ग्रेटर नोएडा जोन

इंटरनेट से सीखी नशे की खेती, बंद फ्लेट में तैयार हुई फसल, डार्क वेब पर काला कारोबार शुरू, जानिए क्‍या है पूरा मामला ?

Learned drug cultivation from the internet, crop grown in a closed flat, black business started on dark web, know what is the whole matter?

Panchayat 24 : ग्रेटर नोएडा जोन पुलिस ने संयुक्‍त प्रयासों से नशे के कारोबार से जुड़े मामले का खुलासा किया है। यह मामला अपने आप में यूनीक है। पुलिस ने इस संबंध में एक आरोपी को भी गिरफ्तार किया है। आरोपी पॉश सोसायटी के बंद फ्लैट में नशे की खेती कर रहा था। उसने इंटरनेट की मदद से नशे (गांजा) की फसल उगाने की आधुनिक तकनीक के बारे में जानकारी हासिल की। काले कारोबार को फैलाने के लिए डार्क वेब पर ग्राहकों से संपर्क कर नशीले पदार्थें को बचेता था। पुलिस ने बताया कि मामले में सारा लेनदेन ऑनलाइन होता था। पुलिस ने आरोपी के कब्‍जे से नशीला पदार्थ, खेती करने के उपकरण, कई तरह के रसायन बरामद किए हैं। उसको गिरफ्तार कर पुलिस ने जेल भेज दिया है।

क्‍या है पूरा मामला 

डीसीपी ग्रेटर नोएडा साद मिया खां ने बताया कि पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली थी कि बीटा-2 कोतवाली पुलिस क्षेत्र में स्थित सेक्‍टर पी-3 गोलचक्‍कर के पास स्थित पार्श्वनाथ पनोरमा हाऊसिंग सोसायटी में मूलरूप से मेरठ के दौराला का रहने वाला राहुल चौधरी अपने  फ्लैट में नशीले पदार्थ (गांजा) की खेती करता है। पुलिस ने आरोपी को पी-3 गोलचक्‍कर के पास गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से ओजी एवं निशानदेही पर सोसायटी के फ्लैट से अवैध गांजे के गमलों से कैनाबिस के पौधे, 2.07 किग्रा, गांजा, 163 ग्राम ओजी तथा विभिन्‍न प्रकार के रसायन और खेती करने के उपकरण बरामद कर लिए।

ऐसे शुरू की नशे की खेती 

डीसीपी साद मिया खां के अनुसार गिरफ्तार आरोपी रहुल चौधरी इंटरनेट का अच्‍छा जानकार है। उसने सोशल मीडिया एवं इंटरनेट की मदद से कैनाबिस गांजे की खेती करना सीखा। विदेशी वेबसाइटों से इसके बीज ऑनलाइन आयात कराए। इसका भुगतान पे-पल और विभिन्‍न माध्‍यमों से किया।

किचन गार्डनिंग की तर्ज पर बंद फ्लैट में शुरू की कैनाबिस की खेती

डीसीपी के अनुसार आरोपी ने किचन गार्डनिंग की तर्ज पर बंद फ्लैट में गमलों में कैनाबिस गांजे की खेती शुरू की। इसके लिए एयर कंडीश्नर की मदद से फ्लैट का तामपमान नियंत्रित करके रखा। फुल स्पैक्ट्रम प्लांट ग्रोइंग लाइट की सहायता से कैनाबिस के बीजों को गमलों में प्रत्यारोपित कर कैनाबिस की फसल तैयार की गयी।

एक पौधे पर पांच हजार का खर्च, सत्‍तर हजार का मुनाफा

डीसीपी के अनुसार आरोपी एक पौधे को तैयार करने में लगभग सात हजार रूपये खर्च करता था। इसमें बीज, खाद, रसायन, कीटनाशक और बिजजी का बिल जैसे खर्च शामिल हैं। जब एक फसल पूरी तरह से तैयार हो जाती थी तो एक पौधे से 30 से 40 ग्राम ओजी प्राप्‍त होती थी। आरोपी  इस को आजार में लगभग 80 हजार रूपये में बेच देता था।

डार्क वेब पर करता था नशीले पदार्थ की ग्राहकों को सप्‍लाई 

पुलिस के अनुसार आरोपी राहुल चौधरी कैनाबिस गांजे को डार्क वेब पर ग्राहकों को सप्‍लाई करता था। ग्राहक ऑनलाइन भुगतान करते थे। बता दें कि डार्क वेब अपराधिक गतिव‍िधियों के लिए बदनाम है। दुनिया भर के नशे के कारोबार से जुड़े लोग और साइबर अपराधी इसका ही इस्‍तेमाल करते हैं।

संयुक्‍त कार्रवाई में हुआ मामले का खुलासा

डीसीप के अनुसार शहर में नशे के कारोबार का अपने तरीके का यह अनोखा मामला प्रकाश में आया है। इस मामले का खुलासा सेक्‍टर बीटा-2 कोतवाली, ईकोटेक-वन कोतवाली और नारकोटिक्‍स टीम और लोकल इंंटेलीजेंस की मदद से संयुक्‍त प्रयासों से हुआ है।

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