नोएडा प्राधिकरण

गौ श्राप का भागीदार नोएडा प्राधिकरण : बेजुबान गौधन के स्‍वास्‍थ्‍य से खिलवाड़, गौशाला में खिलाया जा रहा है घटियां पशु आहार

Noida Authority is a partner in Gau Shraap: Playing with the health of the mute cows, poor quality animal feed is being fed in the cowshed

Panchayat 24 : गौतम बुद्ध नगर में गऊ अत्‍याचार की लगातार खबरें आ रही हैं। एक खबर ने नोएडा और गाजियाबाद से लेकर लखनऊ तक दस्‍तक दे दी है। बताया जा रहा है कि इस घटना को लेकर गौ प्रेमी उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ काफी नाराज हैं। गौ अपराध के बाद मनिष्‍क में वह खबरें घूमने लगी जिनमें गौतम बुद्ध नगर की गौशालाओं में रखी गई लावारिस गायों की दुर्दशा की बातें कही गई हैं। सोचा कि एक बार इन खबरों की पुष्टि स्‍वयं किसी गौशाला में पहुंचकर की जाए।

गायों की दशा जानने का विचार मन में लिए हम नोएडा सेक्‍टर-135 के यमुना डूब क्षेत्र में नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के द्वारा गौ आश्रय स्‍थल गौशाला पहुंच गए। वहां सुरक्षाकर्मी ने हमें अंदर प्रवेश नहीं करने दिया। गौशाला के नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के प्रबंधकों से अनुमति मिलने के बाद हमें अंदर प्रवेश दिया गया। बाद में कुछ वरिष्‍ठ कर्मचारियों ने बताया कि सुरक्षा कारणों से बाहरी लोगों को अंदर प्रवेश नहीं करने दिया जाता है। खेर, यदि यह सुरक्षा कारणों से ही था तो उचित है। बता दें कि गायों के रख रखाव एवं पालन पोषण के लिए बनाई गई इन गौशालाओं पर करोड़ो की धनराशि खर्च की जाती है।

गौ आश्रय स्‍थल गौशाला में उपस्थित कर्मचारियों से जानकारी मिली कि यहां लगभग 850 गौधन है। उनके खाने पीने से लेकर नहलाने और बीमारी में उपचार तक की जानकारी हमने प्राप्‍त की। जानकारी से मन लगभग संतुष्‍ट हो रहा था कि चलो बेसहारा बेजुबानों को एक ऐसा आश्रय मिल गया है जहां उनका पूरा ध्‍यान रखा जा रहा है। कर्मचारी ने बताया कि गायों को प्रति दिन आहार में 70 कुंतल हरा चारा, 15 कुंतल सूखा भूसा और 7.5 कुंतल चौकर एक साथ मिलाकर खिलाया जाता है।

मन में जिज्ञासा हुई कि गायों के आहार को एक बार देखा जाए। गौशाला के कर्मचारियों ने हमें गायों को दिए जा रहे आहार को भी दिखाया। गायों के आहार को देखकर मन में जो संतुष्टि का भाव बना भा उसको जोर का झटका लगा। गायों के भण्‍डारण किए गए भूसे को देखा। इसकी गुणवत्‍ता अच्‍छी नहीं थी। इसमें रेणी (भूसे का महीन भाग जो पशुओं के लिए नुकसानदेह होता है) और बारीक रेत दिखा। इसके बाद गोदाम में भारी मात्रा में रखे गए गायों को खिलाए जाने वाले चोकर ( गेंहू का छिलका) को देखा तो बहुत आश्‍चर्य हुआ। यह पदार्थ चोकर कम पुरानी लकड़ी का महीन छिलका ( बरूदा) अधिक लगा। परीक्षण के लिए कुछ चोकर हाथ में लेकर गाय के मुंह के सामने रखा तो गाय ने भी मुंह मोड़ लिया। इससे चोकर को लेकर हमारे मन में उभरी आशंका पुष्‍ट हो गई कि गौशाला में गायों को दिए जा रहे आहार की गुणवत्‍ता निम्‍नस्‍तरीय है।

इस पूरे घटनाक्रम के बाद कई तरह के सवाल मन में उत्‍पन्‍न हो रहे हैं। पहला सवाल यही है कि जिन प्राधिकरणों की दीवारों को भ्रष्‍टाचार की दीमक कमजोर बना रही है, उसकी चपेट में गौशाला भी आ गई है ? जिन अधिकारियों और ठेकेदारों के गठजोड़ की कमीशनखोरी की प्रवृति प्राधिकरणों को जमकर लूटा है, गौशाला भी इस गठजोड़ के लिए कमीशन और मुनाफे का जरिया बन गई हैं ? बता दें कि गौशाला में आने वाले पशु आहार की आपूर्ति ठेकेदारों द्वारा की जाती है। बेजुबानों को दिए जाने वाले आहार की गुणवत्‍ता की कोई उचित व्‍यवस्‍था तो है नहीं। फिर गौशाला में आने वाला पशु आहार की गुणवत्‍ता क्‍या है ? इसका कैसे पता चलेगा ? गौशाला में रह रही बेजुबान गायें तो इसकी शिकायत करेंगी नहीं ?

शायद गायों का बेजुबान होना भी प्राधिकरण के अधिकारियों और ठेकेदारों के लिए हितकारी ही है। बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि बेजुबान की आत्‍मा संतुष्‍ट होने पर जितना पुष्‍यफल देती हैं, असंतुष्‍ट होने पर श्राप का पाप भी उतना ही बड़ा होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि नोएडा प्राधिकरण द्वारा संचालित गौ आश्रय स्‍थल गौशाला के प्रबंधक ( नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के अधिकारी) और गौशाला को पशु आहार की आपूर्ति करने वाले ठेकेदार के कर्मों से प्राधिकरण गौ श्राप की भागीदार बन रही है !

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