स्पेशल स्टोरी

अरविन्‍द केजरीवाल का मुख्‍यमंत्री पद से त्‍याग पत्र के राजनीतिक निहितार्थ

Political implications of Arvind Kejriwal's resignation from the post of Chief Minister

Panchayat 24 : शराब घोटाले में तिहाड़ जेल में बंद दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविन्‍द केजरीवाल को हरियाणा विधानसभा चुनाव से पूर्व जमानत मिल गई है। चुनावी तैयारियों में जुटी आम आदमी पार्टी के लिए यह बड़ी ऑक्‍सीजन से कम नहीं है। पार्टी के नेता भी इस बात को कह रहे हैं कि अरविन्‍द केजरीवाल के जेल से बाहर आने पर उनकी पार्टी का हरियाणा चुनाव में मनोबल सौ गुना बढ़ गया है। जेल से बाहर निकलकर अरविन्‍द केजरीवाल ने अचानक मुख्‍यमंत्री पद से त्‍याग पत्र देने की घोषणा से सभी को चौंका दिया है। अरविन्‍द केजरीवाल का यह फैसला इस लिए भी चौंकाने वाला है कि जब वह लोकसभा चुनाव से पूर्व चुनाव प्रचार के लिए जेल से बाहर आए थे तब उन्‍होंने त्‍याग पत्र देने की बात पर विचार नहीं किया था।

ऐसा कतई नहीं है कि लोकसभा चुनाव से पूर्व विपक्षी दलों ने अरविन्‍द केजरीवाल के त्‍याग पत्र की मांग नहीं की थी और हरियाणा चुनाव से पूर्व यह मांग जोर शोर से उठाई जा रही थी। दरअसल, अरविन्‍द केजरीवाल के जेल जाने के बाद से ही मुख्‍य विपक्षी दल भाजपा लगातार अरविन्‍द केजरीवाल से नैतिकता के आधार पर मुख्‍यमंत्री पद से त्‍याग पत्र देने की मांग करता रहा है। लेकिन अरविन्‍द केजरीवाल ने यह कहकर विरोधियों को जवाब दिया कि यदि वह त्‍याग पत्र देते हैं तो सत्‍ताधारी पार्टी भविष्‍य में विरोधी दलों के मुख्‍यमंत्रियों को पद से हटाने के लिए सत्‍ता का दुरूपयोग कर जेल में डालना शुरू कर देंगी। हालांकि अरविन्‍द केजरीवाल और उनकी पार्टी भ्रष्‍टाचार के खिलाफ आन्‍दोलन से निकली हैं। वह बात बात पर लोगों को ईमानदारी और नैतिकता का पाठ पढाते हुए छोटे छोटे आरोपों के सहारे दूसरे नेताओं से नैतिकताओं के आधार पर त्‍याग पत्र मांगते रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि भ्रष्‍टाचार के आरोपों से घिरे अरविन्‍द केजरीवाल और उनकी पार्टी के कई नेताओं ने कभी अपने द्वारा बनाए नैतिकता के मानदंडों का पालन नहीं किया। ऐसे में सवाल उठता है कि हरियाणा विधानसभा चुनाव से पूर्व एकाएक अरविन्‍द केजरीवाल ने मुख्‍यमंत्री पद से त्‍याग पत्र क्‍यों दे दिया ? राजनीतिक गलियारों में इस त्‍याग पत्र के बड़े राजनीतिक निहितार्थ माने जा रहे हैं।

दरअसल, अरविन्‍छ केजरीवाल ने त्‍याग पत्र देकर एक तीर से कई निशानों को साधने का प्रयास किया है। ऐसा करके वह दिल्‍ली के मतदाताओं के दिलों में अपने प्रति एक सहानभूति पैदा करना चाहते हैं। इसका लाभ वह आगामी दिल्‍ली और दूसरे राज्‍यों के विधानसभा चुनावों में पाना चाहते हैं। स्‍वंय के दोषी होने अथवा बेकसूर होने का फैसला वह जनता पर छोड़ने की बात आने वाले हर विधानसभा चुनाव में करेंगे। हरियाणा और जम्‍मु कश्‍मीर विधानसभा चुनाव इसकी शुरूआत होगी। आम आदमी पार्टी महाराष्‍ट्र के विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। ऐसे में नए राज्‍य में जाने से पूर्व अरविन्‍छ केजरीवाल अपने ऊपर नैतिक आधार पर लगने वाले आरोपों से मुक्‍त करना चाहते हैं।

वहीं, एक तरह से मुख्‍यमंत्री पद से अरविन्‍द केजरीवाल द्वारा त्‍याग पत्र देना उनकी राजनीतिक मजबूरी भी है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देने से पूर्व अरविन्‍द केजरीवाल के ऊपर सचिवालय नहीं जाने और किसी भी फाइल पर हस्‍ताक्षर न करने जैसी कई अहम पाबंदियां लगाई हैं। ऐसे में अरविन्‍द केजरीवाल किसी भी नीतिगत फैसले को नहीं ले सकते हैं। जबकि अरविन्‍द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी चाहती है कि फरवरी में दिल्‍ली विधानसभा चुनाव हो जाएं। इसके लिए उनकी सरकार को कई बड़े नीतिगत फैसले लेने पड़ सकते हैं। दिल्‍ली विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिए इन नीतिगत फैसलों को लेने के लिए वह पार्टी के किसी दूसरे नेता को मुख्‍यमंत्री बना सकते हैं। सभी लोग जानते हैं कि अरविन्‍द केजरीवाल किसी ऐसे व्‍यक्ति को ही मुख्‍यमंत्री बनाएंगे जो उनके इशारों पर काम कर सके। त्‍याग पत्र देकर अरविन्‍द केजरीवाल ने देश की जनता के सामने खुद को पीडित पेश कर जनता के दिल में अपने और पार्टी के लिए सहानभूति प्राप्‍त करने की कोशिश की है। जेल से बाहर आने पर आरविन्‍द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के नेताओं के बयानों से भी इस बात के संकेत मिल रहे हैं। अरविन्‍द केजरीवाल ने त्‍याग पत्र देने की घोषणा करके राजनीतिक दांव चल दिया है। देश की जनता और मतदाताओं में इसके दूरगांवी परिणाम क्‍या होंगे, यह आने वाला समय ही बताएगा ?

Related Articles

Back to top button