ग्रेटर नोएडा जोन

ग्रेटर नोएडा में पार्किंग की समस्‍या : मार्कीट में गाड़ी खड़ी करने के लिए जगह नहीं, जगह मिल भी गई तो चालान कटने का डर, लोग परेशान

Parking problem: There is no place to park the car in the market, even if the space is available, there is a fear of deducting the challan, people are upset

Panchayat24 : ग्रेटर नोएडा शहर में अपना आशियाना बनाने का सपना बहुत सारे लोगों का होता है। इसकी लोकेशन और प्राधिकरण द्वारा मुहैया कराई जा रही सुविधाएं इसका प्रमुख कारण है। पिछले कुछ समय में यहां पर तेजी से पार्किंग की समस्‍या पैदा हो रही हे, विशेषकर मार्कीट में। लोगों का कहना है कि सेक्‍टरों से मार्कीट दूर स्थित है। अधिकांश लोग गाड़ी से खरीददारी करने मार्कीट जाते हैं। यदि परिवार को एक साथ मार्कीट जाना हो तो गाड़ी का कोई विकल्‍प नहीं है। लेकिन ग्रेटर नोएडा की हर मार्कीट में पार्किंग की समस्‍या सामने आ जाती है। लोगों का कहना है कि सड़क पर गाड़ी छोडी तो असुरक्षा का भाव बना रहता है। यदि सौभाग्‍य से गाड़ी खड़ी करने के लिए जगह मिल भी गई डर लगा रहता है कि कहीं ट्रेफिक पुलिस चालान न कर दे। ट्रेफिक पुलिस का चौकन्‍ना रहना अच्‍छी बात है, लेकिन कई बार अनुचित कारण से लोगों के चालान काटे जा रहे हैं। ऐसे में गाड़ी लेकर मार्कीट जाना खतरे से खाली नहीं है। इसके बावजूद कोई दूसरा विकल्‍प भी नहीं है।

क्‍या कहते है शहर के लोग :-

ओम रायजादा 

बहुत सारे लोग ग्रेटर नोएडा में अपने आशियाने का सपना लेकर आए। तेजी से औद्योगिक और कमर्शियल एक्टिविटी बढ़ी तो आबादी भी तेजी से बढ़ी रही है। कई स्‍थान कमर्शियल एक्टिविटी के रूप में पहचान बना चुके हैं। लेकिन वक्‍त के साथ शहर में सार्वजनिक समस्‍याएं भी पैदा हुई हैं। सरकारी अस्‍पताल, सरकारी स्‍कूल, कॉलेज तथा पार्किंग। पार्किंग की समस्‍या वर्तमान में शहर में बड़ी समस्‍या बन चुकी है। मार्कीट में जाइए तो वाहन खड़े करने के लिए जगह नहीं। ऊपर से ट्रैफिक पुलिस अपना चालान टारगेट पूरा करने के लिए पूरी मुश्‍तैदी से खड़ी रहती हे। ट्रेफिक व्‍यवस्‍था बनाना और ट्रेफिक कानून तोड़ने वालों पर कार्रवाई की जानी चाहिए। लेकिन किसी ऐसे स्‍थान पर नो पार्किंग के चालान काटना कमई उचित नहीं है जहां पर पार्किंग की व्‍यवस्‍था ही नहीं है। आए दिन देखने में आता है कि लोग ना चाहते हुए भी ट्रेफिक पुलिस के निशाने पर आकर अपराधी बन रहे हैं।

हरेन्‍द्र भाटी :-

प्राधिकरण ने शहर बसा दिया है। लेकिन पार्किंग की कोई समुचित व्‍यवस्‍था नहीं है। अभी तक प्राधिकरण यह सुनिश्चित नहीं कर सका है कि कौन सा एरिया पार्किंग जोन है और कौन सा नोपार्किंग जोन ? यदि ऐसा है तो मार्कीट में अथवा किसी अन्‍य सार्वजनिक स्‍थान पर हमने तो किसी तरह क नो पार्किंग जोन के बोर्ड लगे नहीं देखे हैं।

आलोक सिंह :-

जैसे जैसे शहर बढ़ता है, पार्किंग जैसी मूल सुविधाओं की कमी होनी शुरू हो जाती है। प्रायः मार्केट जब बनती है तो ग्राहक के अनुरूप पार्किंग का कोई भी प्लान कहीं नहीं बनता। नोएडा शहर में भी यह गलती की गई। अब नोएडा प्राधिकरण इस दिशा में कार्य कर रहा है। शहर में अलग अलग स्‍थानों पर पार्किंग बनाई जा रही है। ग्रेटर नोएडा में नोएडा जैसी समस्‍या पैदा न हो इस पर भविष्य में प्राथमिकता के तौर पर ध्यान देने की आव्यशक्ता है ।
पार्किंग की समस्‍या समाधान के लिए प्राधिकरण ‘राइट’ से कराएगा सर्वे

ग्रेटर नोएडा शहर में तेजी से बढ़ रही पार्किंग की समस्‍या के बारे में प्राधिकरण के एसीईओ दीपचंद सिंंह का कहना है कि यह समस्‍या हमारे संज्ञान में आई है। ऐसी समस्‍याओं पर विमर्श करने के लिए हमारे पास राइट नामक संस्‍था है। पार्किंग की समस्‍या के बारे में प्राधिकरण राइट के साथ विचार विमर्श करेगा। राइट सर्वे कर बताएगी कि शहर में पार्किंग की समस्‍या का क्‍या समाधन हो सकता है। यह संस्‍था ही चिन्हित करेगी कि शहर में किन किन स्‍थानों पर पार्किंग बनाई जाए। इस संस्‍था के द्वारा ही यह सुझाव पेश किए जाएंगे कि जब तक शहर में पार्किंग की समस्‍या समाधान के लिए दीर्घकालीन नीति बनाकर इसे लागू किया जाए तब तक शहर वासियों को इस समस्‍या से कैसे निजात मिले।

 

 

 

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