जमीन प्राप्त करने के लिए शासन स्तर पर नए फार्मूले पर हो रहा है मंथन, किसानों की नाराजगी होगी दूर ?
A new formula is being discussed at the government level to acquire the land. Will the farmers' resentment be removed?

डॉ देवेन्द्र कुमार शर्मा
Panchayat 24 : क्या नोएडा और ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के सामने किसानों से जमीन प्राप्त करना एक चुनौती बन गया है ? वर्तमान परिस्थितियों को देखकर ऐसा ही प्रतीत हो रहा है। जमीन के अभाव में जहां नोएडा न्यू नोएडा को बसाने की तैयारी कर रहा है। वहीं, औद्योगिक विकास को गति प्रदान करने के लिए ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण ग्रेटर नोएडा फेस-2 का रोड मैप तैयार कर रहा है। दूसरी ओर किसान जमीन की कम कीमत के चलते अपनी जमीन नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को देने को तैयार नहीं है। किसानों में नाराजगी का भाव है।
यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा किसानों से जमीन क्रय करने अथवा अधिग्रहण की एवज में दी गई मुआवजा राशि को बढ़ाए जाने के बाद नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा अधिसूचित क्षेत्र के किसान प्राधिकरणों को जमीन देने से परहेज कर रहे हैं। इसका लाभ निजी बिल्डरों और कॉलोनाइजर उठा रहे हैं। किसान भी ऊंची कीमतों पर निजी बिल्डरों और कॉलोनाइजरों को जमीन बेचने को तवज्जो दे रहे हैं। इससे प्राधिकरणों के सामने अधिसूचित क्षेत्र में बेतहाशा अवैध कॉलोनियों और अवैध निर्माण तेजी से हो रहा है। वहीं, नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरणों को विकास के लिए जमीन मिलना मुश्किल हो गया है।
सूत्रों के अनुसार ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण ऊंची कीमत पर किसानों से जमीन खरीदना चाहता है, लेकिन इसमें कुछ कानूनी समस्याएं हैं। वहीं, किसान जमीन के बदले अच्छी खासी कीमत और परिवार के लिए विकसित भूखंड चाहता है। अभी तक किसान के पास भूमि अधिग्रहण के बदले मुआवजा राशि मिलती थी। लेकिन परिवार को बसाने और कारोबार करने के लिए जमीन के अभाव के चलते किसान चिंतित थे। किसानों का मानना है कि दोनों ही परिस्थितियों में विकास में किसानों की सहभागिता तय नहीं होती है।
ऐसे में किसानों की चिंता को देखते हुए शासन में लैंड पुलिंग पॉलिसी पर चर्चा हुई। इसमें में किसानों को जमीन को क्रिय किए जाने की एवज में निश्चित विकसित भू भाग मिलना था। लेकिन इससे किसानों के सामने नकदी की चिंता पैदा हो रही थी। इसके अभाव में विकसित भूखंड पर आवास अथवा कोई रोजगार शुरू करना संभव नहीं था। किसान इसके लिए तैयार नहीं थे। ऐसे में शासन और प्राधिकरणों के सामने किसानों की जमीन का क्रय किए जाने की एवज में एक पूर्ण नीति लाने की भी चुनौती थी।
किसानों की समस्याओं को समझते हुए शासन एक पूर्ण नीति पर विचार कर रह है। सूत्रों के अनुसार शासन किसानों से जमीन क्रय किए जाने की एवज में नकदी के साथ लैंड पुलिंग पॉलीसि के फार्मूले पर मंथन कर रहा है। यह फार्मूला औद्योगिक विकास प्राधिकरणों की ओर से शासन को सुझाया गया है। इस फार्मूले के अनुसार किसान को उसकी जमीन का क्रय किए जाने की एवज में एक निश्चित भूभाग के साथ निश्चित नकदी दी जाएगी।
इस की नीति का विचार विकास में किसानों की सहभागिता बढ़ाने वाला है। हालांकि शासन स्तर पर इस फार्मूले पर चल रहा मंथन अभी प्रथम चरण में ही है। ऐसे में इस नीति का स्वरूप क्या होगा ? यह कहना मुश्किल है। फिर भी एक सवाल जरूर उठते हैं। लैंड पुलिंग के साथ मुआवजा का फार्मूला जितना सुन्दर विचार है, वास्तव में उतनी सुन्दर नीति का निर्माण किया जा सकता है ? इस तरह की नीति से शासन और सरकार किसानों को जमीन देने के लिए तैयार कर पाएंगे ?