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गौतम बुद्ध नगर की मृग कस्तूरी है राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान, निजी अस्‍पतालों में उपचार वाली मानसिकता से झेल रहे हैं कष्‍ट

Government Medical Institute is the deer musk of Gautam Buddha Nagar, people are suffering due to the mentality of getting treatment in private hospitals

Panchayat 24 : कस्‍तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूँढ़ै बन माँहि’ कबीर दास जी का यह दोहा ग्रेटर नोएडा स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) पर सही बैठता है। लोग बेहतर उपचार की तलाश में महंगे प्राइवेट अस्पतालों की तलाश में भटकते रहते है, जबकि ग्रेटर नोएडा स्थित जिम्स में हर तरह का बेहतर उपचार और अनुभवी चिकित्स्कों की टीम मौजूद है।

नए साल में कैथ लैब और ट्रामा सेंटर भी होगा तैयार

संस्थान के कार्यकारी निदेशक डॉ सौरभ श्रीवास्तव ने साल 2024 की उपलब्धियों और आगामी नई साल 2025 के नए लक्ष्यों के बारे में एक प्रेस वार्ता के दौरान विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिम्स में सभी बीमारियों का उपचार किया जाता है। लगभग सभी प्रकार की सर्जरी विशेषज्ञ चिकित्सको द्वारा की जा रही है। ह्रदय रोग से संबंधित हर बीमारी का उपचार जिम्स में संभव हो सके, ऐसे प्रयास शासन स्तर पर किए जा रहे है। संभव है अगले साल यहां कैथ लैब और ट्रामा सेंटर जैसी सुविधाएं भी शुरू हो जाएंगी। यहां कई तरह की जांचें एवं दवाइयां भी मुफ्त अथवा बाजार से बहुत कम दरों पर मुहैया कराई जाती हैं। लगातार मरीजों की संख्‍या बढ़ रही है।

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कॉरपोरेट कल्‍चर की ओर तेजी से बढ़ रहा है जिम्‍स

डॉ सौरभ श्रीवास्तव ने कहा कि नये साल में हमारा लक्ष्य जिम्स में कॉर्पोरेट कल्चर तैयार करना है। इसके लिए आवश्यक शेष मनकों को पूरा करने की दिशा में काम किया रहा है। आधुनिक लैब तैयार की जा रही हैं। जिम्स उत्तर प्रदेश का दूसरा चिकिता संस्थान है इंटर एनएबीएच एफ्लाइटिड है। प्रयास है कि जिम्स कि सभी लैब एनएपीएल एफ्लाइटिड हो जाए जिससे यहां दी जाने वाली चिकित्सा सुविधाओं की कॉर्पोरेट सेक्टर के अस्पतालों से गुणवत्ता के आधार पर तुलना की जा सकती हैं। सौरभ श्रीवास्तव ने माना कि प्राइवेट अस्पताल की अपेक्षा जिम्स में नर्सिंग सुविधाए कम है, फिर भी पर्याप्त है।

पूरा वीडियो यहां देखें : – गौतम बुद्ध नगर की मृग कस्तूरी है राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान

पूर्वाग्रह से ग्रसित मानसिकता लोगों को निजी अस्‍पतालों के मकड़ जाल में फंसा रही है

जिम्‍स के कार्यकारी निदेशक ने दुख जताया कि लोगों सरकारी अस्पतालों के बारे में लोगों की धरणा बन चुकी है कि यहाँ केवल गरीब ही उपचार कराते है। यहां बहुत ही अनुभवी एवं विशेषज्ञ चिकित्सक जिम्स में मौजूद हैं। जिम्स कई ऐसे मामलों का गवाह बना है जिन्हें प्राइवेट अस्पतालों से बहुत अधिक खर्च के बाद अथवा लाइलाज करके निकाल दिया गया था। जिम्स के चिकित्सकों के अनुभवी उपचार से स्वस्थ होकर अपने घर लौटे हैं।

जिम्‍स में बहुत की कम बजट में प्राइवेट जैसी सुविधाएं उपलब्‍ध हैं 

डॉ सौरभ श्रीवास्‍तव के अनुसार यहां महज एक हजार रुपये में प्राइवेट वार्ड और एक हजार रूपये में आईसीयू वार्ड स्तरीय सुविधाओं के साथ मिलता है। के लिए आने वाले मरीजों की लम्बी लाई की समस्या समाप्‍त करने के लिए कैशलेश अथवा ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम तैयार किया गया है।

तेजी से सफलता की सीढि़यां चढ़ रहा है जिम्‍स

जिम्‍स के निदेशक ने बताया कि जिस मुकाम को दूसरे संस्थान 15 से 16 सालों मे हासिल कर पाते हैं उसको जिम्स ने महज 5 से 6 सालों में पा लिया हैं। भविष्य में भी नई उचाईयों पर पहुंचने के लिए नये लक्ष्‍यों को हासिल करने के प्रयास लगातार जारी हैं। उन्‍होंने कहा कि लोग प्राइवेट अस्पतालों में भारी भरकम रकम खर्च करके निराश होकर जिम्स में आते हैं। बेहतर हो यदि मरीज बीमारी की शुरुआत में ही जिम्स की चिकित्कीय सुविधाओं का लाभ ले। इससे कम खर्च और कम समय में बेहतर परिणाम आने की संभावना बढ़ जाती है।

बेहतर उपचार रूपी कस्‍तूरी को लोग निजी अस्‍पतालों में तलाशते हैं 

लोग सरकारी अस्पतालों के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर जिम्स जैसी चिकित्‍सा सुविधाओं की तलाश प्राइवेट अस्पतालों में करते हैं। जिम्‍स अथवा सरकारी अस्‍पताल केवल गरीब लोगों के उपचार के लिए बने हैं, ऐसी धारणा के कारण शारारिक, मानसिक और आर्थिक परेशानियों को उठाते हैं। जिम्‍स के प्रति बनी धारणा को तोड़ने के लिए प्रेस वार्ता के दौरान जिम्‍स की फेकल्‍टी ने कहा कि यहां किस तरह का उपचार होता है, इसका अनुमान इससी से लगाया जा सकता है कि यहां के चिकित्‍सक एवं अन्‍य स्‍टाॅफ अपने परिजनों का उपचार यहीं कराते हैं। कई परिजनों की बीमारी का सफल ऑपरेशन भी यहीं हुआ है। यह भी पता चला है कि उत्‍तर प्रदेश के कई प्रतिष्ठित लोगों का भी यहां सफल उपचार हुआ है।

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