ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणजिला प्रशासन

जिस किसान आन्‍दोलन ने मंच और माइक देने से किया इंकार, उसके प्रति राजनीतिक दलों के दिल में क्‍यों उमड रहा है प्‍यार ?

Why are political parties overflowing with love for the farmer's movement that refused to give them a stage and a mike?

डॉ देवेन्‍द्र कुमार शर्मा 

Panchayat 24 : गौतम बुद्ध नगर में जेल में अपनी मांगों को लेकर दिल्‍ली कूच पर अड़े किसानों से मिलने समाजवादी पार्टी का एक प्रतिनिधिमण्‍डल वीरवार को ग्रेटर नोएडा पहुंचा। हालांकि पुलिस और प्रशासन ने प्रतिनिधिमण्‍डल जेल जाने की अनुमति नहीं दी। बता दें कि ठीक एक दिन पूर्व कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमण्‍डल भी जेल में बंद किसानों से मिलने ग्रेटर नोएडा पहुंचा था। इन्‍हें भी पुलिस एवं प्रशासन ने जेल नहीं जाने दिया। यद्यपि किसानों आन्‍दोलनों का विपक्षी दलों द्वारा समर्थन करना कोई नई बात नहीं है। चूकि गौतम बुद्ध नगर के किसान आन्‍दोलना की शुरूआत में राजनीतिक दलों को मंच और माइक से दूर रखने का संकल्‍प लिया था। राजनीतिक दलों ने भी आन्‍दोलन से दूरी बना ली थी। ऐसे में अचानक किसान आन्‍दोलन के प्रति राजनीतिक दलों दिल में पैदा हो रही हमदर्दी सभी का ध्‍यान अपनी ओर आकर्षित करती है।

दरअसल, गौतम बुद्ध नगर किसान आन्‍दोलन का स्‍वरूप बदल रहा है। दिल्‍ली कूच को लेकर किसानों और पुलिस एवं प्रशासन के बीच टकराव के हालात पैदा हो गए। पुलिस ने सैकड़ों किसानों को गिरफ्तार कर जेल में भेज दिया है। खबर है कि रणनीतिक रूप से लगभग एक दर्जन किसान संगठनों ने मिलकर बनाए संयुक्‍त किसान मोर्चा की वैचारिक बुनियाद में तनाव है। बताया जा रहा है कि कुछ किसान संगठन गौतम बुद्ध नगर के आन्‍दोलन को राष्‍ट्रीय स्‍तर के किसान आन्‍दोलन के साथ समावेशित करना चाहते हैं। इनका मानना है कि गौतम बुद्ध नगर के किसानों की समस्‍या को राष्‍ट्रीय स्‍तर पर उठाया जाए। वहीं, कुछ किसान संगठनों का मानना है कि गौतम बुद्ध नगर के किसानों की समस्‍याएं देश के अन्‍य किसानों से कई मायनों में अलग हैं। ऐसे किसानों का मानना है कि राष्‍ट्रीय स्‍तर पर गौतम बुद्ध नगर के किसानों की मांगें कहीं खो जाती हैं। अत: गौतम बुद्ध नगर के किसानों की समस्‍याओं का समाधान स्‍थानीय स्‍तर पर ही किया जाए। चर्चा इस बात की भी है कि कुछ किसान संगठन इस बात से भी आशंकित हैं कि बड़ी मछली किसान आन्‍दोलन को अपने कब्‍जे में न ले ले !

जिस तरह से किसान आन्‍दोलन पर पुलिस, प्रशासन एवं शासन का भारी दबाव बना है उसके बाद कुछ किसान आन्‍दोलन चाहते हैं कि राजनीतिक दलों को किसान आन्‍दोलन के समर्थन में उतरना चाहिए। यह भी खबर है कि राजनीतिक दलों को किसान आन्‍दोलन से दूर रखने का निर्णय संयुक्‍त‍ किसान मोर्चा ने एक प्रभावशाली किसान संगठन के किसान नेता के प्रभाव में लिया था। राजनीतिक दलों को किसान संगठनों की ओर से संदेश भी भेजे गए हैं। सकरात्‍मक संदेश पाकर राजनीतिक दल किसान आन्‍दोलन के समर्थन में उतर आए हैं। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी किसान आन्‍दोलन के सहारे यूपी की योगी आदित्‍यनाथ सरकार और केन्‍द्र की नरेन्‍द्र मोदी सरकार की घेराबंदी का मौका मिल गया है। इनके सांसद एवं विधायकों का प्रतिनिधिमण्‍डल जेल में बंद किसानों से मिलने ग्रेटर नोएडा पहुंचा लेकिन किसानों से मुलाकात नहीं हो सकी। बता दें कि गौतम बुद्ध नगर में किसान आन्‍दोलन भीषण हिंसा का रूप ले चुके हैं। कई किसानों और पुलिसकर्मियों की हिंसा में मौत हो चुकी है। घोड़ी बछैड़ा और भट्टा पारसौल ऐसे ही किसान आन्‍दोलन रहे हैं। यहां के किसान आन्‍दोलनों ने राजनीति को भी प्रभावित किया है। दिल्‍ली के करीब होने के कारण गौतम बुद्ध नगर के किसानों की आवाद पूरे देश और विदेशों तक गूंजती है। ऐसे में किसान आन्‍दोलनों में राजनीतिक दलों की रूचिपूर्ण सक्रियता से पुलिस प्रशासन और शासन पर दबाव बढ़ गया है।

हालांकि किसानों की मांगों पर विचार करने के लिए बनी हाई पावर कमेटी की सिफारिसों को लागू करने के लिए शासन ने एक पांच सदस्‍यीय कमेटी बनाई है। यह कमेटी हाई पावर कमेटी की सिफारिसों को लागू करने से संबंधित अपनी रिपोर्ट एक माह में शासन को सौंपेगी। वहीं, ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने हाई पावर कमेटी की सिफारियों को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाकर समस्‍या समाधान के संकेत दिए हें। प्राधिकरण ने पहले चरण में सात गांवों के 615 किसानों को आबादी भूखंड जल्‍द देने की घोषणा की है। वहीं, शेष  62 गांवों के 3532 किसानों को आबादी भूखंड देने के लिए शीघ्र शिविर लगाकर पत्रता तय की जाने की भी बात कही है। प्राधिकरण के इस कदम को विश्‍वास बहाली की दिशा में एक अच्‍छी पहल कही जा सकती है। लेकिन अभी प्राधिकरण को किसानों का खोया हुआ विश्‍वास प्राप्‍त करने के लिए बहुत लंबी दूरी तय करनी होगी।

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