दादरी नगरपालिका परिषद में राजनीतिक हलचल बढ़ी, 15 वार्डों में चुनावी तैयारियों में जुटे लोग
Political turmoil increased in Dadri Municipal Council, people busy in election preparations in 15 wards.

Panchayat 24 : दादरी नगरपालिका परिषद में 15 सभासदों के त्याग पत्र के बाद शहर में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। हालांकि अभी तक सभासदों के त्याग पत्र स्वीकार नहीं हुए है। इसके बावजूद इन संबंधित वार्डों में लोग सभासद का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि जिन वार्डों के सभासद त्याग पत्र दे चुके हैं, उनके त्याग पत्र स्वीकार किए जाने चाहिए। नियमानुसार आगामी 6 महीने में संबंधति वार्डों में चुनाव होने चाहिए।
क्या है पूरा मामला ?
दरअसल, दादरी नगरपालिका परिषद में पिछले कुछ समय से घमासान मचा हुआ है। इसके केन्द्र में नगरपालिका अध्यक्ष गीता पंडित और सभासदों का टकराव है। नगरपालिका के 15 वार्डों के सभासदों ने नगरपालिका परिषद में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। सभासदों ने नगरपालिका अध्यक्ष गीता पंडित और अधिशासी अभियंता दीपिका शुक्ला पर मनमानी करने और सभासदों की अनदेखी करने की बात कही है। इसके विरोध में 15 सभासदों ने अपने त्याग पत्र जिलाधिकारी को सौंप दिए हैं। वहीं, इन्होंने आगामी 28 फरवरी से दादरी तहसील परिसर में अनिश्चतकालीन भूख हड़ताल एवं धरना शुरू करने की भी घोषणा की है।
दादरी नगरपालिका परिषद से त्याग पत्र देने वाले सभासद
दादरी नगरपालिका परिषद से त्याग पत्र देने वाले सभासदों में वार्ड संख्या 1 से सुमित कुमार भारती, वार्ड संख्या 2 से हरीश रावल, वार्ड संख्या 3 से संजय रावल, वार्ड संख्या 5 से सीमा देवी, वार्ड संख्या 6 से प्रमोद कुमार, वार्ड संख्या 7 से सरजीत सिंह, वार्ड संख्या 8 से सचिन नागर,वार्ड संख्या 9 से कविता देवी, वार्ड संख्या 12 से रामनिवास विधुड़ी, वार्ड संख्या 13 से सनी रावल, वार्ड संख्या 14 से मो.आरिफ, वार्ड संख्या 15 से निकिता विकल, वार्ड संख्या 16 से आदेश भाटी, वार्ड संख्या 18 से रेशू गर्ग और वार्ड संख्या 22 से कृष्ण कुमार शर्मा
नगर में चर्चाओं का बाजार गर्म है
दादरी नगरपालिका में तेजी से घटनाक्रम बदल रहा है। इस प्रकरण में लोग कई तरह की चर्चाए कर रहे हैं। गली मोहल्ले एवं नुक्कड़ पर लोग इस प्रकरण पर चर्चा कर रहे हैं। कुछ लोग सभासदों की बातों का समर्थन करते हुए चैयरमेन एवं नगरपालिका को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। ऐसे लोगों का तर्क है कि नगरपालिका में भ्रष्टाचार चल रहा है।इनका कहना है कि भ्रष्टाचार के दाग चैयरमेन के दामन पर भी हैं। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि जो कुछ भी दादरी नगरपालिका परिषद में चल रहा है, वह दादरी के लिए उचित नहीं है। इससे नगर का विकास प्रभावित होगा। यदि नगरपालिका परिषद पर आरोप लगे हैं तो इनकी जांच होनी चाहिए। वहीं, नगर में यह चर्चा भी जोरों से चल रही है कि पूरा खेल कमिशनबाजी एवं आर्थिक हितों से जुड़ा हुआ है। ऐसे लोग सभासदों की नियत पर सवाल उठा रहे हैं। हालांकि अभी इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। इतना जरूर है कि इस पूरे प्रकरण में दादरी नगरपालिका, नगरपालिका अध्यक्ष और सभासदों की प्रतिष्ठा कटघरे में हैं।
सभासदों के त्याग पत्र में मौके की तलाश
नगरपालिका परिषद के 15 सभासदों द्वारा दिए गए त्याग पत्र में कुछ लोगों को अपने लिए अवसर दिखाई दे रहा है। ऐसे लोगों का कहना है कि प्रशासन को सभासदों के त्याग पत्र स्वीकार कर जल्द से जल्द आगामी 6 महीने में चुनाव कराने चाहिए। इन लोगों ने त्याग पत्र देने वाले सभासदों पर भी निशाना साधते हुए कहा है कि इनके द्वारा दबाव की नीति अपनाई जा रही है। नगरपालिका परिषद की बोर्ड बैठकों से अनुपस्थित होकर सभासदों ने साबित कर दिया है कि इन्हें अपने वार्ड के विकास से कोई मतलब नहीं है। इन्होंने त्याग पत्र स्वैच्छता से बिना किसी दबाव के दिए हैं। ऐसे में इनके त्याग पत्र स्वीकार कर दूसरे लोगों के लिए चुनाव लड़ने का रास्ता साफ करना चाहिए। इससे अवरूद्ध हो रहे नगर के विकास को गति मिलेगी।
कोर्ट जाने की तैयारी
सूत्रों की माने तो दादरी नगरपालिका परिषद के कई पूर्व सभासद इस पूरे मामले में सक्रिय हो गए हैं। इनके द्वारा सभासदों के इस्तीफे को स्वीकार करने की मांग उठाई जा रही है। इनका कहना है कि 15 सभासदों ने स्वैच्छता से अपना इस्तीफा जिलाधिकारी को सौंप दिया है। मुख्यमंत्री पोर्टल के माध्यम से मुख्यमंत्री कार्यालय को भी अवगत करा दिया है। ऐसे में इनका इस्तीफा तत्काल स्वीकार करना चाहिए। इनका कहना है कि प्रशासन सभासदों का त्याग पत्र स्वीकार न करके नगरपालिका परिषद के एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन कर रहा है। इतना ही नहीं त्याग पत्र दिए जाने के बाद से ही नगरपालिका परिषद में इनका स्थान रिक्त समझा जाना चाहिए। यह भी पता चला है कि यदि जल्द ही सभासदों का त्याग पत्र स्वीकार नहीं किया जाता है तो ऐसी स्थिति में इनके द्वारा कोर्ट जाने की भी तैयारी की जा रही है। सूत्रों की माने तो पूर्व सभासद इस मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं, वहीं, स्थानीय लोग उनका समर्थन भी कर रहे हैं।
सभासदों ने उत्तर प्रदेश नगरालिका एक्ट का उल्लंघन किया है ?
सभासदों के त्याग पत्र दिए जाने के बाद जिस तरह से तेजी से दादरी नगरपालिका में घटनाक्रम घट रहा है उसको लेकर कुछ लोग आरोप लगा रहे हैं कि इस पूरे प्रकरण में उत्तर प्रदेश नगरपालिका अधिनियम 1916 के प्रावधानों का उल्लंघन किया जा रहा हे। दादरी नगरालिका परिषद में जो भी स्थिति पैदा हो रही है, उसके अन्तर्गत त्याग पत्र देने वाले सभासदों का त्याग पत्र स्वीकार किया जाना चाहिए। वहीं, इन सभासदों की सदस्यता समाप्त किए जाने की बातें कही जा रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या दादरी नगरालिका पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाले सभासदों के मामले में नगरपालिका परिषद अधिनियम के प्रावधानों का पालन किया जा रहा है ? क्या इनका त्याग पत्र स्वीकार न करके नगरपालिका परिषद अधिनियम 1916 के प्रावधानों का उल्लंघन किया जा रहा है ?
जानकारों की माने तो उत्तर प्रदेश नगरपालिका अधिनियम, 1916 में प्रावधान हैं कि यदि नगरपालिका का कोई भी सदस्य लिखकर अपने हस्ताक्षर से राज्य सरकार को संबोधित करके त्याग पत्र देता है तो इसके बाद उसका स्थान रिक्त हो जाएगा। यदि त्याग पत्र उस जिले के कलेक्टर के कार्यालय में दिया जाएगा, जहां नगरपालिका स्थित है, तो नगरपालिका परिषद के अध्यक्ष को सूचित किया जाएगा और तत्काल राज्य सरकार के पास भेजेगा। जिलाधिकारी या राज्य सरकार को इस बात की पुष्टि कर लेनी चाहिए कि सदस्य द्वारा त्याग पत्र स्वतंत्रतापूर्वक लिखा गया है। जानकारों के अनुसार यदि कोई सदस्य नगरपालिका की बिना स्वीकृति के लगातार तीन महीने तक नगरपालिका में संपन्न हुई बैठकों में अथवा तीन बैठकों में (दोनों में जो भी अवधि अधिक होगी उसको मान्य किया जाएगा) अनुपस्थित रहा है तो राज्य सरकार ऐसे सदस्य को हटा सकती है।