साख पार सवाल : दस दिन में तीन घटनाओं ने कमिश्नरेट व्यवस्था के सामने खड़े किए अहम सवाल
Question on credibility: Three incidents in ten days raised important questions in front of the commissionerate system
डॉ देवेन्द्र कुमार शर्मा
Panchayat 24 : जिला गौतम बुद्ध नगर में तेजी से बढ़ते अपराधों को काबू करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने कमिश्नरेट व्यवस्था को लागू कर नया प्रयोग किया। जिले में नई पुलिस व्यवस्था लागू होने के बाद पुलिस कार्रवाई में तेजी देखी गई। पुलिस एनकाउंटर, अपराधियों और माफियाओं पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की गई। परिणामस्वरूप संगठित अपराधिक गिरोहों की गतिविधियों में तेजी से कमी आई। जिले में छोटी मोटी अपराधिक वारदातों को छोड़ दे तो सबकुछ लगभग शांत चल रहा था। लेकिन पिछले दस दिनों में तीन ऐसी घटनाएं घटी हैं जिन्होंने पुलिस तथा प्रशासन के इस भ्रम को तोड़ दिया है कि जिले में सबकुछ ठीक ठाक चल रहा है। यह घटनाएं बताती है कि पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था की सफलता को लेकर आला अधिकारियों द्वारा भले ही सफलता के ढोल पीटे जा रहे हो, लेकिन व्यवस्था में सुधार की काफी गुंजाईश है।
ततारपुर हिंसा मामला
जारचा कोतवाली के एनटीपीसी क्षेत्र के अन्तर्गत बीती 28 जुलाई को पुलिस चौकी से महज कुछ दूरी पर दो पक्षों के बीच मामूली बात को लेकर विवाद हुआ। घटना ने दो गांवों के बीच के विवाद का रूप ले लिया। देखते ही देखते यह विवाद दो जातियों के बीच विवाद हो गया। घटना को लेकर क्षेत्र में तनाव पैदा हुआ। क्षेत्र में घटना की तपिश महसूस हुई तो पुलिस के आला अधिकारियों को क्षेत्र में शांति बैठक कर दोनों ही पक्षों के लोगों को मामले में उचित कार्रवाई का आश्वासन देना पड़ा। पीएसी तैनात करनी पड़ी। घटना से पूर्व और घटना के बाद पुलिस की लापरवाही काफी दिखाई दी। लोगों का कहना है कि घटना से पूर्व दोनों पक्षों के बीच कई बार विवाद हुआ। पुलिस से मामले की शिकायत की गई। पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। इससे दोनों ही पक्षों के बीच पुलिस कार्रवाई को लेकर अविश्वास का भाव पैदा हुआ। दोनों पक्षों के बीच एक दूसरे के प्रति ईष्या और द्वेष का भाव पैदा किया। पुलिस के अविश्वास ने आग में पेट्रोल का काम किया। 28 जुलाई को दोनों पक्षों के बीच ईष्या और द्वेष का भाव हिंसा के रूप में प्रकट हो गया। लोगों का यह भी कहना है कि 28 जुलाई को पहली बार हुई घटना पर यदि पुलिस त्वरित कार्रवाई करती तो इसकी प्रतिक्रया स्वरूप हुई 29 जुलाई की हिंसा से बचा जा सकता था। अर्थात
स्क्रैप कारोबारी से रंगदारी
कासना कोतवाली क्षेत्र में बीते 1 अगस्त को एक स्क्रैप के ट्रक चालक और परिचालक को जबरन बंधक बनाकर ट्रक में लदे हुए स्क्रैप को जबरन दूसरे व्यक्ति के गोदाम पर खाली करा लिया गया। बाद में चालक और परिचालक को ट्रक सौंपकर छोड़ दिया गया। मीडिया पर खबर वायरल होने पर पुलिस ने अधिकारिक बयान दिया कि मामला लूट का नहीं है। दोनों पक्षों के बीच आपसी लेनदेन का है। रंगदारी और मारपीट करने का मामला दर्ज किया। इस मामले में पीडित ने जो बातें बताई इससे साफ पता चलता है कि क्षेत्र में माफियाराज और रंगदारी जैसें अवैध कारोबार अभी भी संचालित हो रहे हैं। केवल बदली हुई परिस्थितियों में अपराध का का तरीका बदल गया है। इस घटना से पता चलता है कि जो काम जिले में कमिश्नरेट व्यवस्था लागू होने से पूर्व उजागर होकर किया जार हा था, वहीं काम पर्दे में छिपकर किया जा रहा है। यदि यह कहा जाए कि पुलिस को पर्दे के पीछे छिपकर किए जा रहे अपराधों के बारे में संज्ञान नहीं है तो यह पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाता है। यदि यह मान लिया जाए कि यह सब पुलिस की जानकारी में हो रहा था तो यह और भी गंभीर विषय हैं।
नोएडा सेक्टर-93बी ग्रैंड ओमेक्स हाऊसिंग सोसायटी में महिला से दुर्व्यवहार का मामला
नोएडा की सेक्टर-93बी स्थित ग्रैंड ओमेक्स हाऊसिंग सोसायटी में बीते 5 अगस्त को एक महिला से कथित नेता श्रीकांत त्यागी द्वारा की गई अभद्रता, दुर्व्यवहार और हाथापाई के मामले में पुलिस कार्रवाई में पुलिस की त्वरित निर्णय का अभाव दिखा। मामला सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ। मामले का राजनीतिकरण हुआ। पुलिस कार्रवाई पर स्थानीय सांसद डॉ महेश शर्मा ने मीडिया के सामने नाराजगी जताई। लखनऊ से मामले में दखल हुआ तो पुलिस ने मामले अतिसक्रियता दिखाई। पुलिस कमिश्नर आलोक कुमार द्वारा कोतवाली प्रभारी सति कुल 6 लोगों को निलंबित किए जाने का आदेश बताता है कि पुलिस ने मामले में अपनी लापरवाही को स्वीकार किया है। हालांकि पुलिस ने मामले में मुख्य आरोपी श्रीकांत त्यागी को 9 अगस्त को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन आरोपी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस के पसीने छूट गए। मुख्यमंत्री ने मामले में गृह विभाग से रिपोर्ट तलब की। सीधे लखनऊ से पुलिस को निर्देशित किया गया। इससे पता चलता है कि गौतम बुद्ध नगर मे केवल कमिश्नरेट व्यवस्था स्थापित जरूर हो गई है, लेकिन अपराध नियंत्रण के लिए पुलिस को अभी और सफर तय करना है।
जिले में एकाएक घटनाओं में वृद्धि ?
गौतम बुद्ध नगर में पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था 14 जनवरी 2020 को लागू हुई थी। इसके बाद पुलिस ने तेजी से अपराधियों पर कार्रवाई शुरू की। इस बीच लगभग 2 साल के लिए कोरोना के कारण पूरे देश में लॉकडाउन रहा। इस अवधि में लोग घरों में कैद रहे। ऐसे में जिले में अपराध दर लगभग शून्य रही। जैसे ही लॉकडाउन समाप्त हुआ, आम आदमी की जिंदगी पटरी पर दौड़ने लगी वैसे ही अपराधिक वारदातों में भी तेजी देखी गई।