समन्वय का अभाव : प्राधिकरण-प्रशासन-पुलिस के त्रिकोण के बीच फल फूल रहे हैं कॉलोनाइजर और भूमाफिया
Lack of coordination: Colonizers and land mafia are flourishing amidst the triangle of authority-administration-police

Panchayat 24 : गौतम बुद्ध नगर जिले में व्यवस्था प्राधिकरण प्रशासन और पुलिस के कंधों पर टिकी हुई है। अलग अधिकार क्षेत्र होने के बाद भी तीनों ही संस्थाओं को व्यवस्था के सफल संचालन के लिए एक दूसरे के साथ बेहतर तालमेल अनिवार्य है। वर्तमान में पूरे जिले में कॉलोनाइजरों और भूमाफियाओं द्वारा प्राधिकरणों के अधिसूचित क्षेत्र में किया जा रहा अवैध निर्माण बड़ा मुद्दा है। हालांकि मूलरूप से यह प्राधिकरणों के अधिकार क्षेत्र का विषय है। फिर भी प्रशासन और पुलिस की सीमित मगर महत्वपूर्ण भूमिका है। इसके बावजूद प्राधिकरण, प्रशासन और पुलिस के त्रिकोण के बीच कॉलोनाइजर और भूमाफिया खूब फल फूल रहे हैं। इससे पता चलता है कि सब कुछ ठीक नहीं है। अवैध निर्माण पर तीनों ही संस्थाओं की कार्यशैली से सवाल पैदा होता है क्या व्यवस्था के तीनों अंगों के बीच समन्वय का अभाव है ?
जिले में सर्वाधिक अतिक्रमण एवं अवैध निर्माण दादरी तहसील क्षेत्र के अन्तर्गत ही आता है। दादरी तहसील के अन्तर्गत नोएडा, ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट सहित डूब क्षेत्र में अवैध निर्माण जोरों से चल रहा है। कॉलोनाइजर और भूमाफियाओं का सिंडिकेट इतना मजबूत है कि अब ग्रेटर नोएडा फेस-2 भी धीरे धीरे इनका जाल फैल रहा है। दादरी से लेकर छपरौला और दादरी बाइपास के आसपास सैकड़ों अवैध कॉलोनियां काटी जा रही अवैध कॉलोनियां दिखाई नहीं दे रही हैं। इनमें बड़ी मात्रा में सरकारी जमीनों पर भी कब्जा किया जा रहा है। अधिकांश मामलों में किसानों से भूमाफियाओं और कॉलोनाइजरों द्वारा किसानों से कृषि भूमि के रूप में जमीनों की खरीद फरोख्त कर बिना लैंड यूज बदले अवैध निर्माण किया जा रहा है। कृषि भूमि पर आवासीय निर्माण करके हजारों करोड़ के राजस्व की हानि पहुंचाई जा रही है। फिर भी ऐसे मामलों को जिला प्रशासन प्राधिकरण का अधिकार क्षेत्र कहकर पल्ला झाड़ लेता है।
नोएडा प्राधिकरण न्यू नोएडा और ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास के लिए ग्रेटर नोएडा फेस-2 नाम से नए औद्योगिक शहर बसाने जा रहे हैं। दोनों ही शहरों की प्रस्तावित भूमि पर भूमाफिया और कॉलोनाइजर जमकर मौज काट रहे हैं। इसके बावजूद प्राधिकरणों का रवैया नहीं बदला है। जिस गलती को नोएडा और ग्रेटर नोएडा में किया गया है, उसी को इन दोनों शहरों के बसाए जाने से पूर्व दोहराया जा रहा है। लगभग हर गांव में काटी जा रही अवैध कॉलोनियां प्राधिकरणों को दिखाई नहीं दे रही हैं। यदि कॉलोनाइजरों और भूमाफियाओं के प्रति प्राधिकरणों का रवैया नहीं बदल तो वह दिन दूर नहीं जब नोएडा और ग्रेटर नोएडा की तरह ही प्राधिकण इन नए शहरों में भी अतिक्रमण और अवैध निर्माण की समस्या से जूझ रहे होंगे। अवैध निर्माण की जिस समस्या से प्राधिकरण जूझ रहे हैं, उसके लिए कोई और जिम्मेवार नहीं है। बाकायदा प्राधिकरण के वातानुकूलित कमरों में बैठे अधिकांश प्रभावशाली अधिकारियों का कॉलोनाइजरों और भूमाफियाओं को आशीर्वाद प्राप्त रहा है। जानकार मानते हैं कि प्राधिकरण के कुछ अधिकारी एवं कर्मचारियों की मिली भगत से भूमाफियाओं और कॉलोनाइजरों की खूब चांदी कट रही है। इसका दुष्परिणाम यह होगा कि कुछ साल बाद अवैध कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव होगा। यदि प्राधिकरणों द्वारा इन कॉलोनियों पर देर कार्रवाई की गई तो यहां रहने वाले लोगों को इसका परिणाम भुगतना पड़ेंगाा।
कई मामलों में प्राधिकरणों द्वारा पुलिस से भूमाफियाओं और कॉलोनाइजरों के खिलाफ लिखित शिकायत की गई है। प्राधिकरण के अधिकारियों के अनुसार पुलिस द्वारा प्राधिकरणों की शिकायतों को अनदेखा किया जाता है। आसानी से अवैध कॉलोनाइजरों, भूमाफियाओं और अवैध कब्जाधारकों के खिलाफ शिकायतों को दर्ज नहीं किया जाता है। प्राधिकरण के अधिकारियों की माने तो वर्तमान में भी कितनी ही शिकायतें पुलिस अधिकारियों को सौंपी जा चुकी हैं, लेकिन अभी तक मामला दर्ज नहीं हुआ है। कुछ ऐसे मामले भी सामने आए हैं जब पुलिस ने प्राधिकरण की शिकायत पर एफआईआर तो दर्ज की है, लेकिन कॉलोनाइजरों और भूमाफियाओं के मनोबल पर इसका असर नहीं हुआ है। हाल ही में प्राधिकरण की शिकायत पर सेंट्रल नोएडा पुलिस ने 18 कॉलोनाइजरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। मीडिया खबरों की माने तो मुकदमा दर्ज होने के बाद जिस स्थान पर अवैध निर्माण रूकना चाहिए था, वहां अवैध निर्माण में तेजी आई है। पुलिस में मुकदमा दर्ज होने के बाद भी अवैध निर्माण चल रहा है। सवाल उठता है क्या स्थानीय पुलिस को इसकी जानकारी नहीं है ? लोग अवैध निर्माण को स्थानीय पुलिस और कॉलोनाइजरों एवं भूमाफियाओं की जुगलबंदी का ही परिणाम मान रहे हैं।