गुटबाजी आई बाहर : गौतम बुद्ध नगर में मुलायम सिंह यादव की जयंती समाजवादी पार्टी के दो गुटों ने अलग अलग मनाई
Factionalism came out: In Gautam Buddha Nagar, two factions of Samajwadi Party celebrated Mulayam Singh Yadav's birth anniversary separately

Panchayat 24 : यदि सुख और दुख में परिवार एक साथ एकत्रित न हो तो परिवार में मतभेद होने की चर्चाएं शुरू हो जाती है। गौतम बुद्ध नगर समाजवादी परिवार का भी कुछ ऐसा ही हाल है। जिन आयोजनों पर पार्टी के नेताओं को एक साथ खड़े रहकर अपनी एकजुटता का परिचय देना चाहिए, ऐसे कार्यक्रमों पर अनुपस्थित रहना कई तरह की चर्चाओं को हवा दे रहे है। पार्टी के संस्थापक और भूतपूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की पार्टी कार्यकर्ताओं ने जयंती मनाई। इस दौरान जिस तरह से पार्टी के वरिष्ठ नेता और पार्टी कार्यकर्ताओं ने अलग अलग जयंती मनाई उससे समाजवादी पार्टी के अंदर चल रही गुटबाजी की बातों को हवा मिल गई है। लोग कह रहे है कि बिना आग के धुआं नहीं उठता है।
बता दें कि बीते शुक्रवार को पार्टी के एक धड़े ने सूरजपुर स्थित समाजवादी पार्टी जिला कार्यालय पर आयोजित कार्यक्रम में मुलायम सिंह यादव की जयंती मनाई। इस दौरान कई तरह के कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया था। इस मौके पर जिलाध्यक्ष सुधीर भाटी, गजराज नागर, रामशरण नागर, फकीरचंद नागर, रोहित मत्ते गुर्जर, इन्द्र प्रधान, राहुल अवाना, कपिल ननका, सुनीता यादव, महेंदी हसन, आदि कार्यकर्ता उपस्थित थे। वहीं, डॉ महेन्द्र सिंह नागर के पैतृक गांव मिलक लच्छी में भी मुलायम सिंह यादव की जयंती पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। यहां पार्टी के लोकसभा प्रत्याशी डॉ महेन्द्र सिंह नागर, पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष और वरिष्ठतम कार्यकर्ता में से एक वीर सिंह यादव, जितेन्द्र अग्रवाल, उपदेश नागर और राजवीर सिंह नागर सहित कई लोग उपस्थित रहे।
दरअसल, उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की बड़ी जीत ने पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के मन में नई उमंग भर दी थी। लेकिन गौतम बुद्ध नगर में लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद से ही पार्टी कार्यकर्ताओं को दो धड़ों में बांटने वाली लकीर खिंच गई थी। पार्टी प्रत्याशी डॉ महेन्द्र सिंह नागर न केवल चुनाव हारे थे बल्कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी यहां सबसे अधिक वोटों से हारी थी। इसके बाद से ही गौतम बुद्ध नगर समाजवादी पार्टी जिला इकाई में मतभेदों की सामने आ रही हैं। चुनाव के बाद अखिलेश यादव ने चुनाव परिणाम की समीक्षा के लिए गौतम बुद्ध नगर के सपाईयों को लखनऊ बुलाया था। समीक्षा बैठक में बड़ी संख्या में पार्टी के वरिष्ठ नेता और पार्टी कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।
सूत्रों के अनुसार समीक्षा बैठक में पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जिलाध्यक्ष सुधीर भाटी का विरोध किया था। वहीं, इस बैठक में डॉ महेन्द्र सिंह नागर द्वारा जिलाध्यक्ष को दी गई एक पर्ची की बहुत अधिक चर्चा हुई थी। पार्टी सूत्रों के अनुसार पार्टी में चुनाव के दौरान हुए खर्च का पूरा ब्यौरा था। इस पर्ची में अंकित था कि पार्टी के किस नेता और कार्यकर्ता को चुनाव के दौरान कितनी रकम दी गई ? किसने कितनी रकम खर्च की ? डॉ महेन्द्र सिंह नागर इस पर्ची को समीक्षा बैठक के दौरान पढ़ना चाहते थे, लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया और पर्ची ले ली। पार्टी सूत्रों के अनुसार डॉ महेन्द्र सिंह नागर ने पार्टी नेतृत्व को चुनावी खर्चा पानी की यह पर्ची इस लिए सौंपी थी कि कुछ नेताओं ने पार्टी नेतृत्व से कहा था कि डॉ महेन्द्र सिंह नागर ने चुनाव में खर्च नहीं किया। इस लिए चुनाव परिणाम उनके पक्ष में नहीं रहा।
समीक्षा बैठक में अखिलेश यादव ने पार्टी के किसी अन्य नेता की अपेक्षा डॉ महेन्द्र सिंह नागर को मंच पर अपने पास बिठाया था। यह घटना गौतम बुद्ध नगर समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं को अंदर तक चुभ गई। ऐसे नेता डॉ महेन्द्र सिंह नागर के पार्टी में तेजी से बढ़ते हुए कद को देखते हुए उन्हें अपने लिख खतरा मानने लगे हैं। हालांकि डॉ महेन्द्र सिंह नागर को लोकसभा का टिकट दिलवाने में इन नेताओं का अहम योगदान रहा था। बता दें कि समाजवादी पार्टी ने पहले डॉ महेन्द्र सिंह नागर को गौतम बुद्ध नगर लोकसभा प्रत्याशी बनाया था, लेकिन पार्टी ने बाद में राहुल अवाना को पार्टी प्रत्याशी घोषित कर दिया था। प्रत्याशी बदले जाने के बाद जिले में समाजवादी पार्टी की काफी छीछालेदर हुई थी। बाद में जिलाध्यक्ष सुधीर भाटी और पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने लखनऊ पहंंचकर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से डॉ महेन्द्र सिंह नागर को पार्टी प्रत्शाशी बनाए जाने की सिफारिस की थी। इसमें उन्हें सफलता भी मिली थी।
जानकारों की माने तो समीक्षा बैठक में डॉ महेन्द्र सिंह नागर को अखिलेश यादव द्वारा दी गई तवज्जो से गौतम बुद्ध नगर समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच बैचेनी है। इस बैचेनी के पीछे मुख्य मुख्य वजह यह है कि पार्टी अदल बदल कर गौतम बुद्ध नगर जिले में पुराने चेहरों पर ही बार बार दाव खेल रही है। इसके बावजूद पार्टी को सफलता हासिल नहीं हुई है। सूत्रों की माने तो पार्टी गौतम बुद्ध नगर में बड़े बदलाव के लिए सही समय का इंतजार कर रहा था। डॉ महेन्द्र सिंह नागर कांग्रेस छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए थे। इसके बावजूद उन्हें लगभग तीन लाख वोट मिले थे। ऐसे में अखिलेश यादव का उनकी ओर बढ़ता रूझान गौतम बुद्ध नगर जिले के कुछ वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं को परेशान कर रहा है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार नए साल में गौतम बुद्ध नगर समाजवादी पार्टी में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। इस बदलाव में डॉ महेन्द्र सिंह नागर का बड़ा प्रभावशाली हस्तक्षेप होगा। यदि वास्तव में ऐसा हुआ तो यह बात तय है कि जिला संगठन में जगह पाने में इस बार कई बड़े चेहरों को झटका लगना तय माना जा रहा है। वहीं, जिस तरह से दादरी के मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा राजकुमार भाटी का समीक्षा बैठक में विरोध किया गया, उसके बाद पार्टी के कुछ नेताओं के मन में आशंकाएं पैदा हो गई हैं कि डॉ महेन्द्र सिंह नागर दादरी विधानसभा सीट पर आगामी साल 2027 के विधानसभा चुनाव में दावेदारी पेश करेंगे। कुछ इसी प्रकार की आशंकाएं गौतम बुद्ध नगर में पार्टी के अंदर पनप रहे मतभेदों का कारण बन रही हैं। यह मतभेद पार्टी में गुटबाजी को बढ़ावा दे रहे हैं। जिले में मुलायम सिंह यादव की जयंती का दो गुटों द्वारा अलग अलग आयोजन इसी का परिणाम बताया जा रहा है।