समय बड़ा बलवान है : कुर्सी पर बैठे व्यक्ति को एक झटके में जेल पहुंचा देता है, पत्रकारों को अपराधी बना देता है ?
Time is very powerful: It sends a person sitting on a chair to jail in one stroke and turns journalists into criminals.

डॉ देवेन्द्र कुमार शर्मा
Panchayat 24 : समय बड़ा बलवान है। समय का पहिया जब घूमता है तो आदमी पंकज पाराशर बन जाता है। कल तक नोएडा मीडिया प्रेस क्लब के अध्यक्ष पंकज पाराशर को आज उसी प्रेस क्लब से बर्खास्त कर दिया गया है। पंकज पाराशर अपने दो पत्रकार साथियों के साथ जेल में बंद है। उनके ऊपर अपराधियों से सांठगाठ करके गैर कानूनी तरीके से धन उगाही करने के संगीन आरोप लगे हैं। एक तेज तर्रार पत्रकार के रूप में कल तक दूसरों के गुनाहों की कहानी लिखने वाले पंकज पाराशर और उसके साथी आज खुद गुनाहगार बनकर सलाखों के पीछे हैं। गौतम बुद्ध नगर पुलिस द्वारा पत्रकारों पर लगाए गए आरोपों में कितनी सच्चाई है ? पंकज पाराशर और उसके साथी बेकसूर है ? इन सवालों के जवाब पुलिस, आरोपी या फिर भगवान ही जानता है। इस पूरे प्रकरण में दो पेशों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। सभी की निगाहें न्यायपालिका पर टिकी गई हैं।
यदि पूरे प्रकरण में यह मान लिया जाए कि पुलिस ने तीनों पत्रकारों के खिलाफ व्यक्तिगत होकर यह कार्रवाई की है तो सवाल उठता है कि इन से ही पुलिस की कौनसी दुश्मनी थी ? जिले में और भी पत्रकार हैं। वहीं, पुलिस के आरोपों को कुछ देर के लिए सही मान लिया जाए तो सवाल उठता है कि पूर्व के अधिकारियों को पत्रकारों और स्क्रैप माफिया रवि काना गिरोह के बीच का यह गठजोड़ नजर क्यों नहीं आया ? बिना किसी की प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष मदद के इतना बड़ा खेल खेल पाना इन पत्रकारों के बूते की बात नहीं है। फिर वह लोग कौन है जिनकी मदद और ऑक्सीजन के सहारे इन पत्रकारों ने यह खेल खेला है ?
नवंबर 2022 में श्रीमति लक्ष्मी सिंह को गौतम बुद्ध नगर पुलिस कमिश्नर पद की कमान सौंपी गई। उन्होंने अपराध के प्रति कार्रवाई तेज कर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए। फिर भी उन्हें मन वांछित परिणाम नहीं मिल रहे थे। मीडिया में अपराधिक खबरों की बाढ़ आ रही थी। विभाग के अंदर भी पुलिस कमिश्नर को अपनों के द्वारा पेश की जा रही चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। हालांकि उस समय पुलिस कमिश्नर के मन में मीडिया के प्रति कुछ नाराजगी का भाव जरूर था। उनका मानना था कि मीडिया पुलिस के साथ न्याय नहीं कर रहा है और वारदातों को बढ़ा चढ़ाकर प्रकाशित कर रहा है।
इस दौरान पुलिस ने एक बड़ा पटाक्षेप करते हुए उत्तर प्रदेश के कुख्यात स्क्रैप माफिया रवि काना पर बड़ी कार्रवाई की। रवि काना सहित गिरोह के एक दर्जन से अधिक सदस्यों पर गैंगस्टर के अन्तर्गत कार्रवाई की गई। गिरोह की सैकड़ों करोड़ की चल अचल संपत्ति को कुर्क कर लिया। रवि काना को विदेश से डिपोट कराकर पूरे देश में एक नजीर पेश की। पुलिस अधिकारियों की माने तो रवि काना ने पूछताछ के दौरान कुछ सफेदपोशों, प्रभावशाली लोगों और पत्रकारों के नाम बताए हैं जिन्होंने उससे गैरकानूनी तरीके से आर्थिक लाभ भी प्राप्त किए हैं। पत्रकारों की अपराधियों संग सांठगांठ की खबरों से गौतम बुद्ध नगर की पत्रकारिता जगत में हड़कंप मच गया। इस घटना के छींटे इधर उधर भी पड़े। गौतम बुद्ध नगर की पत्रकारिता सवालों के घेरे में थी।
बीता मंगलवार गौतम बुद्ध नगर जिले की पत्रकारिता के लिए काला दिवस साबित हुआ। पुलिस ने पत्रकार पंकज पाराशर और उसके दो अन्य साथियों अवधेश सिसौदिया तथा देव शर्मा को रवि काना गिरोह से जुड़ा होने, उसकी गैर मौजूदगी में गिरोह का संचालन करने, अवैध उगाही करना, शूटरों से हत्या कराने की धमकी देकर धन वसूलना और फर्जी खबर चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया है। पुलिस के अनुसार इनके पास से रवि काना गिरोह की 14 गाडियों की आरसी, 12 फोटो तथा हस्ताक्षर सहित पर्चा तथा 6.30 लाख की नकदी बरामद की है। एक दर्जन से अधिक खातों में संदिग्ध लेनदेन की बात भी पुलिस कह रही है। पुलिस की माने तो पंकज पाराशर और उसके साथियों के खिलाफ उनके पास पर्याप्त सबूत हैं।
सवाल उठता है कि गिरफ्तार पत्रकार पंकज पाराशर और उसके साथियों का महत्वाकांक्षी होना गुनाह बना गया ? पंकज पाराशर और उसके साथियों को बड़ा बनने का सपना नहीं देखना चाहिए था ? इसका जवाब नहीं में तो कतई नहीं हो सकता। बस इतना जरूर कहा जाएगा कि सपनों की डोर इतनी ढीली नहीं होनी चाहिए कि वह कानून की मर्यादा को लांघ जाए। महत्वाकांक्षी होना भी गलत नहीं है, बस इस बात का ध्यान रखा जाए कि इनकी पूर्ति के लिए कोई शॉर्ट कट तरीका न अपनाया जाए।