नोएडा में सड़क धंसने की घटनाएं किसी अदृश्य खतरे की ओर इशारा कर रही हैं ? समस्या से निपटने के लिए कितना तैयार है प्राधिकरण ?
Are the incidents of road collapse in Noida pointing towards some invisible danger? How prepared is the authority?

डॉ देवेन्द्र कुमार शर्मा
Panchayat 24 : कहते है कमजोर जमीन वालों का जीवन संकटों से घिरा होता है। यह कहावत नोएडा शहर के लोगों के बारे में सटीक बैठ रही है। वैसे तो नोएडा शहन समस्याओं का शहर बनता जा रहा है। लेकिन जमीन में दबा हुबी हुई एक अदृश्य समस्या ने शहरवासियों के सामने एक नया संकट खड़ा कर दिया है। यह संकट कितना बड़ा है ? किस रूप में हैं ? लोगों को कितना प्रभावित करेगा ? यह कहना मुश्किल है ? इस संकट के बारे में पूर्वानुमान लगा पाना भी मुश्किल है। जब तक अदृश्य संकट धरती को चीरकर यह लोगों के सामने आता है, इसके गंभीर परिणाम लोगों के सामने आ चुके होते हैं ?
नोएडावासियों के जीवन के लिए खतरा बन चुकी इस सम्पूर्ण समस्या की जड़ में नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण का जल विभाग और उसके द्वारा बिछाई गई भूमिगत जल आपूर्ति लाइनें हैं। पिछले कुछ दिनों में नोएडा में अचानक सड़क धंसने की घटनाओं ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है। समस्या के कारण का पता लगने पर लोगों को परेशान कर दिया है। दरअसल, लगभग दस दिनों के अंतराल पर नोएडा के सेक्टर-50 और सेक्टर-100 में सड़क धंसने से सड़क में दस से पन्द्रह फीट गहरे गड्ढे होने की घटनाएं घट चुकी हैं। जांच में पता चला है कि इन घटनाओं के पीछे प्राधिकरण के जल विभाग द्वारा बिछाई गई भूमिगत जल आपूर्ति लाइनों का रिसवाव है।

हालांकि दोनों ही घटनाओं में गनीमत यह रही कि कोई जनहानि नहीं हुई, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है कि भविष्य में कोई बड़ा हादसा नहीं होगा। ऐसे में इन घटनाओं ने भूमिगत जल जल आपूर्ति लाइनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। दरअसल, पूरे नोएडा शहर में जल आपूर्ति और सीवर की लगभग बारह से पन्द्रह सौ किमी लंबी भूमिगत पाइप लाइनें हैं। इनमें से बहुत बड़ी मात्रा में पाइप लाइनें पुरानी हो चुकी हैं। परिणामस्वरूप इनमें रिसवा हो रहा है। जल विभाग के एक अधिकारी के अनुसार उनके पास अभी तक कोई ऐसी तकनीक नहीं है जिससे यह पता लगाया जा सके कि भूमिगत पाइप लाइन का रिसाव कहां पर हो रहा है ?

स्पष्ट है यदि किसी स्थान पर भूमिगत पाइप लाइन का रिसाव हो रहा है तो वहां के लोगों के लिए एक संकट है। रिसाव का पता जमीन धंसने अथवा कोई अन्य घटना होने पर ही पता चलती है। अभी तक भूमिगत पाइप लाइनों के रिसाव के कारण सड़क धंसने की ही घटनाएं सामने आई हैं, लेकिन इससे इंकार नहीं किया जा सकता है कि शहर की इमारतों को इससे खतरा नहीं होगा। यदि इस समस्या की जद में कोई रिहायसी, कमर्शियल अथवा भीड़भाड़ वाली जगह आती है तो परिणाम की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। जमीन में जल रिसाव के कारण हुई घटना गौतम बुद्ध नगर के लिए नई नहीं है।
बीते 17 जुलाई 2018 को नोएडा की सीमा से सटे ग्रेटर नोएडा वेस्ट के शाहबेरी में बारिस का पानी रिसने के कारण दो इमारतें जमींदोज हो गई थी। दर्दनाक घटना में 9 लोगों की मौत हुई थी। ऐसे में सवाल उठता है कि नोएडा प्राधिकरण और उनका जल विभाग भूमिगत पाइप लाइनों के रिसाव की समस्या के निदान के लिए कोई कार्य योजना तैयार कर रहा है अथवा नोएडा में भी किसी शाहबेरी जैसी किसी घटना का इंतजार किया जा रहा है ? सेक्टर-51 और सेक्टर-100 में सड़क धंसने की घटनाओं से कोई सबक सीखा है अथवा व्यवस्था ऐसे ही चलती रहेगी ? क्या समस्या समाधान के लिए समाधान की किसी दिशा में बढ़ा जाएगा ? बेहतर होगा प्राधिकरण एक समय सीमा पूरी कर चुकी भूमिगत पाइप लाइनों के बदलाव के बारे में विचार करे। हालांकि व्यवहारिक तौर पर यह कठिन कार्य होगा। ऐसे में कोई किसी बेहतर विकल्प पर भी विचार किया जाना अति आवश्यक है।