नोएडा-ग्रेटर नोएडा-यीडा के स्थानांतरणाधीन अधिकारियों का निलंबन: इस कार्रवाई का आधार क्या है?
Suspension of transferred officers of Noida-Greater Noida-YEIDA: What is the basis of this action?

Panchayat 24 : नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के साथ साथ यूपीसीडा के भी एक अधिकारी समेत कुल पांच अधिकारियों को आज गुरूवार को उत्तर प्रदेश शासन ने निलंबित कर दिया। एक सप्ताह पहले भी नोएडा प्राधिकरण के छः अधिकारियों को निलंबित किया गया था।इन सभी निलंबित अधिकारियों पर तबादला होने के बावजूद पिछले 15 महीनों से अपने अपने प्राधिकरणों में जमे रहने का आरोप है। क्या यह संभव है?अभी ऐसी ही कार्रवाई कुछ और अधिकारियों पर होने की आशंका है।
दरअसल 2018 में उत्तर प्रदेश के औद्योगिक प्राधिकरणों में लागू की गई अंतर प्राधिकरण स्थानांतरण नीति के अंतर्गत प्रतिवर्ष 30 जून को रोटेशन प्रणाली के तहत सभी औद्योगिक प्राधिकरणों के कुछ अधिकारियों को एक से दूसरे प्राधिकरण में स्थानांतरित किया जाता है। यह सच है कि नोएडा ग्रेटर नोएडा और यीडा में नियुक्त अधिकारी खासतौर पर अभियंताओं का यहां से जाने को मन नहीं करता।वे तमाम तरह के हथकंडे अपनाकर यहीं जमे रहना चाहते हैं।
सूत्र बताते हैं कि अंतर औद्योगिक विकास प्राधिकरण तबादला नीति से एक बड़ा तबादला उद्योग खड़ा हो चुका है जिसका केंद्र लखनऊ में है। चूंकि इन प्राधिकरणों में अवैध आमदनी का सबसे बड़ा स्रोत अभियांत्रिकी विभाग है, इसलिए अभियंता यहां से लेकर लखनऊ तक मैनेज कर लेते हैं। निलंबित किए गए अधिकारियों में से दो विधि अधिकारियों, एक निजी सचिव और एक लेखा अधिकारी को छोड़कर शेष अभियंता ही हैं।इनका तबादला होने के बावजूद इन्हें इनके प्राधिकरणों से कार्यमुक्त नहीं किया गया था। साजिश और षड्यंत्र चाहे जो हों परन्तु इसके लिए प्राधिकरणों का टॉप ऑर्डर जिम्मेदार है जिसे इन्हें कार्यमुक्त करना था। इसीलिए पहले निलंबित किए गए छः अधिकारियों का निलंबन वापस लेने के लिए नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने शासन से बात की है।
उन छः अधिकारियों ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद की भी शरण ली है और अपुष्ट सूत्रों के अनुसार कल बुधवार को हुई सुनवाई के बाद अदालत ने दो लोगों का निलंबन निरस्त भी कर दिया है। अभी और अधिकारियों का निलंबन किया जा सकता है। अभी तक नये स्थान पर ज्वॉइन न करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई के बारे में सुनने को मिलता था। कार्यमुक्त न किए गए अधिकारियों को निलंबित करने का यह पहला मामला है। इसके साथ ही इन तीनों विशाल प्राधिकरणों में अधिकारियों कर्मचारियों का टोटा बढ़ता ही जा रहा है।
स्थानांतरित अधिकारियों के स्थान पर भेजे गए अधिकारियों की संख्या नगण्य है। अपने अपने प्राधिकरणों में बड़ी बड़ी परियोजनाओं और नागरिक सुविधाओं को बदस्तूर जारी रखने की जिम्मेदारी के लिए मुख्य कार्यपालक अधिकारी स्टाफ की कमी की फजीहत से जूझ रहे हैं। उधर कानपुर स्थित यूपीसीडा मुख्यालय में बिना जरूरत अधिकारियों की भीड़ लगी है। और अंत में.. इस वर्ष 30 जून को आने वाली तबादला सूची अभी तक नहीं आई है। इस सूची में तबादले के लिए प्रस्तावित अभियंताओं और अधिकारियों के चेहरों पर चिंता के कोई निशान नहीं हैं। सूची आने के अब आसार भी नहीं हैं।
लेखक : राजेश बैरागी, वरिष्ठ पत्रकार