी जा रही है। हालांकि अमेरिका और नाटों देशों ने कहा है कि वह युक्रेन के पक्ष में सेना नहींं उतारेंगे, लेकिन कुछ इस तरह की भी बातें सामने आई है कि युक्रेनी सेना के साथ अमेरिकी और नाटों देशों के सैनिक भी रूसी सेना का मुकाबला कर रहे है। भले ही युक्रेन बर्बाद हो रहा हो, लेकिन अप्रत्यक्ष तौर पर नाटो देशों और संयुक्त राज्य अमेरिका का भी उद्देश्य भी पूरा हो रहा है। दरअसल, नाटों देशों और संयुक्त राज्य अमेरिका रूस को कमजोर करना चाहते हैं। नाटों में शामिल पश्चिमी देशों और अमेरिका केवल आर्थिक और हथियारों से युक्रेन की मदद करके रूस को लम्बे समय तक युद्ध में उलझाकर कमजोर करना चाहते है। रूस भी इस बात को अच्छी तरह समझ रहा है। यहीं कारण है कि 9 मई को होने वाले रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमीर पुतिन के संबोधन में पश्चिमी देशों और अमेरिका के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की बात कही जा सकती है। यदि ऐसा होता है तो इसके परिणाम काफी गंभीर होंंगे। इस बात का अंदाजा रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव चेतावनी दे चुके है यदि नाटोंं देशों ने युक्रेन को हथियार देने बंद नहीं किए तो तीसरा विश्वयुद्ध छिड़ सकता है। यह बात सहीं है कि रूस आर्थिक शक्ति नहींं है लेकिन सामरिक दृष्टि से रूस आज भी दुनिया की महाशक्तियों में सुमार होता है।
कब नहीं होगा तीसरा विश्वयुद्ध
युक्रेन-रूस युद्ध में जानकार कई बार इस बात की आशंका व्यक्त कर चुके हैं कि यह युद्ध तीसरे विश्वयुद्ध का रूप धारण कर सकता है। भले ही यह युद्ध कितना ही भीषण हो जाए लेकिन इतना तय है कि जब तक रूस और अमेरिका सीधे सीधे युद्ध के मैदान में आमने सामने नहीं आते है, तब तक तीसरा विश्वयुद्ध होने की संभावना नहीं है। शायद यही कारण है कि ना चाहते हुए भी संयुक्त राज्य अमेरिका और नाटो में शामिल पश्चिमी यूरोप के देश सीधे सीधे इस युद्ध का हिस्सा बनने से बच रहे है। वैसे भी जब युद्ध में शक्ति संतुलन किसी एक शक्ति की ओर झुका रहता है तो विश्वयुद्ध होने की संभावना नहीं होती हैं।
जानकार क्यों मान रहे हैं कि युक्रेन-रूस युद्ध तीसरे विश्वयुद्ध की वजह बन सकता है
दरअसल, जिस तरह से नाटों में शामिल संयुक्त राज्य अमेरिका और पश्चिमी यूरोप के देश युक्रेन-रूस में सीधे तौर पर भाग नहीं ले रहे है उससे स्पष्ट है कि उन्हें इस बात का अनुमान है कि ऐसा करने पर क्या परिणाम होंगे ? लेकिन जिस तरह से इनके द्वारा पर्दे के पीछे से युक्रेन को लगातार हथियारों की सप्लाई की जा रही है उससे कमजोर से दिख रहा युक्रेन रूस को युद्ध में टक्कर दे रहा है जिससे युद्ध की शुरूआत में पूरी तरह से रूस के पक्ष में दिखाई दे रहा शक्ति संतुलन धीरे-धीरे कमजोर होता दिख रहा है। रूस अच्छी तरह जानता है कि युद्ध के शक्ति संतुलन को अमेरिका और नाटो देशों द्वारा प्रभावित किया जा रहा है। ऐसे में रूस बार-बार अमेरिका और नाटों देशों को युक्रेन-रूस युद्ध से दूर रहने की चेतावनी दे रहा है। यदि शक्ति संतुलन तेजी से रूस के हाथों से फिसलने लगा तो रूस अमेरिका और नाटों देशों पर बड़ी कार्रवाई कर सकता है। यदि ऐसा होता है तो उस दिन तीसरे विश्वयुद्ध का बिगुल बज जाएगा।