प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बुलन्दशहर रैली : पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तय होगी सपा-आरएलडी और भाजपा के संघर्ष की दिशा और दशा
Prime Minister Narendra Modi's Bulandshahr rally: The direction and condition of the conflict between SP-RLD and BJP in western Uttar Pradesh will be decided

डॉ देवेन्द्र कुमार शर्मा
Panchayat 24 : देश के प्रधानमंत्री और भाजपा के स्टार प्रचारक नरेन्द्र मोदी अयोध्या में श्रीराम के मंदिर उदघाटन और रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली बार उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर जिले में रैली कर रहे हैं। इस रैली में प्रधानमंत्री विकास की कई परियोजनाओं की सौगात देंगे। इसके बावजूद प्रधानमंत्री की इस रैली के राजनीतिक मायने अधिक निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक जानकार प्रधानमंत्री की बुलन्दशहर रैली को पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीति से जोड़कर देख रहे हैं।
दरअसल, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बुलन्दशहर, गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, मेरठ, बागपत, मुज्फ्फरनगर, कैराना, नगीना, सहरानपुर, बिजनौर,अमरोहा, मुरादाबाद, संभल और रामपुर सहित कुल 14 लोकसभा सीटें शामिल हैं। साल 2014 से पूर्व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा का प्रदर्शन औसत रहता था। राष्ट्रीय लोकदल, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी से भाजपा को कड़ी टक्कर मिलती थी। साल 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीतिक फिजा बदल गई। साल 2014 में भाजपा ने तत्कालीन हिन्दुत्व के पुरोधा माने जाने वाले गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को गोवा अधिवेशन के बाद चुनाव समिति का प्रमुख चुना और उनकी अगवानी में लोकसभा चुनाव लड़ा। भजापा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में भाजपा की आंधी के सामने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मजबूत आधार रखने वाली सपा, बसपा और आरएलडी के किले भी ढह गए थे। इस चुनाव में भाजपा ने जहां पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सभी 14 सीटों पर जीत दर्ज की, वहीं, उत्तर प्रदेश की 80 में से 73 सीटें जीतने में कामयाबी मिली।
2019 में पार्टी पश्चिम उत्तर प्रदेश में पुराना प्रदर्शन दोहराने में रही असफल
हालांकि साल 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने पूरे देश में साल 2014 के अपने प्रदर्शन में सुधार करते हुए बड़ी जीत दर्ज की। लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 14 में से 7 सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। इनमें सहरानपुर, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, मुरादाबाद और संभल सीटें शामिल हैं। इनमें से सहरानपुर, बिजनौर, नगीना और अमरोहा सीट पर बसपा और रामपुर, संभल और मुरादाबाद सीट सपा के खाते में गई। इस चुनाव में भाजपा को उत्तर प्रदेश में 9 सीटों का नुकसान हुआ। इनमें से 7 सीटें पश्चिमी उत्तर प्रदेश सही ही थी।
पश्चिम उत्तर प्रदेश में जाट अस्मित्ता के सहारे संभावना तलाश रही है आरएलडी
पिछले पांच सालों में देश की राजनीति में बहुत कुछ तेजी से घटा है। इस घटनाक्रम ने पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीतिक परिस्थितियों को भी तेजी से प्रभावित किया है। इसमें तीन कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर चला लंबा किसान आन्दोलन बड़ा अहम है। पश्चिम उत्तर प्रदेश कृषि बाहुल्य क्षेत्र है। इस पूरी बेल्ट को गन्ना बेल्ट के नाम से भी जाना जाता है। राजनीति में जातीय प्रभाव के कारण इस क्षेत्र को जाट लैण्ड भी कहा जाता है। केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में जिस तरह से पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसानों ने अहम भूमिका निभाई थी। किसान आन्दोलन को पूरे विपक्ष ने भाजपा विरोधी साबित करने के प्रयास किए। इस आंदोलन में भारतीय किसान यूनियन और नेता राकेश टिकैत की जो भूमिका रही, उसके चलते इस आन्दोलन को जाट अस्तित्ता से जोड़ा गया। विपक्षी दलों, विशेषकर आरएलडी ने चालाकी से खुद को जाटों की राजनीतिक प्रतिनिधि साबित करने का प्रयास किया। इसका परिणाम यह रहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट भाजपा की जाट लीडरशिप से नाराज दिखे। इसका परिणाम यह हुआ कि किसान जाट नेताओं से बातचीत करने के लिए गृहमंत्री अमितशाह को मैदान में उतरना पड़ा। दिल्ली के सांसद प्रवेश वर्मा के घर पर अमित शाह ने जाट समाज के लोगों से बातचीत की थी।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा-आरएलडी और भाजा के बीच होगा 2024 का चुनावी रण
आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर भले ही राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए के विरोध में बनाया जा रहा आईएनडी गठबंधन की तस्वीर अभी साफ न हो, लेकिन उत्तर उत्तर प्रदेश, विशेषकर पश्चिमी की राजनीतिक हवा को भांपते हुए सपा और आरएलडी ने एक साथ मिलकर आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए हाथ मिला लिया है। यहां तक कि सीटों का बंटवारा भी कर लिया है। इस गठजोड़ से मुस्लिम और जाट मतदाताओं के एक साथ आने से भाजपा के लिए चुनौती पेश की जा सकती है। हालांकि साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में इसका प्रभाव बहुत अधिक नहीं दिखा था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 14 में से सात सीटों में 7 सीटों पर सपा उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे। वहीं, 7 सीटों पर समाजवादी पार्टी उम्मीदवर चुनाव लड़ेंगे। हालांकि कौन सी सीट किस पार्टी के खाते में जाएगी, यह अभी तय नहीं हुआ है। एनडीए के विरोध में पूरे देश में किसी भी राज्य में बनने वाले गठबंधन में से आरएलडी-सपा गठबंधन एक है। भाजपा भी इस बात को भली भांति जानती कि इस बार बृज, अवध, बुंदेलखंड और पूर्वांचल की अपेक्षा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही विपक्ष से टक्कर मिलेगी।
बुलन्दशहर में रैली कर प्रधानमंत्री ने साधे एक तीर से कई निशाने
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बुलन्दशहर रैली आगामी लोकसभा चुनाव में एक तीर से कई निशाने साधेगी। पहली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सभी 14 सीटों पर भाजपा को मजबूती मिलेगी। यहां से प्रधानमंत्री कई बड़ी हजारों करोड़ की कई परियोजनाओं को घोषणा करेंगे। कई परियोजनाओं को जनता को समर्पित करेंगे। ऐसे में अभी तक अयोध्या में आध्यात्म और हिन्दुत्व के सहारे मतदाताओं को आगामी चुनाव को लेकर संदेश देने के बाद बुलन्दशहर की रैली विकास का शंखनाद करेगी। इसके अतिरिक्त यहां से पड़ोसी राज्यों हरियाणा, और दिल्ली के मतदाताओं को भी आसानी से संदेश दिया जा सकता है। वहीं, बृज क्षेत्र की कुछ लोकसभा सीटों पर भी इसका असर होगा।