समाजवादी पार्टी में मचा भूचाल : श्यामसिंह भाटी निष्कासन प्रकरण ने लखनऊ दरबार में दी दस्तक, किस करवट बैठेगा ऊंट ?
Earthquake in SP: Shyam Singh Bhati expulsion case reached Lucknow court, which way will the situation turn?

Panchayat 24 : गौतम बुद्ध नगर समाजवादी पार्टी की मासिक बैठक में घटे घटनाक्रम के बाद पार्टी में भूचाल मचा हुआ है। इस प्रकरण में नाटकीय अंदाज में घटनाक्रम घट रहा है। प्रकरण की गाज पार्टी के वरिष्ठ नेता श्याम सिंह भाटी पर गिरी है। उन्हें पार्टी से निष्कासित किया गया है। इसके बाद से ही राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है। सोशल मीडिया पर लोग कई तरह की चर्चाएं कर रहे हैं। पार्टी के अंदर आवाजें उठनी शुरू हो गई हैं कि श्याम सिंह भाटी का निष्कासन एक पक्षीय कार्रवाई है। यदि पार्टी नेतृत्व ने निष्कासन के निर्णय को वापस नहीं लिया तो श्याम सिंह भाटी के पक्ष में बड़ा फैसला लिया जा सकता है। वहीं, श्याम सिंह भाटी निष्कासन प्रकरण ने लखनऊ में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के सामने दस्तक दे दी है। देखना होगा कि गौतम बुद्ध नगर समाजवादी पार्टी में मचे भूचाल में ऊंट किस करवट बैठता है ?
क्या है पूरा मामला ?
दरअसल, बीते 5 अप्रैल को समाजवादी पार्टी की जिला कार्यालय पर मासिक बैठक का आयोजन किया गया था। बैठक में चर्चा के दौरान अखिलेश यादव का पुतला दहन को लेकर पार्टी में हंगामा हो गया था। हंगामा इतना बढ़ा कि पार्टी के छात्र सभा के जिलाध्यक्ष मोहित नागर के साथ गाली गलौच एवं अभद्रता की गई। हाथापाई की भी नौबत आ गई। इस दौरान पार्टी के जिलाध्यक्ष सुधीर भाटी एवं कई वरिष्ठ नेता भी उपस्थित थे।
मोहित नागर ने एक पत्र जारी करते हुए जिलाध्यक्ष सुधीर भाटी पर गाली गलौच करने एवं देवटा गांव निवासी दीपक भाटी पर धमकी देने का आरोप भी लगाया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार श्याम सिंह भाटी ने कुछ अन्य पार्टी कार्यकर्ताओं ने पार्टी की मासिक बैठक में हुई घटना का विरोध किया था। श्याम सिंह भाटी का आरोप है कि दीपक भाटी द्वारा उन्हें भी फोन पर धमाया है। इस संबंध में उन्होंने पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई है।
समाजवादी पार्टी में मचे भूचाल के हैं राजनीतिक मायने !
बीते लोकसभा चुनाव के बाद से ही समाजवादी पार्टी में अंदरखाने समीकरण तेजी से बदल रहे थे। पार्टी की गुटबाजी भी सतह पर दिखाई देने लगी थी। यह बात लोकसभा चुनाव के बाद लखनऊ में हुई समीक्षा बैठक में भी सामने आई थी। सूत्रों के अनुसार श्याम सिंह भाटी एवं कुछ अन्य पार्टी कार्यकर्ताओं ने गौतम बुद्ध नगर समाजवादी पार्टी ईकाई पर कई आरोप लगाए थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गौतम बुद्ध नगर समाजवादी पार्टी को नसीहत भी दी थी।
हाल ही में समाजवादी पार्टी ने विधानसभा चुनाव 2027 की तैयारियों के लिए आगामी पंचायत चुनाव से पूर्व लगभग 30 जिलों के जिलाध्यक्षों को बदलने की घोषणा की थी। इसके बाद गौतम बुद्ध नगर समाजवादी पार्टी में हलचल तेज हो गई है। जिलाध्यक्ष के लिए कई लोगों के नाम बतौर जिलाध्यक्ष सामने आए हैं। श्याम सिंह भाटी को भी जिलाध्यक्ष पद के लिए मजबूत दावेदार माना जा रहा है। यदि गौतम बुद्ध जिले का नाम उन 30 जिलों में शामिल है जहां पार्टी जिलाध्यक्षों को बदलने जा रही है तो यह आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर मील का पत्थर साबित होगा।
जिस गुट का दावेदार जिलाध्यक्ष बनेगा, वही गुट जिले में पार्टी की रूपरेखा तय करने में अहम भूमिका निभाएगा। जिलाध्यक्ष पद के चुनाव की हलचल को लेकर पार्टी में गुटबाजी भी सतह पर दिख रही है। लोगों का मानना है कि श्याम सिंह भाटी के निष्कासन के पीछे विरोधी गुट का हाथ है। विरोधी गुट ने श्याम सिंह भाटी को निष्कासित कराकर बिना लड़े ही जिलाध्यक्ष के दावेदारों की सूची से बाहर कराकर पार्टी में अपनी पकड़ एवं शक्ति का अहसास करा दिया है।
पिक्चर अभी बाकी है ?
समाजवादी पार्टी में छात्र राजनीति से अपने सार्वजनिक जीवन की शुरूआत करने वाले श्याम सिंह भाटी जिला उपाध्यक्ष, जिला महासचिव और अधिवक्ता सभा में राष्ट्रीय महासचिव के पद पर रह चुके हैं। श्याम सिंह भाटी का नाम 2022 से पूर्व दादरी में हुए मिहिर भोज प्रकरण में तेजी से उभरकर सामने आया था। उनकी पार्टी पर निष्कासन की कार्रवाई ने जिले में समाजवादी पार्टी की गुटबाजी को एक गुट के पक्ष में जरूर झुका दिया है, लेकिन खेल अभी खत्म नहीं हुआ है। मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया है।
दरअसल, बीते 9 अप्रैल को श्याम सिंह भाटी को अनुशासनहीनता एवं पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। निष्कासन का आदेश पार्टी के पूर्व राज्यसभा सदस्य एवं पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य अरविन्द कुमार सिंह द्वारा जारी किया गया। निष्कासन की कार्रवाई को वर्तमान जिलाध्यक्ष सुधीर भाटी गुट की बड़ी जीत माना जा रहा है।
वहीं, श्याम सिंह भाटी गुट कार्रवाई को एक पक्षीय बता रहा है। सूत्रों की माने तो पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं की इस प्रकरण पर एक बैठक भी हुई है। बैठक में प्रकरण को लेकर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात कर सम्पूर्ण साक्ष्य प्रस्तुत करने एवं निष्कासन के निर्णय को वापसी कराने का फैसला लिया गया है। वहीं, जानकारी यह भी है कि श्याम सिंह भाटी अपने समर्थकों ने लखनऊ पहुंचकर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात कर अपना पक्ष रखा है।
वहीं, श्याम सिंह भाटी गुट का कहना है कि मुलाकात के बाद शीर्ष नेतृत्व उनकी बातों से सहमत है और जल्द ही निष्कासन का आदेश को वापस लेने का आश्वासन दिया है। यदि श्याम सिंह भाटी के निष्कासन की कार्रवाई को पार्टी शीर्ष नेतृत्व वापस लेता है तो वह पूरे प्रकरण में वह बड़ा चेहरा बनकर उभरेंगे। ऐसे में यह विरोधी गुट की नैतिक हार होगी और निष्कासन की कार्रवाई पर कई तरह के सवाल भी उठेंगे।