एक घटना जिसने साधारण इंसान को बना दिया यति नरसिंहानंद सरस्वती, जानिए कौन है यति नरसिंहानंद सरस्वती ?
An incident that turned an ordinary man into Yeti Narasimhanand Saraswati, know who is Yeti Narasimhanand Saraswati?

Panchayat 24 : आज देश भर में जिस नाम की सबसे अधिक चर्चा हो रही है, वह नाम है गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती। उनके एक बयान के बाद देश भर में मुस्लिम समाज द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। इतना ही नहीं, बीते 4 अक्टूबर को भीड़न ने जिहादी नारे लगाते हुए डासना देवी मंदिर की ओर कूच किया था। हालांकि पुलिस से समय रहते हुए हालात को संभाल लिया और भीड़ को मंदिर परिसर तक नहीं पहुंचने दिया। यति नरसिंहानंद सरस्वती के ऊपर कई बार मुस्लिम समाज के लोग धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप पूर्व में भी लगा चुके है। ऐसे में सवाल उठता है कि यति नरसिंहानंद सरस्वती इस्लाम और इस्लाम की शिक्षाओं से इतनी घृणा क्यों करते हैं ? दरअसल, उनके जीवन में एक ऐसी घटना घटी थी जिसने उनके जीवन को ही बदल दिया। इस घटना ने ही आज के यति नरंसिंहानंद सरस्वती को जन्म दिया है। आज की इस खबर में हम यति नरसिंहानंद सरस्वती के जीवन के बारे में बताएंगे। यह खबर ऑप इंडिया के यति नरसिंहानंद सरस्वती के एक साक्षात्कार पर आधारित है।
क्या है पूरा मामला ?
दरअसल, गाजियाबाद में 29 सिंतबर को एक कार्यक्रम के दौरान डासना मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती ने मुहम्मद पैगंबर पर एक विवादित बयान दिया था। इसके बाद 4 अक्टूबर को जुम्मे की नमाज के बाद मुस्लिम समाज की भीड़ ने रात को डासना मंदिर की ओर कूच किया था। इस भीड़ में जिहादी नारे लगाए जा रहे थे। हिंदूवादी संगठन आरोप लगा रहे हैं कि यह भीड़ डासना देवी मंदिर पर हमला कर यती नरसिंहानंद सरस्वती की हत्या करना चाहती थी। देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच गाजियाबाद पुलिस ने यति नरसिंहानंद जी महाराज को गिरफ्तार कर लिया। वहीं पुलिस ने उनके शिष्य छोटा नरसिंहानंद को भी गिरफ्तार कर लिया है। हिंनदूवादी संगठनों और यति नरसिंहानंद सरस्वती के समर्थकों ने 13 अक्टूबर अर्थात आज डासना देवी मंदिर पर एक महापंचायत करने की घोषणा की है। वहीं, पुलिस ने महापंचायत की अनुमति नही दी है। पुलिस महापंचायत के लिए एकत्रित होने वाले लोगों पर कानूनी कार्रवाई करने की बात कह रही है। माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है।
कौन है यति नरसिंहानंद सरस्वती ?
वर्तमान में महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद सरस्वती का जीवन भी एक साधारण इंसान की तरह शुरू हुआ था। उनका असली नाम दीपक त्यागी है। वह मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला बुलन्दशहर के रहने वाले है। उनके पिता रक्षा मंत्रालय में कार्यरत थे। उनकी शिक्षा दीक्षा मेरठ में हुई थी। पिता ने नौकरी से सेवानिवृत होने के बाद कांग्रेस पार्टी ज्वाइन करके राजनीति सफर की शुरूआत की थी। दीपक त्यागी अपनी उच्च शिक्षा के लिए रूस गए। यहां वह शिक्षा के संबंध में मॉस्को सहित कई शहरों में रहे। दीपक त्यागी ने मॉस्को इंस्टीटयूट ऑफ केमिकल मशीन बिल्डिंग से मॉस्टर्सकी डिग्री हासिल की और बतौर इंजीनियर कई सालों तक कार्य किया। विदेशों से भी उन्हें नौकरी के लिए अच्छे ऑफर मिले। लंदन की एक प्रतिष्ठित फर्म ने उन्हें अच्छे सैलरी पैकेज पर काम करने के लिए बुलाया था। उन्होंने यहां माकेर्टिंग प्रमुख के रूप में काम किया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने इजराइल की भी यात्रा की थी। उहें साल 1992 में गणित का ऑल यूरोप ओलंपियाड भी जीता था। लगभग एक दशक तक विदेशों में काम का अनुभव प्राप्त करके दीपक त्यागी साल 1997 में भारत लौटे थे।
समाजवादी पार्टी से जुड़कर राजनीतिक सफर की शुरूआत की
यति नरसिंहानंद सरस्वती उर्फ दीपक त्यागी ने जिस समय विदेश से भारत लौटे थे, उस समय उत्तर प्रदेश की राजनीति में समाजवादी पार्टी का सितारा बुलिंदियों पर था। समाजवादी पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव का नाम देश के बड़े नेताओं में शुमार होता था। दीपक त्यागी के परिवार का समाजवादी विचारधारा से जुड़ाव रहा था। दीपक त्यागी को समाजवादी पार्टी में युवा प्रकोष्ठ का अध्यक्ष बनने का मौका मिला। उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत के लिए इसको सही समय समझा और समाजवादी पार्टी में युवा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष बन गए। इस दौरान कई हिन्दू और मुस्लिम समाजवादी नेताओं से उनकी मुलाकात हुई।
भाजपा नेताओं के हिन्दूत्ववादी भाषणों का पड़ा गहरा प्रभाव
दीपक त्यागी भले ही समाजवादी पार्टी से जुडे हुए थे, लेकिन उनके जीवन पर भाजपा नेताओं के हिन्दुत्ववादी भाषणों का गहरा प्रभाव पड़ा। विशेष रूप से भाजपा नेता स्वर्गीय बीएल शर्मा (बैकुंठ लाल शर्मा) के भाषणों का बड़ा असर उनके जीवन पर हुआ। यति नरसिंहानंद कई बार सार्वजनिक मंचों से बीएल शर्मा को अना गुरू बताते रहे है। वह कहते हैं कि कई बार उनके भाषण उन्हें सुनने को मिले। वह जिस तरह से तथ्य एवं साक्ष्यों के साथ भाषणों में अपना पक्ष रखते थे, उससे दीपक त्यागी बहुत प्रभावित हुए थे। बीएल शर्मा और भाजपा के कुछ अन्य नेताओं की भाषण शैली के कारण हिन्दुत्ववाद की ओर उनका झुकाव हो गया। हालांकि इसके बावजूद भी वह समाजवादी पार्टी के लिए काम करते रहे।
लव जिहाद की एक घटना ने साधारण इंसान दीपक त्यागी को बना दिया यति नरसिंहानंद सरस्वती
दरअसल, आज का यति नरसिंहानंद सरस्वती एक साधारण इंसान था। वह भी आम भारतीय की तरह सोचता और समझता था। राजनीति में रूचि रखता था। समाजवादी पार्टी से जुड़कर अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत भी की थी। लव जिहाद की एक घटना ने उनके पूरे जीवन को बदलकर रख दिया। अर्थात इस घटना ने ही आज के यति नरंसिंहानंद सरस्वती को जन्म दिया। ऑप इंडिया के अनुसार गाजियाबाद स्थित शंभु दयाल कॉजलेज में अध्ययन करने वाली त्यागी समाज की एक लड़की ने उनसे (यति नरसिंहानंद सरस्वती) से संपर्क किया था। लड़की ने उन्हें बताया था कि उसकी एक मुस्लिम महिला दोस्त ने उसकी दोस्ती मुस्लिम समाज के कुछ युवकों से करा दी थी। इन युवकों ने लड़की को प्रेम जाल में फंसाकर आपत्तिजनक फोटो और वीडियो बना ली थी। इनके आधार पर पीडिता को ब्लैकमेल किया और कई बार संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया। इन मुस्लिम युवकों ने पीडिता को अपने दोस्तों और कई प्रभावशाली लोगों के सामने पेश किया। पीडिता ने यति नरसिंहानंद सरस्वती पर सबकुछ जानकर भी चुप रहने पर सवाल उठाए थे। उसने यति नरसिंहानंद पर आरोप लगाए थे कि उन्हें भी कुछ चुप रहने के लिए आरोपियों की ओर से कुछ लालच दिया गया हे। इस घटना में बीएल शर्मा के भाषणों में कही गई बातें उन्हें सत्य प्रतीत हुई और वह हिन्दुत्व की राह पर चल पड़े।
हिन्दुत्व की रक्षा के लिए अजगर का लिया सहारा
हिन्दूओं की रक्षा के लिए हिन्दुत्व की राह पर चलने वाले दीपक त्यागी ने स्वयं को यति नरसिंहानंद सरस्वती के रूप में बदल लिया। उन्होंने हिन्दुओं के जनजागरण के लिए सामाजिक जागरूकता अभियान चलाया। इसके लिए उन्होंने अजगर का सहारा लिया। अजगर अर्थाज अहीर (यादव), जाट, गुर्जर और राजपूत। उन्होंने लोगों को समझाना शुरू किया कि किस तरह से राजनीतिक दल राजनीतिक लाभ के लिए हिन्दु समाज के खिलाफ षडयंत्र रच रहे हैं। पश्चिम उत्तर प्रदेश में इस षड़यंत्र के तहत हिन्दु समाज की चार क्षत्रिय जातियों को आपस में बांटकर लड़ाने की साजिश की जा रही है। उन्हें एक दूसरे के खिलाफ लड़ाकर मुस्लिम वोट बैंक को साधा जा रहा है। अजगर अभियान के अन्तर्गत यति नरसिंहानंद सरस्वती ने कई सभाएं कराई। उन्होंने अहीर, जाट, गुर्जर और राजपूत को एक दूसरे का विरोधी नहीं, पूरक बताया। उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण कानून का समर्थन किया।
यति नरसिंहानंद सरस्वती ने डासना मंदिर को ही आखिर क्यों चुना अपनाा ठिकाना ?
यति नरसिंहानंद सरस्वती की छवि घोर हिन्दुवादी संत के रूप में हो चुकी थी। उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि भी प्राप्त हो चुकी थी। इसके बाद उन्होंने अपने लिए गाजियाबाद के डासना मंदिर को अपना स्थाई ठिकाना चुना। इसके पीछे भी एक तथ्य जुड़ा हुआ है। दरअसल, डासना मंदिर मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र डासना में स्थित है। डासना देवी मंदिर की मान्यता शक्ति पीठ के रूप में होती है। यहां कई बार मंदिर में चोरी, लूट एवं डकैती की घटनाएं हो चुकी थी। कई संतों और महंतों की हत्याएं भी हो चुकी थी। ऑप इंडिया के अनुसार यति नरसिंहानंद को पता चला था कि मंदिर पर लगभग अवैध कब्जा हो चुका है। उन्होंने ऐसा नहीं होने देने का संकल्प लिया और मंदिर के पुजारी एवं महंत बन गए। बताया जाता है कि यहां पर उनके ऊपर हाल ही में कई बार हमले के प्रयास हो चुके हैं।