सेंट्रल नोएडा जोनस्पेशल स्टोरी

पुलिस की नकारात्‍मक छवि के पीछे अपेक्षाओं की अधिकता है या कुछ और ? कर्तव्‍यनिष्‍ठा से पेश होगी शानदार मिसाल, बढ़ेगा भरोसा

Is the negative image of the police due to high expectations or something else? Devotion to duty will set a great example and trust will increase

Panchayat 24 : क्‍या पुलिस वाकई में इतनी बुरी है जितनी नकारात्मक छवि समाज में बनी हुई है ? यदि ऐसा है तो क्‍या पुलिसविहीन समाज की कल्‍पना की जा सकती है ? समाज ने हर समस्‍या के समाधान की अपेक्षा पुलिस से ही करनी शुरू कर दी है। शायद यही कारण है कि पुलिस के नकारात्‍मक पक्ष पर खूब चर्चा होती है। चिलचिलाती धूम, सर्दी, बारिश, धूल एवं धुंए के बीच पुलिस समाज में सकारात्‍मक कार्य भी करती है। इसके बावजूद यह पक्ष चर्चा में कम ही रहता है।

सोमवार (आज) ग्रेटर नोएडा के लिए घर से निकला था। बारिश हो रही थी। घर से निकलने में देरी हो गई। दादरी से तिलपता गांव पहुंचते ही तय हो गया कि गंतव्‍य पर पहुंचने में अभी और देर होने वाली है। कारण स्‍पष्‍ट था कि सड़क पर भारी जलभराव के कारण जाम। वाहनों की लंबी कतार को देखकर तय हो गया था कि ट्रेफिक को व्‍यवस्थित करने के लिए कोई ट्रेफिक एवं पुलिसकर्मी भी मौके पर नहीं होगा। ऐसे ट्रेफिक को व्‍यवस्थित करने की कल्‍पना भी कैसे की जा सकती है जो तालाब बन चुकी सड़क से होकर गुजर रहा था।

इस बीच कुछ आश्‍चर्य भी हो रहा था कि जाम में खड़े वाहन धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे। सामान्‍य दिनों की अपेक्षा वाहन अधिक व्‍यवस्थित होकर कतार में चल रहे थे। बिना अधिक परेशानी के तिलपता गांव के ट्रेफिक जाम वाले स्‍थानों को पार कर लिया। इस छोटी यात्रा में हुई देरी के लिए ट्रेफिक व्‍यवस्‍था से अधिक सड़क का बहुत अधिक क्षतिग्रस्‍त होना और सड़क पर लबालब जल भराव था। इस दौरान मेरे मन में आया क्‍या वाकई में लोग इतने जागरूक हो गए हैं कि बिना पुलिस की मौजूदगी के स्‍वत: ही विपरीत परिस्थितियों में ट्रेफिक व्‍यवस्‍था का पालन कर रहे हैं।

मेरा विचार गलत साबित हुआ। बारिश के कारण सड़क पर हुए जलभराव के बीचों-बीच एक ट्रेफिककर्मी खड़ा हुआ दिखाई दिया। वह अपने कर्तव्‍यों का निर्वहन करते हुए वाहनों को व्‍यस्थित कर रहा था। वाहनों को अपनी कतार में चलने के लिए लगातार निदेर्शित कर रहा था। मनमानी कर व्‍यवस्‍था को बिगाड़ने वाले वाहन चालकों के पास जाकर व्‍यवस्‍था बनाए रखने की अपील भी कर रहा था। उसके प्रयास रंग ला रहे थे। जाम से निकलने पर खुशी हुई।

कुछ आगे चलने पर तीन ट्रेफिक कर्मी एवं दो सिपाही भी खड़े हुए दिखाई दिए। संभवत: यह सभी सड़क पर खड़े ट्रेफिककर्मी के सहयोगी थे। लगभग तीन से चार घंटे बाद इसी मार्ग से वापस लौटना हुआ। इस बार सड़क पर वाहनों की लंबी कतार गायब थी। हालांकि सड़क पर जलभराव अभी भी इतना ही थी। इस बार सभी पुलिसकर्मी सड़क के किनारे खड़े हुए थे। विचार हुआ कि रूककर इनसे मुलाकात कर परिचय किया जाए। सड़क पर जल भराव और समय के अभाव के चलते ऐसा नहीं हो सका।

खैर, परिचय करना कोई विषय नहीं है। जिस तरह से ट्रेफिक कर्मी ने अपने कर्तव्‍य का पालन किया, उसने काफी प्रभावित किया। ऐसा भी हो सकता था कि उनके प्रयासों के बावजूद परिस्थितियों में सुधान न होता। फिर भी यह कर्तव्‍यनिष्‍ठा का एक शानदार उदाहरण है। इससे अन्‍य पुलिसकर्मियों को भी सीखना चाहिए। पुलिस द्वारा कर्तव्‍यपालन के ऐसे उदाहरण जनता के बीच पुलिस की छवि सुधारने एवं विश्‍वास बहाली के लिए अहम हैं। अपेक्षाओं का दबाव हो अथवा अन्‍य कारण हो, यह भी कटु सत्‍य है कि गलत आचरण के कारण पुलिस पर उंगली उठती है। अच्‍छे पुलिसकर्मियों को भी आशंका भरी नजरों से देखा जाता है। इसके बावजूद पुलिसविहीन समाज की कल्‍पना संभव ही नहीं है। ऐसा विचार ही अराजकता को पैदा करने वाला है।

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