स्पेशल स्टोरी

चलिए, अब हर साल हिन्‍दू नव वर्ष भी मनाया जाएगा, एक जनवरी के संग चैत्र माह का प्रथम नवरात्रि भी याद रखा जाएगा

Come on, let us celebrate Hindu New Year every year, along with January 1, the first Navratri of Chaitra month will also be remembered

Panchayat 24 : नव वर्ष का विचाार आते ही अधिकांश के मन में एक जनवरी का उत्‍साह और उमंग भरने लगाता है। हिन्‍दू नववर्ष भी कुछ होता है, बचपन से यह पता ही नहीं रहा। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। मेरे घर में अब हर साल जिस उमंग और उत्‍साह से अंगेजी महीने की एक जनवरी को नया साल मनाया जाता है, उसी उत्‍साह और उमंग से हर साल चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री के व्रत एवं पूजन के दिन हिन्‍दू नववर्ष भी मनाया जाएगा।

दरअसल, बीते 30 मार्च को चैत्र नवरात्रि का पहला दिन था। यह दिन सभी सनातनियों के लिए दोहरी प्रसन्‍नता का दिन था। वहीं, मेरे परिवार के लिए कुछ अधिक था। इस दिन परिवार में साक्षात देवीस्‍वरूपा बेटी का आगमन हुआ। छोटे भाई (अनुज) की पत्‍नी ने बेटी को जन्‍म दिया। ऐसा दूसरी हुआ है कि घर में नवरात्रों में कन्‍या का आगमन हुआ है। पूर्व में साल 2022 में दूसरे (मझले) भाई की पत्‍नी ने भी अश्विन माह के चौथे नवरात्रे को बेटी को जन्‍म दिया था। बच्‍ची को सभी प्‍यार से काशी कहकर पुकारते हैं। दूसरा नाम काव्‍या रखा है। इस दिन मां कुषमांडा का व्रत एवं पूजन किया जाता है। नवजात बच्‍ची को परिवार में प्‍यार शैली नाम से पुकारा जाएगा। वहीं, इसका नाम ओम्‍या रखने पर परिवार में चर्चा की जा रही है। इस नाम के पीछे कुछ निजी और कुछ विशेष कारण हैं।

घर में प्रत्‍येक बच्‍चे के जन्‍म दिवस के अवसर पर सनातन पद्धति से हवन एवं पूजन होता है। परिवार के दूसरे सदस्‍यों की इच्‍छानुसार शाम को केक भी कटता है। मन में एक सवाल हमेशा उठता है कि हम लोग हिन्‍दू नव वर्ष को उस उमंग से क्‍यों नहीं मनाते जिस उमंग से एक जनवरी को अंग्रेजी नव वर्ष को मनाते हैं ? अथवा किसी विशेष मौके की तलाश में रहते हैं ?  पहली बार हिन्‍दू नव वर्ष पर अपने मित्रों और शुभचिंतकों को शुभकामनाएं प्रेषित की हैं। ईश्‍वरीय इच्‍छा और आशीर्वाद ही कहेंगे कि भविष्‍य में  प्रत्‍येक वर्ष यह दिन मेरे लिए एक जनवरी की तरह ही यादगार होगा।

एक जनवरी को बड़े बेटे का जन्‍म दिवस मनाया जाता है। भविष्‍य में हिन्‍दू नव वर्ष के मौके पर नवजात बिटिया का जन्‍म दिवस भी उसी उत्‍साह और उमंग से मनाया जाएगा। हालांकि यह यह संभव नहीं है हर साल हिन्‍दू नव वर्ष पूर्व निर्धारित तारीख (30 मार्च) के दिन ही हो। हो सकता है कि 30 मार्च को भी केक काटने की रस्‍म अदागी की जाए। परिवार के लोगों में इस पर भी सहमति है। चलिए मेरे परिवार को उमंग और उत्‍साह से हिन्‍दू नववर्ष मनाने का अवसर ईश्‍वरीय कृपा से मिल गया है। क्‍या वास्‍तव में भारत में हिन्‍दू नववर्ष को मनाने के लिए किसी अवसर और बहाने की आवश्‍यकता है ?

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