उत्तर प्रदेश

न स्‍वामी मिले, न राम : स्‍वामी प्रसाद मौर्य को समझने में अखिलेश यादव खा गए गच्‍चा

Neither Swami found nor Ram: Akhilesh Yadav got confused in understanding Swami Prasad Maurya

Panchayat 24 : लोकसभा चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी के राष्‍ट्रीय महासचिव स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी को तगड़ा झटका दिया है। स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने न केवल समाजवादी पार्टी के राष्‍ट्रीय महासचिव पद से इस्‍तीफा दिया है, बल्कि पार्टी की प्राथमिक सदस्‍यता से भी इस्‍तीफा दे दिया है। उन्‍होंन विधान परिषद सदस्‍य के पद से भी त्‍याग पत्र दे दिया है। इतना ही नहीं स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव पर भी कटाक्ष किया है। इस प्रकरण में एक बात साफ हो गई है कि अखिलेश यादव स्‍वामी प्रसाद मौर्य को समझने में गच्‍चा खा गए है। ऐसे में अखिलेश यादव के हाथ न स्‍वामी लगे, न राम।

दरअसल, स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी पर उनकी अनदेखी करने और उनके बयानों पर पार्टी नेताओं द्वारा समर्थन नहीं करने का आरोप लगाया है। स्‍वामी प्रसाद मौर्य का कहना है कि अखिलेश यादव समाजवादी विचारधारा के विपरीत जा रहे हैं। स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि समाजवादी पार्टी में शामिल होने के बाद मैंने लगातार पार्टी का जनाधार बढ़ाने का प्रयास किया। लेकिन पार्टी के अंदर से ही उनका विरोध हुआ। उन्‍होंने कहा कि मैंने भाजपा के मकड़जाल से आदिवासियों, दलितों और पिछड़े समाज के लोगों को बाहर निकालने का प्रयास किया। लेकिन पार्टी ने मेरे बयानों को निजी बयान कहा। पार्टी में मेरे सुझावों को नहीं माना गया। बता दें कि स्‍वामी प्रसाद मौर्य लगातार अपने विवादित बयानों से सनातन आस्‍थाओं पर चोट कर रहे थे। श्रीरामचरित मानस और सनातन देवी देवताओं के बारे में अमर्यादित बयानबाजी कर रहे थे। एक समय तक समाजवादी पार्टी स्‍वामी प्रसाद मौर्य के बयानों पर चुप रही लेकिन एक समय के बाद पार्टी के अंदर से उनके बयानों की आलोचना शुरू हो गई। इस बात से स्‍वामी प्रसाद मौर्य नाराज चल रहे थे।

अखिलेश यादव पर जमकर बरसे स्‍वामी प्रसाद मौर्य 

स्‍वामी प्रसाद मौर्य द्वारा पार्टी छोड़े जाने पर अखिलेश यादव ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए अखिलेश ने कहा कि लाभ लेने के लिए हर कोई आता है, लेकिन मौके पर कौन टिकता है? किसी के मन में क्या है यह कौन बताएगा? अखिलेश यादव ने कहा कि क्या ऐसी कोई मशीन है जिससे पता चल पाए कि किसके मन में क्या चल रहा है? लाभ लेकर तो हर कोई चला ही जाता है।  अखिलेश यादव के बयान पर स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि उनकी सरकार न तो केंद्र में है और न ही प्रदेश में है, कुछ देने की हैसियत में नहीं है। उन्होंने जो भी दिया है वह मैं उन्हें सम्मान के साथ वापस कर दूंगा। मेरे लिए पद नहीं विचार मायने रखता है… मेरे लिए विचार में दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों, देशवासियों, ग़रीबों, बेरोज़गारों के हितों पर जब भी कुठाराघात होगा मैं पलटवार करता रहूंगा। पहले भी करता रहा हूं.. आगे भी करता रहूंगा. अखिलेश यादव की कही हुई बात उन्हें मुबारक।”

अखिलेश यादव के सेक्‍यूलर होने पर उठाए सवाल 

स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि कहा कि अखिलेश यादव ऐसे सेकुलर है कि पार्टी कार्यालय में पूजा करवा रहे है। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने कभी संविधान की भावना के विपरीत व्यवहार नहीं किया। वह खाटी समाजवादी नेता थे। आज सपा वाले पार्टी कार्यालय में पूजा कर रहे हैं।मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने प्रोफेसर राम गोपाल यादव पर हमलावर होते हुए कहा कि सपा की खटिया खड़ी करने के लिए घर में ही लोग मौजूद हैं। दूसरों की क्या जरूरत है। उनकी भाषा देखिए क्या यह एक राजनीतिक व्यक्ति की भाषा है। स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि इंडिया गठबंधन में शामिल होने पर कहा कि जैसे भी होगा गठबंधन को मजबूत बनाने पर काम करूंगा।

समाजवादी पार्टी की पीडीए मुहिम के लिए सनातन विरोधी में उतर गए थे स्‍वामी प्रसाद मौर्य 

समाजवादी पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए पीडीए और जातीय जनगणना को अपना हथियार बनाया है। भाजपा से सपा में शामिल हुए स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने पीडीए की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए सनातन विरोधी रूख अपना लिया था। शुरूआत में स्‍वामी प्रसाद मौर्य के बिगड़े बोलों पर पार्टी नेतृत्‍व चुप रहा। लेकिन लगातार सनातन आस्‍था पर चोट करने, श्रीरामचरित मानस और राम मंदिर पर अमर्यादित टिप्‍पणी किए जाने के पर समाजवादी पार्टी के अंदर ही उनका विरोध शुरू हो गया था। अंत में पानी सिर से ऊपर बहने पर अखिलेश यादव ने भी उन्‍हें विवादित बयान देने से बचने की सलाह दी थी।

स्‍वामी प्रसाद मौर्य का पार्टी छोड़कर जाना समाजवादी पार्टी के लिए कई मायनों में चिंता का करण हो सकता है। प्रथम, स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने दलित और पिछड़ों और आदिवासियों के बीच 85 बनाम 15 की लाइन खींचने का प्रयास किया था। यही, पीडीए का मूल भी है। जिस समय स्‍वामी प्रसाद मौर्य पार्टी छोड़कर गए हैं, उससे पार्टी की पीडीए मुहिम को झटका माना जा रहा है। दूसरा अहम कारण यह है कि जिस तरह से समाजवादी पार्टी के अंदर कुछ नेता मुखर होकर स्‍वामी प्रसाद मौर्य का समर्थन कर रहे हैं, उससे प्रतीत हो रहा है कि कुछ और नेता भी निकट भविष्‍य में समाजवादी पार्टी को छोड़ सकते हैं।

स्‍वामी प्रसाद मौर्य के बयानों से समाजवादी पार्टी को नफा हुआ या नुकसान ?

स्‍वामी प्रसाद मौर्य के समाजवादी पार्टी को छोड़ने के बाद एक अहम सवाल खड़ा हो रहा है कि पिछले लगभग डेढ साल से जिस तरह से वह सनातन विरोधी बयानबाजी कर रहे थे, उससे पार्टी को नफा हुआ या नुकसान ? दरअसल, स्‍वामी प्रसाद मौर्य लगातार अपने बयानों से समाज को 85 बनाम 15 में विभक्‍त करके राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास कर रहे थे। इस मुहिम में वह लगातार सनातन पर हमलावर थे। बाद में पार्टी के अंदर से ही उनका विरोध शुरू हो गया। इस पूरे प्रकरण में अभी यह कहना जल्‍दबाजी होगी कि स्‍वामी प्रसाद मौर्य के बयानों ने समाजवादी पार्टी की पी‍डीए मुहिम को राजनीतिक लाभ पहुंचाया है। यह तो आगामी लोकसभा चुनाव परिणाम ही तय करेंगे। इतना जरूर है कि जिस तरह से उन्‍होंने सनातन विरोध में बयानबाजी की उससे समाजवादी पार्टी के बारे में सनातन समर्थकों के बीच नकारात्‍मक संदेश ही गया है। समाजवादी पार्टी के अध्‍यक्ष एवं शीर्ष नेतृतव को भी इसका आभास हो चला था। इस लिए पार्टी ने उन्‍हें विवादित बयान देने से बचने की सलाह दी थी।

पूरे विवाद की जड़ में राज्‍यसभा चुनाव है ?

लोकसभा चुनाव करीब आते ही समाजवादी पार्टी में तनाव देखा जा रहा है। नेता पार्टी छोड़ रहे हैं। स्‍वामी प्रसाद मौर्य प्रकरण ने इस कलह को हवा दी है। जानकारों की माने तो इस पूरी कलह की जड़ में राज्‍यसभा चुनाव हैं। स्‍वामी प्रसाद मौर्य इस बात को लेकर संतुष्‍ट थे कि समाजवादी पार्टी उन्‍हें राज्‍यसभा भेजेगी। लेकिन समाजवादी पार्टी ने ऐसा नहीं किया। इसके बाद से ही स्‍वामी प्रसाद मौर्य के सुर बदल गए थे।

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