ग्रेटर नोएडा जोन

एक दशक पुराने दौर में लौट रही है जिले की कानून व्‍यवस्‍था ? उत्‍तर प्रदेश की आर्थिक राजधानी पर अपराध का साया !

Is the law and order situation of the district returning to its decade old era? Shadow of crime on the financial capital of Uttar Pradesh!

Panchayat 24 : गौतम बुद्ध नगर जिले में पिछले कुछ महीनों में अपराधियों ने गंभीर अपराधिक वारदातों को अंजाम दिया है। इनमें कई हत्‍याएं भी शामिल हैं। वहीं, गली मोहल्‍लों में भी अपराधी तेजी से सक्रिय हुए हैं। परिणामस्‍वरूप मोबाइल और चैन छिनेती की वारदातें भी बढ़ी हैं। वहीं, एनआईए के अध्‍यक्ष विपिन मल्‍हन तथा अन्‍य स्‍टॉफ के सदस्‍यों को फोन कॉल करके जान से मारने की धमकी दिए जाने का भी मामला प्रकाश में आया है। हालांकि पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है, लेकिन जब तक पुलिस की जांच पूरी न हो जाए, मामले को हल्‍के में नहीं लिया जा सकता। ऐसे में सवाल भी उठता है कि क्‍या प्रदेश की आर्थिक राजधानी पर अपराध का साया मंडरा रहा है। ऐसे में लगातार बढ़ती अपराधिक वारदातों से जिले में एक दशक पूर्व के अपराधिक दौर की यादें फिर ताजा होने लगी हैं। यह वहीं दौर था जब जिले में अपराध को काबू करने के लिए एसटीएफ की शाखा स्‍थापित की गई। इस अपराध को समाप्‍त करने के लिए ही गौतम बुद्ध नगर जिले में कमिश्नरेट व्‍यवस्‍था लागू की गई थी।

2014 के लोकसभा चुनाव के बाद अचानक आई थी गौतम बुद्ध नगर में अपराधिक वारदातों में तेजी

गौतम बुद्ध नगर जिले में साल 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद अचानक तेजी देखी गई थी। इस दौरान जिले में कई प्रतिष्ठित लोगों की हत्‍या कर दी गई थी। पुलिस अपराध पर काूब करने में लगभग नाकम साबित हो चुकी थी। जिले में अपराध का कुछ ऐसा माहौल बन चुका था कि पुलिस एक वारदात का खुलासा नहीं कर पाती थी कि श्रंखलाबद्ध तरीके से अपराधी एक के बाद एक अपराधों को अंजाम दे देते थे। दादरी का विजय पंडित हत्‍याकांड और दकौर का लाला मनमोहन हत्‍याकांड़ इसी दौर में हुए थे। पिछले कुछ सालों से जिले में काबू में दिख रही कानून व्‍यवस्‍था पर अचानक 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान सवाल उठने लगे हैं।

रंगदारी और अवैध वसूली ने एक कारोबार का रूप ले लिया था

पिछले एक दशक में जिले में अवैध वसूली और रंगदारी का कारोबार खूब फला फूला। तेजी से होते औद्योगिकरण के कारण जहां जिले में विकास की संभावनाएं बढ़ी, उतनी ही तेजी से यहां अवैध वसूली और रंगदारी भी वारदातें भी बढ़ी। स्‍क्रैप, ट्रांसपोर्ट, पानी, खनन, विवादित संपत्तियों पर कब्‍जा और सुपारी किलिंग तथा कंपनियों में ठेके प्राप्‍त करना जैंसी वारदातें भी हुई। दादरी में हुए नरेन्‍द्र शर्मा हत्‍याकांड़ इस कड़ी में सबसे क्रूर हत्‍याकांड़ों में से एक रहा है।

व्‍यापारी वर्ग ने तेजी से किया था पलायान

इस दौर में अपराधियों के निशाने पर सबसे अधिक व्‍यापारी वर्ग था। आए दिन व्‍यापारियों से रंगदारी मांगी जाती थी। व्‍यापारियों के घर रंगदारी की रकम के लिए चिट्ठियां भेजी जाती थी। रकम नहीं देने पर जान से मारने की धमकी दी जाती थी। कई कारोबारियों पर जान लेवा हमले तक हुए। पुलिस से जनता का भरोसा लगभग उठ चुका था। जानकारों की माने तो अपनी सुरक्षा के लिए कई कारोबारी एवं व्‍यापारी अपराधिक गिरोहों को रंगदारी देना उचित समझते थे। वहीं, बड़ी संख्‍या में जिले से व्‍यापारी तथा कारोबारियों ने पलायन कर दूसरे प्रदेशों एवं जिलों का रूख किया। इस दौर में पलायन करने वाले व्‍यापारी दूसरे स्‍थानों पर कारोबार एवं व्‍यापार कर रहे हैं।

संगठित गिरोहों को मिली मजबूती, चंगुल में फंस चुका था युवा वर्ग, बढ़ी गैंगवार की घटनाएं

यह वहीं, दौर था जब जिले में तेजी से संगठित अपराधिक गिरोहों को ताकत दी। यह गिरोह धनबल और बाहुबल से बहुत मजबूत हो गए थे। परिणामस्‍वरूप इन गिरोहों के बीच वर्चस्‍व की जंग  शुरू हो गई। जिले का युवा तेजी से सुन्‍दर भाटी, अनिल दुजाना और रणदीप भाटी गिरोह का प्रत्‍यक्ष एवं अप्रत्‍यक्ष रूप से हिस्‍सा बनने लगा था। युवाओं द्वारा संगठित गिरोहों से अपने संबंधों का प्रदर्शन आम बात हो गई थी। इन गिरोहों के बीच आपस में गैंगवार शुरू हो गई। इस गैंगवार में कई लोगों की मौत हुई।

सड़को पर चलने में डर लगता था

ऐसा नहीं, है कि इस दौर में केवल संगठित अपराध ही घट रहे थे। जिले की सड़कों पर चलना खतरे से खाली नहीं था। एक समय के बाद घर लौटने में हुई देरी परिजनों को चिंता में डाल देती थी। केवल देर शाम या रात को ही नहीं, दिन दहाड़े भी लूट की घटनाएं आम हो गई थी। गली, मोहल्‍ले और सड़क पर अनजान बाइक सवार दिखने पर भय व्‍याप्‍त होने लगता था। कई हत्‍याएं भी राह चलते लोगों की हुई। इनमें ग्रेटर नोएडा वेस्‍ट का गौरव चंदेल हत्‍याकांड़ काफी चर्चित हत्‍याकांड़ है।

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